- 9 से 12वीं तक के बच्चों में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन, परेशान होने की समस्या

-खेलकूद, दोस्तों से मिलने की बजाए मोबाइल पर लगे रहते हैं बच्चे

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LUCKNOW: स्मार्टफोन का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। अधिक प्रयोग के कारण किशोरों में मोबाइल एडिक्शन की समस्या हो रही है। पीजीआई चंडीगढ़ की ओर से कराई गई स्टडी में सामने आया है कि 9 से 12वीं क्लास में पढ़ने वाले करीब 30.3 फीसद बच्चे मोबाइल एडिक्ट हो चुके हैं। इसकी वजह से बच्चों में डिप्रेशन, एंजाइटी, नींद खराब होना, चिड़चिड़ापन, परेशान रहने जैसी समस्याएं हो रही हैं। डॉ। संदीप ग्रोवर व उनकी टीम द्वारा उत्तर भारत के स्टूडेंट्स पर की गई स्टडी में यह बात सामने आई है। डॉ। संदीप ग्रोवर शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रही इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी की 71 वीं नेशनल कांफ्रेंस में बोल रहे थे।

मोबाइल के प्रयोग को सीमित करें
डॉ। संदीप ग्रोवर ने बताया कि 13 से 18 वर्ष की उम्र के इन बच्चों से अब मोबाइल छीनना भी भारी पड़ सकता है। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स समय रहते बच्चों के मोबाइल प्रयोग को सीमित करें। बच्चे मोबाइल में क्या देख रहे हैं इस पर भी निगाह रखें। उन्होंने बताया कि मोबाइल की स्क्रीन हो या लैपटाप या टेबलेट किसी भी प्रकार की स्क्रीन का अधिक प्रयोग खतरनाक है। इसके कारण बच्चों में समस्याएं हो रही हैं। बच्चे दोस्तों, रिश्तेदारों से भी वर्चुअल इंटरनेटनेट की दुनिया से ही बात करते हैं। दोस्तों से मिलना जुलना कम हो गया है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को शिक्षित करें, कितनी देर तक प्रयोग करना है इस पर लगाम लगाएं। असीमित इंटरनेट का प्रयोग न करने दें। वाई फाई को सीमित करें। बच्चे कौन कौन सी वेबसाइट देखते हैं यह भी चेक करते रहें।

सर्वे एक नजर में
- 30.3 परसेंट पाए गए मोबाइल एडिक्ट

- 33 परसेंट ने माना कि मोबाइल एडिक्शन के कारण उनके ग्रेड कम आए

- 30 परसेंट के पास अपना निजी मोबाइल फोन

- करीब 28 परसेंट क्लास में भी चेक करते हैं मोबाइल

- 46 परसेंट समझते हैं बिना मोबाइल लाइफ बेटर होगी, फिर भी प्रयोग करते हैं

- 81.5 परसेंट समझते हैं कि मोबाइल का अधिक प्रयोग खतरनाक है फिर भी रखते हैं

- 62.2 परसेंट मानते हैं कि अधिक प्रयोग कर वे गलत कर रहे हैं

- 46.2 परसेंट मोबाइल प्रयोग कम करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं सके

- 74.3 परसेंट मिस कॉल को रेप्लाई करते हैं

- 18.8 परसेंट को मोबाइल अधिक प्रयोग के कारण लाइफ टाइम में बदलाव करना पड़ा

- 23.6 परसेंट ने माना मोबाइल प्रयोग से शिक्षा के अवसर को गंवाया

- 62.2 परसेंट मोबाइल पर अधिक खर्च को बुरा समझते हैं

- 44 परसेंट दिन में सोने के दौरान भी मोबाइल फोन ऑन रखते हैं, जानते हुए भी कि डिस्टर्ब करेगा

सोशल मीडिया यूज

इंटरनेट-50.3 परसेंट

फेसबुक 21.5 परसेंट

वाट्सएप 18.4 परसेंट

ट्विटर 3.7 परसेंट

इंस्टाग्राम 2.3 परसेंट

कोई नहीं 28.2 परसेंट

रोज मोबाइल प्रयोग

एक घंटे तक 73.2 परसेंट

दो से तीन घंटे 22.1 परसेंट

चार घंटे या अधिक 5.2 परसेंट

स्कूल में स्मार्टफोन का प्रयोग

एक घंटे तक - 60.5 परसेंट

दो से ती न घंटे-34.3 परसेंट

चार घंटे से अधिक 5.2 परसेंट

पैरेंट रेस्ट्रिक्ट मोबाइल

हां 65.6

नहीं 34.4

मोबाइल कर रहा ब्रेन में बदलाव 
केजीएमयू के डॉ। आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि केजीएमयू में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि मोबाइल फोन का अधिक प्रयोग ब्रेन के स्ट्रक्चर में बदलाव कर रहा है। पिछले 5-7 वर्षो में जिस तरह से मोबाइल का प्रयोग बढ़ा है वह खतरनाक है। ध्यान लगाने में गड़बडी हो रही है। आप चीजों को भूलने लगते हैं। बच्चों में ज्यादा दुष्प्रभाव है। इमोशनल रेगुलेशन खराब होता है। जिद्दी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा बढ़ जाता है। देर तक प्रयोग से एक्सरसाइज और खेलों में कमी हो रही है, जिससे मोटापे और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है।