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PATNA : 370 साल पहले हाथों से लिखी गुरुग्रंथ साहिब पांडुलिपि आज अपनी पहचान खो रही है। गुरुमुखी लिपि में लिखी गई यह पांडुलिपि सिख संप्रदाय के इतिहास को बताती है। लेकिन अब इस इतिहास को कोई नहीं जान पाएगा क्योंकि यह राष्ट्रभाषा परिषद के एक अलमारी में पड़ी-पड़ी सड़ रही है। इसके कई पन्ने खराब होकर झड़ने लगे हैं। चौंकाने वाली बात है कि पांडुलिपि की इस हालत को शिक्षा विभाग अच्छी तरह से जानता है। बावजूद इसकी सुरक्षा को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है। लापरवाही ऐसी की 741 पेज की इस पांडुलिपि के लेखक कौन है परिषद के पास इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में आप अंजादा लगा सकते हैं कि परिषद पांडुलिपियों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है।

इतिहास न बन जाए पांडुलिपि

कई पांडुलिपियों के बीच गुरुग्रंथ साहिब को एक अलमारी में लाल कपड़े में बांधकर रखा गया है। पांडुलिपी में कीड़े लगने की वजह से इससे पेज पलटते ही टूटकर गिरने लगते है। नाम न छापने के शर्त पर परिषद् के एक अधिकारी ने बताया कि पूरे विश्व में इस तरह की दो ही पांडुलिपी है एक अमृतसर में है जिसे काफी सुरक्षा के बीच सहेज कर रखा है। दूसरी यहां पर है जो अलमारी में सड़ रही है।

नहीं बन पाई सहमति

परिषद् के कर्मचारियों की माने तो इस अनमोल धरोहर को गुरु गोविंद सिंह की 350वी जयंती के अवसर पर पटना सिटी के गुरुद्वारा कमेटी को इसे देने की योजना बनी थी। लेकिन अधिकारियों के सहमति नहीं बनने के चलते इस अनमोल धरोहर को नहीं सौंपा गया। जिससे आज यह उपेक्षा का शिकार हो रही है।

तो लोगों को पता चलता महत्व

जानकारों का कहना है कि गुरुमुखी लिपि में लिखी हुई पांडुलिपि को डिस्प्ले में लगाना चाहिए। इसे देखने के लिए हजारों लोग आएंगे। लोगों को इसका महत्व के बारे में पता चलेगा।