RANCHI : कोल इंडिया ने 2030 के अंत तक 1300 से 1900 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जबकि झारखंड से कोयला उत्पादन लगभग 375 मिलियन टन होगा। मंगलवार को झारखंड माइनिंग शो के दूसरे दिन सीएमपीडीआई के निदेशक बीएन शुक्ला ने केपीएमजी की एक मसौदा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में 30.8 बिलियन टन कोकिंग कोयला है और यह भारत का एकमात्र कोकिंग कोल उत्पादक राज्य है। उन्होंने कोयला उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि खोजी ड्रिलिंग के लिए निवेश की आवश्यकता 500 करोड़ रुपये तक की है।

माइनिंग में अपार अवसर

केसीटी समूह की ओर से चीफ मेंटर की भूमिका निभा रहे केवीके अरोड़ा ने कहा कि खनिज खनन संसाधन क्षेत्र में अब तक 10 प्रतिशत अन्वेषण ही हो सका है और इससे इस क्षेत्र में भारी अवसर दिख रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि अन्वेषण गतिविधियों के लिए नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट, एनएमईटी लगातार बेहतर काम कर रही है।

प्राइवेट सेक्टर आगे आएं

खनिजों के उत्खनन में निजी क्षेत्र तो शामिल हुए हैं, इन्हें खनिजों की खोज (अन्वेषण) में भी शामिल करना चाहिए। इसके लिए सरकार को आर्थिक मदद भी करनी होगी। अब तक इस क्षेत्र में विभिन्न माध्यमों से महज दस फीसदी खनिजों का अन्वेषण हो सका है, इस लिहाज से अपार संभावनाएं हैं। ये विचार प्रमुख वक्ताओं ने दिए।

खनिज और खनन पॉलिसी की दरकार

राज्य सरकार को अन्वेषण गतिविधियों में और अधिक निवेश करने की जरूरत है। डॉ सिंह ने कहा कि एक व्यापक खनन और खनिज नीति के तत्काल दरकार है। कोयले के संसाधन दूरदराज क्षेत्रों में स्थित होने से स्थानीय लोगों का समर्थन आवश्यक है। अत: नीति ऐसी बने जिसमें समाज का साथ हो।

भूमि अधिग्रहण के मुद्दे सुलझाए जाएं

यूसीआइएल के कार्यकारी निदेशक डॉ। एके सारंगी ने स्वदेशी यूरेनियम की आवश्यकता और एक प्रभावी नीति की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कार्य, सामाजिक संघर्षो, नई परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के मुद्दों, गैर-सरकारी संगठनों के प्रभाव और यूरेनियम खनन पर नकारात्मक सार्वजनिक धारणा को चुनौतियों के रूप में पेश किया। एनएमईटी को चाहिए कि वह निजी कंपनियों को अपनी पसंद के ब्लॉक का चयन करने की अनुमति दे।

अवसर और जोखिम की हो पहचान

आइआइटी खड़गपुर के खनन इंजीनिय¨रग विभाग के प्रोफेसर डॉ। जयंत भट्टाचार्य ने कहा कि खनन सिर्फ एक व्यवसाय है। इसके लिए पूंजी दक्षता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, राज्य सरकार को अवसर और जोखिम की पहचान करने के लिए उचित ज्ञान आधार और कौशल की आवश्यकता है और इसपर नियमित काम होना चाहिए।