RANCHI : रिम्स में कभी एमबीबीएस करने के लिए होड़ हुआ करती थी, पर अब यहां मेडिकोज एडमिशन लेने से कतरा रहे हैं। राज्य के इस सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज को अब स्टूडेंट्स नहीं मिल रहे हैं। यहां पीजी के न्यू सेशन की पढ़ाई शुरू हो चुकी है, पर 135 में 38 सीटें खाली हैं। इन सीटों में 35 सीटें सेंट्रल के लिए रिजर्व हैं। ऐसा नहीं है कि यहां एमएस और एमडी की पढ़ाई के लिए जरूरी सुविधाएं व इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, लेकिन गवर्नमेंट की नई पॉलिसी स्टूडेंट्स को रिम्स से दूर कर रही है। वे झारखंड की बजाय दूसरे राज्यों से पीजी करने को तरजीह दे रहे हैं।

पहले थी पहली पसंद

कुछ साल पहले तक पीजी के लिए रिम्स मेडिकोज के लिए पहली पसंद में शामिल था। इसकी वजह यहां बेहतर पढ़ाई की सुविधा होने के साथ-साथ स्टूडेंट्स को दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा स्टाइपेंड मिलना था। इतना ही नहीं, यहां से पढ़ाई करने के बाद इसी राज्य में कुछ सालों तक सर्विस करने की भी कोई बाध्यता नहीं थी, पर अब ये सुविधाएं नहीं मिलने से स्टूडेंट्स यहां एडमिशन लेना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं।

रिम्स का क्यों घट रहा क्रेज

1-बीच में पढ़ाई छोड़ने पर जुर्माना

गवर्नमेंट की न्यू पॉलिसी के तहत, रिम्स समेत राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद अगर स्टूडेंट किन्हीं वजहों से पढ़ाई बीच में छोड़ देता है तो उसे दस लाख रुपए जुर्माना भरना होगा। जुर्माना नहीं देने पर उसके खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है।

2- एक साल सर्विस देने का बांड

पीजी में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को एक बांड भरना पड़ रहा है। इसमें शर्त है कि यहां से पीजी करने के बाद उन्हें हर हाल में कम से कम एक साल तक इसी राज्य में अपनी सर्विस देनी होगी। उसे सरकार द्वारा अलॉट किए गए हॉस्पिटल में सेवा देनी है। इस बांड को नहीं मानने वाले स्टूडेंट पर 15 लाख जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

3-ग्रामीण इलाके में तीन साल देनी है सेवा

स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय पॉलिसी के तहत, यहां जो डॉक्टर बहाल किए जाएंगे, उन्हें ग्रामीण इलाकों में कम से कम तीन साल और राज्य में पांच साल तक अपनी सेवा देनी है। ऐसा नहीं करने पर दस लाख रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।

पहली काउंसलिंग में जिन स्टूडेंट्स को उनकी पसंद का विभाग मिला, उन्होंने ही एडमिशन लिया। दूसरी काउंसलिंग में भी पसंद का विभाग नहीं मिलने से कई स्टूडेंट्स ने एडमिशन नहीं लिया। गवर्नमेंट की न्यू पॉलिसी के तहत यहां से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को कुछ साल तक यहां सेवा देनी अनिवार्य है।

डॉ त्रिलोचन सिंह

डीन, रिम्स