GORAKHPUR: अभी जेल में बंदियों के एचआईवी से ग्रसित होने की सूचना पर जेल प्रशासन की परेशानियां कम भी नहीं हुई थी कि एक बार फिर जेल में बंद चार बंदियों के टीबी ग्रसित होने की सूचना पर हड़कंप मच गया। जेल में हुई रूटीन चेकिंग के बाद चार बंदियों के टीबी से ग्रसित होने का मामला प्रकाश में आया है। इसे लेकर जेल प्रशासन सतर्क हो गया है। आनन-फानन में जेल प्रशासन ने चारो बंदियों का इलाज शुरू कर दिया और उन्हें अलग बैरक में रखा है। हालांकि इस बीच इनमें से एक बंदी जेल से रिहा हो गया। जबकि तीन अन्य का अभी जेल में ही इलाज चल रहा है।

बलगम जांच में हुई पुष्टि

मंडलीय कारागार में बंदियों के बलगम की जांच के बाद आई रिपोर्ट के मुताबिक चार बंदी टीबी से ग्रसित पाए गये हैं। इन बंदियों में बशारतपुर का बिपिन उर्फ बंटी, सहजनवा निवासी रामलखन, तिवारीपुर निवासी श्रीराम और गोला निवासी बाबूराम शामिल हैं। इन सभी बंदियों को जेल प्रशासन ने बैरक नंबर 6 में रखा है। जांच में टीबी रोग की पुष्टि होने के बाद चारों बंदियों का इलाज शुरू हो चुका है। इन बंदियों में से बशारतपुर का रहने वाला बंदी बिपिन रिहा हो चुका है। फिर भी उसके रूटीन चेकिंग और इलाज का क्रम जारी है। जेल प्रशासन इन बंदियों के खानपान का विशेष ध्यान दे रहा है। डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें पौष्टिक भोजन जैसे अंडा, मांस आदि मुहैया कराया जा रहा है। उधर जिला क्षय रोग विभाग भी अपनी तरफ से 18 जून से जेल के बैरकों में टीबी रोग के लिए विशेष अभियान चलायेगा। रामलखन पिछले ढाई वर्ष से, श्रीराम फरवरी से और बाबूराम अप्रैल से जेल में बंद हैं।

वर्जन-

चार बंदियों में टीवी रोग की पुष्टि के बाद उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। समय-समय पर इनको पौष्टिक आहार दिया जा रहा है, और इलाज भी कराया जा रहा है। जिसमें जिला अस्पताल से दी गई दवा डॉट्स नियमित रूप से दिया जा रहा है। इनमें से एक बंदी रिहा हो चुका है।

डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, गोरखपुर