-लखनऊ के लोग रोज ले रहे 30 से 40 सिगरेट का धुआं

LUCKNOW:

लखनऊ में पिछले करीब दो हफ्ते से प्रदूषण का स्तर (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 300 से 400 के बीच बना हुआ है। दिवाली के समय यह चरम पर रहा। केजीएमयू के रेस्पीरेटरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। सूर्यकांत के अनुसार 400 से ऊपर प्रदूषण का स्तर पहुंचने का मतलब है कि राजधानी के लोग रोज करीब 30 से 40 सिगरेट के बराबर धुआं रोज पी रहे हैं। जो कि हमारे फेफड़ों के लिए काफी खतरनाक है।

तो लेना पड़ेगा इनहेलर

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि प्रदूषण का यही स्तर रहा तो अगले 10 साल बाद सभी को इनहेलर लेना पड़ेगा। पिछले कुछ सालों के दौरान शहर में सांस के रोगियों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है। अगर शहर के लोगों की जांच की जाए तो यहां अधिकतर लोगों के फेफड़े कमजोर मिलेंगे। प्रदूषित हवा के कारण बच्चे भी सांस की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

पाल्यूशन बढ़ने का ये भी कारण

डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि इस समय वातावरण में हवा का बहाव लगभग शांत है। जिससे पटाखे जलाने पर उससे निकलने वाले प्रदूषित कण और जहरीली गैसें वायुमंडल की निचली पर्त पर ही ठहर गई हैं। इस समय मौसम भी ठंडा हो गया है इस कारण धुएं के कण ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में पिछले कई दिनों से हम जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। फिलहाल अगले कुछ दिनों तक इस समस्या का समाधान होते भी नहीं दिखाई दे रहा है।

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कलर देने वाले मैटेरियल खतरनाक

वैज्ञानिकों के अनुसार पटाखों में रोशनी और कलर देने के लिए एल्युमिनियम और बेरियम के साथ-साथ पोटेशियम नाइट्रेट, जिंक, पेपर लेड, चारकोल जैसे मैटेरियल मिलाए जाते हैं, वह काफी खतरनाक होते हैं। एक रोशनी देने वाला पटाखा करीब 30 से 50 सिगरेट के बारबर हानिकारक धुआं छोड़ता है। हवा में धुला यह धुआं छंटने में भी एक-दो नहीं कई-कई दिन लग जाते हैं।

बॉक्स-- फोटो एसके त्रिपाठी की

दिवाली पर बढ़ती है समस्या

एनबीआरआई में सीनियर साइंटिस्ट प्रो। एसके बारिक ने बताया कि दिवाली के दौरान प्रदूषण से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसी ही समस्या उनके साथ शहर के तमाम लोगों को पिछले साल भी दिवाली के मौके पर हुई थी। इस बार भी कुछ ऐसे ही हालातों का सामना राजधानी के लोग कर रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि बड़ी संख्या में लोगों को डॉक्टरों की सहायता लेनी पड़ रही है। पिछले वर्ष मुझे भी केजीएमयू में जाकर डॉ। सूर्यकांत से ट्रीटमेंट कराना पड़ा था।

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प्रदूषण से होने वाली समस्याएं

- गले में खराश या एलर्जी की समस्या

- आंखों में खुजली व जलन

- निमोनिया और माइग्रेन की प्रॉब्लम

- अचानक बीपी का बढ़ जाना