ये घटना झारखंड के आदिवासी बहुल लोहरदगा ज़िले के कुड़ू थाना क्षेत्र के टाटी डुमरटोली गांव की है.

पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर चार लोगों को गिरफ्तार किया है.

कुड़ू थाना प्रभारी पतरस नाग ने बताया, “पीड़िता के बेटे उमेश मुंडा के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. ”

इस मामले में गांव के 17 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.

पुलिस के मुताबिक़, “गांव के ही बलींद्र उरांव, भुगलु उरांव, भोला मुंडा, सावित्री देवी गिरफ्तार किए गए हैं. पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.”

पुलिस ने बताया कि पीड़िता के पति, बेटे और बेटी ने किसी तरह भागकर थाने में सूचना दी थी. उसके बाद पुलिस वहां पहुंची.

पीड़िता को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पिटाई की वजह से उनके शरीर पर कई ज़ख़्म हैं.

अब भी डायन मानी जाती हैं महिलाएं

पंचायत

"किसी की बीमारी या मौत में भूत-प्रेत, ओझा-गुनी की कोई भूमिका नहीं होती. लेकिन गांवों में अब भी तरह-तरह की भ्रांतिया हैं. इसे जागरूकता के जरिए ही दूर किया जा सकता है"

-अमूल रंजन सिंह, रिनपास के निदेशक

टाटी डुमरटोली गांव के मुखिया बंदे पाहन कहते हैं कि उनकी सहमति के बिना पंचायत बिठाकर इस तरह की सज़ा दी गई.

उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही गांववालों को समझाया था कि पीड़िता को कोई तंग न करे.”

मुखिया ने ये भी कहा, “इस तरह के पंचायती फ़ैसले ग़लत हैं. अब क़ानून अपना काम करे, यह ज़रूरी है.”

पीड़िता के पति दुतिया मुंडा एक साधारण किसान हैं. बेटे भी खेती-बाड़ी करते हैं. पीड़िता के पुत्र उमेश मुंडा के मुताबिक़ छह साल पहले भी उनकी मां की कथित तौर पर डायन बताकर सरेआम पिटाई की गई थी.

उमेश मुंडा ने बताया कि उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर मां को बचाने का प्रयास किया लेकिन गांव वालों ने उन्हें खदेड़ कर भगा दिया. उनकी मां गुहार लगाती रही, लेकिन उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया गया.

पुलिस के मुताबिक़, "पांच नवंबर की सुबह गांव में पंचायत बिठाई गई जिसमें कदनी देवी को सज़ा सुनाई गई. इससे पहले चार नवंबर को गांव में दिवाली का जतरा (मेला) लगा था. जतरा में ही पीड़िता का कुछ ग्रामीणों के साथ विवाद हो गया था. इसके बाद अगले दिन सुबह में गांव की बैठक में यह फ़ैसला सुनाया गया.”

पुलिस का दावा है कि इनमें गांव की कई महिलाएं भी शामिल थीं.

पूर्व की घटना

झारखंड: 'डायन' बताकर आठ महीने में 40 महिलाओं की हत्याइससे पहले भी लोहरदगा से सटे गुमला ज़िले में ऐसी ही घटना हुई थी जब लेमहा गांव में एक विधवा महिला को डायन बताकर उनकी हत्या कर दी गई थी.

उस मामले में कथित अभियुक्त सुधवा मुंडा ने ख़ुद थाने जाकर समर्पण कर दिया था.

पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक़ सुधवा मुंडा के एक बच्चे की मौत हो गई थी और उन्हें शक था कि उसी महिला ने कोई जादू-टोना कर दिया था जिससे बच्चों की मौत हो गई.

झारखंड में पिछले आठ महीने में डायन बताकर 40 महिलाओं की हत्या कर दी गई है.

यह रिपोर्ट जनवरी से अगस्त तक की है. झारखंड पुलिस की मासिक अपराध रिपोर्ट में ये आंकड़े दर्ज हैं.

ऐसी अधिकतर हत्याएं आदिवासी बहुल इलाक़ों में हुई हैं.

रांची इंस्टीटयूट ऑफ़ न्यूरो साइकिएट्री एंड एलायड साइसेंज के निदेशक सह मनोवैज्ञानिक डॉ. अमूलरंजन सिंह कहते हैं, “किसी की बीमारी या मौत में भूत-प्रेत, ओझा-गुनी की कोई भूमिका नहीं होती. लेकिन गांवों में अब भी तरह-तरह की भ्रांतिया हैं. इसे जागरूकता के ज़रिए ही दूर किया जा सकता है.

सामाजिक संगठन

महिला कार्यकर्ता लखी दास कथित डायन प्रथा के ख़िलाफ़ कोल्हान इलाक़े में काम करती हैं. वो कहती हैं, “इन मामलों में विधवाओं को ज्यादा ही प्रताड़ित किया जाता है. जनजातीय गांवों में अब भी अंधविश्वास का असर गहरा है.”

उन्होंने बताया कि अध्ययन में पाया गया है कि महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर मैला पिलाया जाता है, उनके बाल काट दिए जाते हैं और उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाया जाता है. लेकिन सुदूर इलाक़ों में होनेवाली प्रताड़ना की अधिकतर घटनाएं प्रकाश में नहीं आतीं.

झारखंड सरकार ने डायन प्रथा उन्मूलन की योजना बनाई है. इस योजना के नाम पर हर साल बीस लाख रुपए ख़र्च किए जाते हैं.

महिला कार्यकर्ता लखी दास कहती हैं कि सरकार की योजना कारगर नहीं है. इस प्रथा पर रोक के लिए बड़े पैमाने पर काम करने की ज़रूरत है.

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