-सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित आयोग से जांच कराने के आदेश

- निरीक्षण के दौरान अनुपयोगी खर्च पर उठाए थे सवाल

अखिलेश सरकार के मेगा ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवरफ्रंट पर आखिरकार जांच की आंच आ ही गई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित आयोग से कराने का आदेश दिया। उन्हें यह जांच 45 दिन में पूरी कर रिपोर्ट सौंपनी होगी। गौरतलब है कि सीएम ने हाल ही में रिवरफ्रंट का खुद निरीक्षण किया था और इस दौरान अखिलेश सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट में हुए अनुपयोगी खर्च पर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद से अनुमान लगाया जा रहा था कि सीएम किसी भी वक्त इस प्रोजेक्ट की जांच का आदेश दे सकते हैं।

सोमवार को किया था निरीक्षण

सीएम योगी आदित्यनाथ बीते सोमवार को गांधी सेतु के करीब गोमती रिवरफ्रंट का निरीक्षण करने पहुंचे। पैदल ही निरीक्षण के दौरान उन्होंने दो साल पहले शुरू की गई परियोजना के पूरा न होने पर नाराजगी जताई थी। मई 2017 में इस प्रोजेक्ट के कंपलीट होने की डेडलाइन के बावजूद इसे कार्यदायी संस्था और ठेकेदारों के जिम्मे छोड़ दिया गया। नतीजतन, इस प्रोजेक्ट की असल जरूरत नालों के गंदे पानी को नदी में जाने से रोकने के बजाय फव्वारे और सजावट पर सारा जोर लगा दिया गया। आरोप है कि रिवरफ्रंट में लगाए गए 50 करोड़ के फव्वारों व अन्य सजावट का कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों को बेहद ऊंचे रेट पर दिया गया जबकि, यही फव्वारे और सजावट दूसरी कंपनियां बेहद कम कीमत पर मुहैया करा सकती थी। उन्होंने प्रोजेक्ट में अनियमितता की तरफ इशारा करते हुए अधिकारियों से पूछा था कि रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट में 6 किलोमीटर लंबी नदी की 3 मीटर गहरी सिल्ट निकाली गई। उन्होंने कहा कि अगर इतनी मिट्टी निकली तो गई कहां, मिट्टी को कहां फेंका गया? सीएम योगी आदित्यनाथ ने चीफ सेक्रेटरी को बाकी बचे काम का इस्टीमेट रिवाइज करने और अनुपयोगी खर्च को कम करने का आदेश दिया था। सीएम ने प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी फाइलें तलब कर ली थीं।

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग करेगा जांच

शनिवार को अवकाश के बावजूद सीएम योगी आदित्यनाथ अपने दफ्तर पहुंचे। गोमती नदी चैनलाइजेशन का कार्य कर रहे अधिकारियों, इंजीनियरों को तलब कर सवाल किया कि रिवर फ्रंट के लिए आवंटित 1513 करोड़ रुपये का 95 प्रतिशत यानी 1435 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद 60 फीसद कार्य भी पूरा क्यों नहीं हुआ? संतोषजनक जवाब न मिलने पर नाराज मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना में देर क्यों हुई, पैसा कहां खर्च हुआ, किसके आदेश पर खर्च हुआ? न्यायिक आयोग इसकी जांच करेगा। उन्होंने चीफ सेक्रेटरी राहुल भटनागर को आदेश दिया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया जाए। आदेश में कहा गया है कि आयोग 45 दिन के भीतर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। इस दौरान अधिकारियों ने गोमती चैनलाइजेशन का कार्य पूरा करने के लिए 2448 करोड़ की पुनरीक्षित लागत का प्रस्ताव दिया। सीएम ने इस पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि गैरजरूरी कामों को इससे हटा दिया जाए। सीएम योगी ने अधिकारियों से कहा कि रिवर फ्रंट परियोजना से पहले गोमती के पानी को प्रदूषण मुक्त करने पर ध्यान दिया जाता तो अच्छा होता। कहा कि गोमती में गिरने वाले नालों के डायवर्जन के साथ-साथ प्रदूषण से मुक्ति के लिए एसटीपी बनाने का काम पहले पूरा किया जाए।

दो मंत्रियों की कमेटी करेगी मॉनीटरिंग

गोमती रिवरफ्रंट के काम में अब तक हुई मनमानी से खफा सीएम ने इसकी लगातर मॉनीटरिंग के लिये मंत्रियों की कमेटी बनाई है। इस कमेटी में नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह शामिल होंगे जो कि इस प्रोजेक्ट के सभी कामों व खर्च पर नजर रखेंगे।

क्या-क्या होना है

-नदी किनारे जॉगिंग ट्रैक

-साइकिल ट्रैक

-योग केंद्र

-बच्चों के लिये एम्यूजमेंट पार्क

-टॉरनेडो फाउंटेन

-मैरेज हॉल व लॉन

-ओपन थियेटर

फैक्ट फाइल

शुरुआत: फरवरी 2014

कार्यसमाप्ति का टारगेट: मई 2017

8.1 किलोमीटर लंबाई

1513 करोड़ बजट

1435 करोड़ खर्च