- शासन-प्रशासन भी वॉटर क्राइसिस को देखते हुए अलर्ट

- गोरखपुर मंडल में अगस्त में लगेंगे रिकॉर्ड पौधे

GORAKHPUR: जल संरक्षण के लिए एंवायरमेंट बचाना भी बेहद जरूरी है। जब एंवायरमेंट बचेगा तभी जल बचेगा। इस बात को अब सभी को समझना होगा। एक्सप‌र्ट्स के अनुसार गोरखपुर अभी खतरे के निशान तक नहीं पहुंचा है। हां ये जरूर है कि यहां अंधाधुंध पेड़ कटान और जल का दोहन हो रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो यहां के वॉटर लेवल को खतरे के निशान तक पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। शहर में बढ़ते जल संकट को देखते हुए शासन भी अलर्ट हो गया है। इसलिए सीएम के निर्देश पर गोरखपुर में 47 लाख 98 हजार पौधे 15 अगस्त को लगाए जाएंगे। इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ ही सभी डिपार्टमेंट अभी से तैयारी में लग गए हैं।

पहले भी सौंपी गई है जिम्मेदारी

इससे पहले भी शहर को हरा-भरा करने के लिए सभी विभागों को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है, लेकिन सभी ने केवल फॉर्मेल्टी की। जिसका नतीजा देखा जा सकता है कि कहीं भी वो पौधे नजर नहीं आते जो शासन से सभी विभागों को लगाने के लिए भेजे गए थे। हालत ये है कि उन पौधों का हिसाब अगर डिपार्टमेंट के जिम्मेदारों से पूछ ही लिया जाए तो वो बता नहीं पाएंगे।

तैयारी में लगा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के एसडीओ टीएन सिंह ने बताया कि 15 अगस्त को होने वाले पौधरोपण के लिए हमारी तैयारी हो चुकी है। अब केवल शासनादेश का इंतजार है। उन्होंने बताया कि इसके लिए सबसे ज्यादा पौधा लगाने की जिम्मेदारी ग्राम विकास को दी गई है। इसके बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और अन्य विभागों क पौधे लगाने हैं। उन्होंने ये भी बताया कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और शहर की नर्सरी को मिलाकर 68 लाख पौधे मौजूद हैं।

पिछले साल लगे थे पौधे - 15 लाख 87 हजार

इस बार 15 अगस्त को लगेंगे पौधे - 47 लाख 98 हजार

सीएम की सख्ती का दिख रहा असर

हर बार से ज्यादा इस बार सीएम के निर्देश की वजह से डिपार्टमेंट्स अभी से ही 47 लाख 98 हजार पौधरोपण का लक्ष्य पूरा करने के लिए लग गए हैं। इसके लिए जगह और पौधों की व्यवस्था हो चुकी है। बस शासन से जीयो का इंतजार है।

बॉक्स

खतरनाक स्तर की ओर वॉटर लेवल

भूगर्भ जल विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि गोरखपुर का वॉटर लेवल लगातार खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है। विभाग द्वारा लगाए गए 10 में से पांच पीजो मीटर के 2018 के आंकड़े खतरे के निशान को पार कर चुके हैं। विभाग जमीन से आठ मीटर नीचे वॉटर लेवल पहुंचने पर वॉटर लेवल को बेहतर करने के उपाए ढूंढने लगता है। गोरखपुर में वॉटर लेवल हांसूपुर 10.10 मीटर, महिला पॉलिटेक्निक 8.35 मीटर, कमिश्नर आवास 8.81 मीटर, चारगांवा 5.08 मीटर, यूनिवर्सिटी 9.50 मीटर तक पहुंच चुका है। टेक्निकल असिस्टेंट दिनेश चन्द्र जायसवाल का कहना है कि नदियों के आसपास के एरिया में नदी का वॉटर लेवल घटने पर वह आसपास के अंडर ग्राउंड वॉटर को अपने में खींच लेती है जिसके कारण वहां का लेवल तेजी से घट जाता है।

पीजो मीटर 2018 2017 2016

नौसड़ 6.40 5.72 7.70

मंडी परिषद 7.44 7.83 7.75

हांसूपुर 10.10 10.32 10.32

पॉलिटेक्निक 8.35 8.38 7.88

कमिश्नर आवास 8.81 9.10 9.21

मोहरीपुर 7.43 6.75 6.90

तारामंडल 7.99 6.44 7.21

पीआडीटी सेंटर 5.55 4.95 5.00

चारगांवा 5.08 4.48 4.28

डीडीयूजीयू 9.50 9.40 7.20

नोट: जलस्तर के यह आंकड़े प्री मानसून पीरियड में पीजो मीटर द्वारा मापे गए भूगर्भ जल विभाग के डाटा पर आधारित हैं।

भूगर्भ जल विभाग चलाता है अभियान

भूगर्भ जल विभाग के टेक्निकल असिस्टेंट दिनेश चन्द्र जायसवाल ने बताया कि शहर में जानकारी के अभाव में हर दिन पानी का नुकसान हो रहा है। इसलिए डिपार्टमेंट के जिम्मेदार समय-समय पर अवेयरनेस के लिए घर जा-जाकर लोगों का पानी के संकट के बारे में बताते हैं। जिससे लोग अपने अंदर थोड़ा सा सुधार लाकर पानी बचाना शुरू कर दें।

ऐसे कर सकते हैं बचत

पानी की बचत करने के लिए हमें कुछ टेक्नीक यूज करने की जरूरत है। भूगर्भ जल विभाग के सुझावों पर अमल करके एक परिवार सैकड़ों लीटर पानी की बचत कर सकता है। इसके लिए उन्हें केवल पानी यूज करने के तरीके में ही बदलाव करना होगा।

तरीका बचत

1-ब्रश करते समय गिलास या मग का यूज करके- 9.4 ली।

2-शेविंग में मग का यूज कर - 2 ली।

3-नहाते समय फालतू नल ना खोलकर- 30 ली।

4-कपड़े धोने में दो बटन वाले फ्लश के यूज से-22.5 ली।

5-टॉयलेट यूज करने में बाल्टी का यूज करके - 50 ली।

6-जरूरत पर ही कूलर यूज करके - 60 ली।

7-बाइक धोने में बाल्टी या मग यूज कर - 70 ली

8-कार धोने में बाल्टी या मग यूज कर - 190 ली।

वर्जन

गोरखपुर में वॉटर लेवल लगातार नीचे गिर रहा है। गोरखपुराइट्स ने अगर जल संरक्षण के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई तो आने वाले दिनों में गिरता वॉटर लेवल कई गंभीर परेशानियों का कारण बन सकता है।

- दिनेश चंद्र जायसवाल, टेक्निकल असिस्टेंट, भूगर्भ जल विभाग