सिग्नेचर मिसमैच:

अधिकांश मामलों में चेक तभी बाउंस होता है जब चेक काटने वाले के अकाउंट में पर्याप्त धनराशि का नही होती है। सिग्नेचर मैच न करने या फिर चेक में ओवरराइटिंग होने पर भी चेक बाउंस हो जाती है। इसके अलावा तय तिथि के बाद भी चेक बाउंस हो जाती है।

बैंक जुर्माना लगाती:

ऐसे में कई बार बैंक बाउंस चेक के लिए बैंक चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाती है। हालांकि जुर्माने की धन राशि कोई एक निश्चित नही होती है। यह हर बैंक की नियमावली व उसके ग्राहकों के वर्गीकरण के आधार पर तय होती है।

रिकॉर्ड खराब होता:

चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाले का रिकार्ड खराब हो जाता है। उसके क्रेडिट हिस्ट्री में काफी असर पड़ता है। इतना ही नहीं ऐसे में बैंक उसे भविष्य में  किसी भी तरीके का लोन आदि देने से हाथ खड़े कर सकती हैं।

धोखाधड़ी का मामला:

चेक बाउंस होने पर चेक जारी करने वाला मुसीबत में आ सकता है। बाउंस चेक प्राप्त करने वाला उक्त व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई भी करने का हकदार होता है। इस प्रक्रिया पर चेक जारी करने वाले पर धोखाधड़ी और ठगी के अंतर्गत मामला दर्ज हो सकता है।

कार्यवाई के मानक:

हालांकि चेक बाउंस होने पर कानूनी कार्यवाई करने के भी कुछ मानक है। जिसमें यह साफ है कि उपहार या दान आदि में मिले बाउंस चेक पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

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