अध्यक्ष और सचिव सहित पांच का आत्मसर्मपण
केरल के पुत्तिगंल मंदिर में हुए हादसे के बाद मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पांच अधिकारियों ने केरल क्राइम ब्रांच के सामने आत्म समर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में मंदिर के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष शामिल हैं। वहीं कल दूसरे दिन पुलिस ने तीन मंदिर के समीप स्थित अत्तिंगल में एक गोदाम से सोमवार को 100 किलो विस्फोटक और तीन कारों में भरा आतिशबाजी का सामान बरामद किया था। हादसे की जांच करने पहुंचे मुख्य विस्फोटक नियंत्रक सुदर्शन कमल ने बताया कि आतिशबाजी के दौरान सभी नियम-कायदों को ताक पर रख दिया गया था। कमल और उनके साथ नागपुर से आए अधिकारियों की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने मलबे से नमूने ले लिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पटाखे बनाने में प्रतिबंधित रसायनों का इस्तेमाल किया गया था।
हादसे में मरने वाले सौ से ऊपर
पुत्तिंगल मंदिर हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 112 हो गई है, जबकि 24 घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। केरल सरकार ने आग और धमाके की जांच अपराध शाखा को सौंपी है। पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज कर पांच को हिरासत में ले लिया। इनमें मंदिर कमेटी के सदस्य व आतिशबाजी के दो ठेकेदारों-सुरेंद्रन और कृृष्णकुट्टी के कर्मचारी शामिल हैं। हादसे में मारे गए 14 लोगों के शव इतनी बुरी तरह जल गए हैं कि उनकी पहचान मुश्किल हो रही है। उनका डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।
कोर्ट का सुझाव रोकी जाए आतिशबाजी
केरल हाई कोर्ट के जस्टिस वी. चितंबरेश ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर उच्च क्षमता के पटाखों पर तत्काल रोक का सुझाव दिया है। इस सिलसिले में उन्होंने अदालत से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। जज के इस पत्र को हाई कोर्ट ने जनहित याचिका मान लिया है। कोर्ट इस पर संभवत: मंगलवार को सुनवाई करेगा। हालाकि केरल में 1255 मंदिरों का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने कहा कि वह मंदिरों में आतिशबाजी की परंपरा पर पूरी तरह रोक के पक्ष में नहीं है। बोर्ड के अध्यक्ष प्रायार गोपालकृष्णन ने कहा कि आतिशबाजी सरकारी और अदालती आदेशों का पालन करते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजामों के साथ होना चाहिए।
पहले हुए हादसों के बाद आतिशबाजी के विरुद्ध लड़ रही है एक महिला
पुत्तिंगल मंदिर से 50 मीटर की दूरी पर रहने वाली बुजुर्ग महिला पंकजाक्षी पिछले चार साल से विस्फोट के इस्तेमाल के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। चार साल पहले विस्फोटक से हुए हादसे के चलते उनका घर तबाह हो गया था। तब से विस्फोटक के इस्तेमाल के खिलाफ उनकी जंग जारी है। उन्होंने कहा कि मंदिर के कुछ अधिकारियों ने उनकी आवाज में आवाज मिलाई थी, लेकिन आज तक विस्फोटक के इस्तेमाल के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया।
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