-आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट पर रजिस्ट्रार ने दिए बिल्डिंग खाली करने के आदेश

- केजीएमयू के दंत संकाय की बिल्डिंग खस्ताहाल, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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LUCKNOW:

केजीएमयू के दंत संकाय की 50 वर्ष से भी अधिक पुरानी बिल्डिंग खस्ताहाल है। कम तीव्रता वाले भूकंप से इसे खतरा हो सकता है। आईआईटी रुड़की के एक्सप‌र्ट्स द्वारा बिल्डिंग की सुरक्षा की जांच रिपोर्ट मिलने पर केजीएमयू प्रशासन ने इसे जल्द से जल्द खाली करने के आदेश दिए हैं।

गठित की गई कमेटी

रजिस्ट्रार राजेश कुमार राय ने पुराने दंत संकाय में चल रहे विभागों और इलाहाबाद बैंक को शिफ्ट करने के लिए कमेटी गठित की है। जिसमें डीन डेंटल, चिकित्सा अधीक्षक डेंटल, रजिस्ट्रार, सीएमएस गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, डीन मेडिकल और डेंटल के सभी विभागाध्यक्षों को शामिल किया गया है। रजिस्ट्रार ने सभी को बैठक कर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

इस कमेटी ने की जांच

केजीएमयू की मांग पर आईआईटी रुड़की की ओर से डॉ। भूपेंद्र सिंह और डॉ। उमेश कुमार शर्मा ने बिल्डिंग की गहन जांच की। इस रिपोर्ट में पाया गया कि यह बिल्डिंग सुरक्षित नहीं है और कभी भी गिर सकती है। इसके लिए इसे रिपेयर किया जाना जरूरी है। साथ ही भूकंप से बचने के लिए आधुनिक मानकों पर खरी नहीं उतरती है।

तो लागत आएगी दोगुनी

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिल्डिंग को तुरंत रिपेयर किए जाने की जरूरत है। इंजीनियर्स का आकलन है कि रिपेयर करने में करीब 21 करोड़ या अधिक का खर्च आने की संभावना है। एक्सप‌र्ट्स का दावा है कि यदि रिपेयर किया गया तो भी सुरक्षा की गारंटी नहीं रहेगा। केजीएमयू प्रशासन का मानना है कि नई बिल्डिंग बनाना ही उचित रहेगा।

1960 में बनी थी बिल्डिंग

अधिकारियों के मुताबिक ओल्ड डेंटल बिल्डिंग 1960 से 1968 के बीच बनाई गई थी। यह उस समय के मानकों के अनुरूप थी। इसमें कब और क्या कार्य कराया गया इसके रिका‌र्ड्स भी इस समय केजीएमयू के पास नहीं है। न तो बिल्डिंग में पार्किंग है, न सेट बैक है। वेंटीलेशन भी ठीक नहीं है और आग से बचाव के की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है।

2009 में भी दिए थे आदेश

केजीएमयू प्रशासन 2006 से इस बिल्डिंग की सुरक्षा की जांच के प्रयास कर रहा है। 2009 में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा के आदेश पर पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने इसकी जांच की थी और उन्होंने नई बिल्डिंग बनाने की संस्तुति की थी। लेकिन बाद में सरकार बदल गई। वर्तमान वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने आते ही फिर से जांच के लिए लिखा जिसके बाद इसी माह यह रिपोर्ट मिली है।

कालम में आ गई दरारें

जांच टीम ने पाया है कि डेंटल के प्रमुख कॉलम या पिलर में दरारें आ गई हैं। यह अब वर्टिकल लोड सहने योग्य नहीं है। यही नहीं कॉलम और बीम के ज्वाइंट में भी दरारें हैं। कई प्रमुख बीम में तो पांच मिमी। तक की दरारें हैं। जिससे ये इमारत कभी भी गिर सकती है। आईआईटी रुढ़की की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिल्डिंग में ड्रेनेज सिस्टम बहुत खराब हालत में हैं।