यात्री को हवाई जहाज़ में शराब परोसे जाने से इनकार कर दिया गया था क्योंकि वो एक महिला थी। अंग्रेज़ी अख़बार द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ दिल्ली में एक उपभोक्ता अदालत ने जेट एयरवेज़ से कहा कि वो अपने कर्मचारियों को बात करने का तरीक़ा सिखाए और उनको बताए कि देश और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करे।

जिला उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष सीके चतुर्वेदी ने कहा, ''हवाई यात्रा के दौरान यात्री अपनी पसंद के हिसाब से कोई भी पेय पदार्थ मांग सकता है और विमान के भारतीय चालक दल के सदस्यों को भारतीय और यूरोपीय महिलाओं के बीच भेदभाव करने का अधिकार नही दिया जा सकता है। उन्हे महिलाओं की इज़्ज़त करनी चाहिए और वो अगर शराब मांगे तो भी उन्हे मना नही किया जा सकता। ये पसंद की बात है ना कि अपनी संस्कृति को थोपने की.''

जेट एयरवेज़ ने बीबीसी से कहा है कि चूंकि उन्हें अब तक आदेश की प्रति नहीं मिली है इसलिए वे इस पर अधिकृत तौर पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने की स्थिति में नहीं हैं।

हर्जाना

कनाडा के उच्चायोग में काम करने वाली महिला ने विमानन कंपनी से 50 हज़ार कनाडाई डॉलर का हर्जाना मांगा था। पीड़ित महिला ने एक याचिका दायर करके कहा था कि जेट एयरवेज़ के चालक दल के सदस्यों के व्यवहार से उन्हे दुख पहुँचा है। वो 15 दिसंबर 2009 में बैंकॉक से दिल्ली आ रही थी।

महिला का आरोप था कि उन्होने चालक दल के सदस्यों से रम मांगा था, लेकिन उन्होने पीड़ित को ये कहकर मना कर दिया कि वो महिला हैं और उन्हे शराब नहीं दी जा सकती।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार सभी सबूतों को देखकर फोरम के अध्यक्ष ने कहा, ''पीड़ित महिला और जेट एयरवेज़ के बीच शिकायत निबटारे के लिए भेजे गए ईमेल से पता चलता है कि जेट एयरवेज़ ने अपनी ग़लती मानी थी। हमने मामले को बहुत ध्यान से सुना और सभी तथ्यों को संज्ञान में लिया.'' फ़ोरम ने आगे कहा कि चालक दल के सदस्य महिला यात्रियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकते।

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