RANCHI: राज्य के दस शहरों में स्थित बस स्टैंड के विकास पर करीब 570 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसको लेकर पांच सितंबर को होटल बीएनआर चाणक्या में नेशनल इनवेस्टर्स समिट फॉर डेवलपमेंट ऑफ बस स्टैंड इन झारखंड को लेकर समिट हो रहा है। इसमे पूरे देश से वैसे लोग शामिल हो रहे हैं जिन्होने पुराने बस स्टैंड का जीर्णोद्धार कर नया लुक और प्रोफिटेबल बनाया है। इस समिट का आयोजन झारखंड अर्बन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड जुटकोल द्वारा किया जाएगा।

पीपीपी मोड पर होगा डेवलप

धनबाद, मानगो, चाईबासा, गिरिडीह, फु सरो, मेदिनीनगर, दुमका, गोड्डा, सिमडेगा और गुमला में पीपीपी मोड पर बस स्टैंड डेवलप किया जाएगा। रांची के कांटाटोली स्थित भगवान बिरसा मुंडा बस टर्मिनल की तर्ज पर स्टैंड को विकसित करके बस लगाने के लिए प्लेटफ ॉर्म बनाए जाएंगे। इसके अलावा टर्मिनल में रेस्टोरेंट, डोरमेटरी, टिकट काउंटर, एजेंट के बैठने के लिए जगह और आसपास दुकानों का निर्माण कराया जाएगा। प्राइवेट पार्टी इसे विकसित करेगी, इससे होने वाली आय में सरकार भी शेयर लेगी।

हर बस स्टैंड की स्थिति खराब

रांची के आईटीआई बस स्टैंड सहित दूसरे शहरों में स्थित बस स्टैंड की हालत काफ खराब है। क्योंकि, नगर निकायों द्वारा बस स्टैंड की बंदोबस्ती करके सिर्फ पैसे की वसूली की जाती है। स्टैंड की स्थिति सुधारने पर एक रुपया खर्च नहीं किया जाता है। इस वजह से यहां से आने-जाने वाले यात्रियों को कीचड़ और गंदगी से होकर गुजरना पड़ता है। आईटीआई बस स्टैंड की स्थिति तो ऐसी हो गई है कि स्टैंड के अंदर एक भी यात्री नहीं जाता है। पूरे परिसर में कीचड़ फैला है। शाम ढलते ही यहां अंधेरा पसर जाता है, ऐसे में शाम होने के बाद यात्री इस स्टैंड पर आने से कतराते हैं।

रांची के आइटीआई बस स्टैंड को जमीन नहीं

रांची के आईटीआई बस स्टैंड का कायाकल्प नहीं होगा। श्रम विभाग ने बस स्टैंड को जमीन देने से इनकार कर दिया है। नगर विकास विभाग ने श्रम विभाग से जमीन हस्तांतरित करने का आग्रह किया था, ताकि पीपीपी मोड पर बस स्टैंड का सौंदर्यीकरण कराया जा सके। लेकिन श्रम विभाग ने साफ कर दिया कि आईटीआई के एक्सटेंशन के लिए जमीन की जरूरत है, ऐसे में जमीन का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता है।