गंगा बैराज में 27 लोगों की डूबकर हो चुकी है मौत
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KANPUR: गंगा बैराज अब 'मौत का बैराज' साबित होता जा रहा है। रविवार शाम गंगा नहाने गए 7 नन्हे दोस्तों में छह गहरे पानी में पहुंच गए और फिर वहां से वापस नहीं आ सके। गोताखोरों ने देर रात तक तीन की लाश तो बरामद कर ली, लेकिन दो दोस्तों का अभी पता नहीं चला। देर रात होने से गोताखोर बाहर आ गए। अब सोमवार सुबह दोबारा गोताखोरों को गंगा में उतारा जाएगा। मृतकों के कपड़ों में कोई आईडी नहीं थी। इससे देर रात तक उनकी पहचान नहीं हो पाई। पुलिस के मुताबिक मृतकों के परिजनों की तलाश की जा रही है। इसके लिए सभी थानों में जानकारी दी गई है।

12 से 15 साल के बीच उम्र
गंगा बैराज में रविवार शाम 12 से 15 साल की उम्र के 7 दोस्त घूमने गए थे। उन्होंने रेलिंग से देखा कि पुल की दूसरी तरह गंगा आधे से ज्यादा सूख गई है। दूसरी तरफ से आधे पुल तक रेती है तो पांचों दोस्त पुल पार कर पुलिस चौकी के बगल से गंगा रेती पर पहुंच गए। पांचों रेती के रास्ते वहां तक पहुंच गए। जहां पर गंगा थी। इसके बाद वे रेती पर साइकिल खड़ी कर गंगा नहाने उतर गए। वहां पर सन्नाटा पसरा रहता है। इसलिए वे कब गहरे पानी में जाकर डूब गए। किसी को पता ही नहीं चला।

साइकिल पर नजर गई
शाम करीब पांच बजे एक दरोगा की नजर उनकी साइकिल पर गई। उसने देखा कि साइकिल खड़ी है, लेकिन वहां पर कोई मौजूद नहीं है। वह अनहोनी की आशंका के चलते रेती पर उतरकर साइकिल के पास पहुंच गए। वहां पर उन्होंने देखा कि 12 से 15 साल उम्र के बच्चों के पांच जोड़ी कपड़े और जूते पड़े हैं। इससे उनको यकीन हो गया कि वहां पर कोई न कोई अनहोनी हुई है। उन्होंने थाने की पुलिस से संपर्क कर गोताखोरों को बुलाया। छह गोताखोर तीन घंटे की मशक्कत के बाद तीन दोस्तों की लाश को बाहर निकाल पाए। अन्य दो दोस्तों का देर रात तक पता नहीं चला।

एक दूसरे को बचाने में डूबे
इंस्पेक्टर का कहना है कि शवों को पोस्टमार्टम भेज दिया गया है। देर रात होने से सर्च ऑपरेशन बंद किया गया है। सुबह दोबारा गोताखोरों को गंगा में उतारा जाएगा। अभी तक किसी भी किशोर की शिनाख्त नहीं हुई है। बैराज में पांच दोस्तों के डूबने की घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। एक साथ पांच दोस्तों के डूबने से यह माना जा रहा है कि पांच दोस्तों एक दूसरे को बचाने में डूबे हैं। अगर कोई भी दोस्त गंगा से बाहर आकर मदद के लिए चिल्लाता तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी।

सबक लिया होता तो बच जाते
बैराज में कोई पहली बार नहीं डूबा है। इससे पहले भी यहां पर कई लोग डूब चुके है। इसकी न्यूज भी बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रकाशित की जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी न तो पुलिस ने सबक लिया और न ही बैराज में घूमने जाने वालों ने। वहां पर गंगा नहाने पर प्रतिबंध लगा होने के बाद भी लोग पुलिस से नजर गंगा में उतर जाते है। वहीं, पुलिस ने भी पुरानी घटनाओं से सबक नहीं लिया और हीलाहवाली करती है।