PATNA: भ्0 करोड़ से अधिक के दवा घोटाले में बुधवार को निगरानी न्यायालय में केस दायर किया गया, जिसे विशेष निगरानी न्यायाधीश राघवेंद्र कुमार सिंह ने स्वीकार करते हुए क्ख् अप्रैल को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। वाद अधिवक्ता व लोजपा बिहार के प्रदेश महासचिव सुधीर कुमार ओझा ने दायर किया है। उन्होंने वर्ष ख्0क्क् से ख्0क्भ् तक की जानकारी आरटीआई से हासिल की जिसमें घोटाले की बात सामने आई है। इसे आधार बनाते हुए उन्होंने क्ब् लोगों को आरोपित बनाया है जिसमें आधा दर्जन आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं।

ऐसे हुआ है दवा घोटाला

ख्0क्क् से ख्0क्भ् के दौरान प्रदेश के पीएचसी, सीएचसी, अुनमंडल हॉस्पिटलों में सस्ती दवाओं को महंगी दरों पर सप्लाई की गई है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक क्ख् रुपए की दवा 9फ् रुपए, ब् रुपए की दवा ब्ब् रुपए में सप्लाई की गई। इतना ही नहीं यह तो महज बानगी भर है। ऐसे करोड़ों की दवाई खरीदी गई हैं जिनका दाम कई गुना अधिक बताया गया है। ऐसा कर सरकारी धन का जमकर लूट खसोट किया गया है। इतना ही नहीं वादी का कहना है कि ड्रग कंट्रोलरों द्वारा छापेमारी में दोषपूर्ण मामलों पर पर्दा डाल कर गलत कारोबार को जमकर छूट दी गई। हैरत की बात तो यह रही कि जो दुकानें बिना लाइसेंस के चल रही थीं, उन्हें जानकारी के बावजूद पैसे लेकर चलने दिया गया। ऐसी स्थिति में सरकार को लाइसेंस फी, सेल्स टैक्स की बहुत बड़ी राशि की चपत लगाई गई है। उनका कहना है कि आरोपियों को जानू बझकर छोड़ दिया गया है जबकि आरोपियों पर आईपीसी की गंभीर धाराएं दर्ज कराई जानी चाहिए थी।

- इन पर लगाया गया आरोप

- आरके महाजन, आईएएस एवं तत्कालीन सचिव

- जीतेंद्र श्रीवास्तव, तत्कालीन सचिव

- ब्रजेश मेहरोत्रा, पूर्व प्रधान सचिव

- आनंद किशोर, पूर्व सचिव

- व्यासजी , पूर्व प्रधान सचिव

- संजय कुमार, संयुक्त सचिव

-सुभाष चंद्रा, तत्कालीन ड्रग कंटोलर

-शिव शंकर साह, तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर

-गिरेंद्र शेखर सिंह, वर्तमान सिविल सर्जन, पटना

-डॉ के के सिंह, तत््कालीन सिविल सर्जन , पटना