RANCHI : बुंडू के विभिन्न होटलों में काम कर रहे 60 बाल मजदूर शनिवार को मुक्त कराए गए। श्रम विभाग के अधिकारियों ने दीया सेवा संस्थान के सहयोग से अभियान चलाकर इन बच्चों को बचाया है। इन बच्चों से होटलों व ढाबों में साफ-सफाई के साथ बर्तन धुलवाया जा रहा था। इन बच्चों को फिलहाल 'बालाश्रय' में रखा गया है और इनके परिजनों से संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है।

चल रहा है अभियान

श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पूरे राज्य में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत होटलों व अन्य दुकानों-प्रतिष्ठानों में काम कर रहे बाल मजदूरों को छुड़ाया जाता है। इसके बाद बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है। अगर किसी बच्चे के परिजन की जानकारी नहीं मिलती है तो उसके पुनर्वास की व्यवस्था बालाश्रय में की जाती है। विभाग की ओर से हर महीने लगभग 40 बाल मजदूर छुड़ाए जा रहे हैं।

ज्यादातर बाहर से लाए जाते हैं बाल मजदूर

होटलों व ढाबों में काम करने के लिए ज्यादातर बच्चे दूसरे शहरों से लाए जाते हैं। बहुत कम ही स्थानीय बच्चों से होटलों में काम लिया जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक, यहां के होटलों व ढाबों में काम करने वाले ज्यादातर बच्चे नेपाल, वेस्ट बंगाल और बिहार के हैं। इन बच्चों को मुक्त कराने का बाद काउंसलिंग की जाती है। कई बार यह बात सामने आती है कि परिवार वाले ही जबरन अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं। ऐसे में उन्हें समझाया जाता है और फिर बच्चें उन्हें सौंप दिए जाते हैं।

जुर्माना और सजा का प्रावधान

बाल श्रम अधिनियम 1986 के तहत ढाबों, घरों, होटलों में बालश्रम करवाने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके तहत बाल श्रम करवाने वाले व्यक्ति को 10 हजार रुपए का जुर्माना और दोबारा गलती करने पर 20 से 50 हजार रुपए जुर्माना और 6 माह से 3 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा 1987 में बाल मजदूरों के लिए विशेष नीति भी बनाई गई थी। इसमे जोखिम भरे व्यवसाय में लिप्त बच्चों के पुनर्वास किए जाने का प्रॉविजन है।