- स्टूडेंट्स से ली जाने वाली 60 रुपए फीस में स्कूल को करने होते हैं 30 प्रैक्टिकल

- मार्केट में केमिकल और दूसरी चीजों के दामों आसमान पर

- इस बार हाईस्कूल और इंटर में करीब 99 हजार स्टूडेंट्स देंगे एग्जाम

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LUCKNOW : यूपी बोर्ड में इंटर और हाई स्कूल के एग्जाम करने में शहर के स्कूलों के पसीने छूट रहे हैं। प्रैक्टिकल ने नाम पर स्टूडेंट्स से 60 रुपए फीस ली जाती है, जिसमें स्कूल को करीब 30 प्रैक्टिकल अनिवार्य रूप से कराने होते हैं। जो केमिकल और अन्य सामग्री के आसमान छूते दामों के चलते संभव नहीं हो पा रहा है। जबकि बोर्ड के निर्देशों के अनुसार सभी राजकीय और एडेड स्कूलों को प्रैक्टिकल एग्जाम बोर्ड परीक्षाओं से पहले कराने हैं।

बदला प्रैक्टिकल एग्जाम का पैटर्न
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने के बाद इंटरमीडिएट के प्रैक्टिकल एग्जाम के पटर्न को भी बदल दिया है। जिसके तहत इंटर के एक स्टूडेंट्स को तीनों मेन सब्जेक्ट को मिलाकर 90 प्रैक्टिकल कराना अनिवार्य है।

हर माह सिर्फ 5 रुपए प्रैक्टिकल फीस
बोर्ड के नियम के अनुसार राजकीय और एडेड स्कूल इंटर क्लास में स्टूडेंट्स से प्रैक्टिकल फीस के नाम पर 5 रुपए लेते हैं। इस हिसाब से एक स्टूडेंट्स से पूरे साल में 60 रुपए फीस वसूल की जाती है। जिसमें स्टूडेंट्स को केमेस्ट्री, फिजिक्स और बोयोलॉजी विषय के दस-दस प्रैक्टिकल कराना है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता व पूर्व प्रिंसिपल डॉ। आपी मिश्रा का कहना है कि राजधानी में राजकीय व एडेड स्कूलों में औसतन एक स्कूल में करीब पांच सौ स्टूडेंट्स हैं। जिस हिसाब से 60 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से फीस 30,000 हजार रुपए प्रैक्टिकल फीस के नाम पर जमा होते हैं। इस 30 हजार रुपए से पूरे साल के लिए तीनों लैब को मैनेटेन कर पाना एक बड़ी चुनौती साबित होता है।

60 रुपए में सिर्फ एग्जाम ही करा सकते है
केकेवी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। राहुल दीक्षित बताया कि एग्जाम के टाइम पर हम बच्चों से फीस जमा कराते हैं, उसी फीस से प्रैक्टिकल एग्जाम कराते हैं। जितना पैसा फीस से जमा होता है उसे हम एक बार ही प्रैक्टिकल एग्जाम करा सकते हैं। बाकि एग्जाम से पहले प्रैक्टिकल कराने के लिए हम स्कूल से दूसरे मदों से पैसों का इंतजाम कराते हैं। ताकि स्टूडेंट्स को एग्जाम में कोई दिक्कत न हो।

एक बच्चे पर खर्च 50 रुपए
कालीचरण इंटर कॉलज के प्रिंसिपल डॉ। महेंद्र नाथ राय बताते हैं कि प्रैक्टिकल एग्जाम कराने के लिए जो जरूरी समान मंगाया जाता है उसका औसतन खर्च निकाला जाए तो एक स्टूडेंट्स के तीनों विषयों के एक-एक प्रैक्टिकल एग्जाम पर 50 रुपए खर्च होता है। इस हिसाब से अगर स्कूल में 300 स्टूडेंट्स साइंस साइड से इंटरमीडिएट कर रहे हैं तो करीब उन पर 45 हजार रुपए का खर्च आयेगा जबकि फीस ने पूरे साल में सिर्फ 18000 हजार रुपए ही जमा होते हैं। जो काफी कम हैं। अगर पूरे साल प्रैक्टिल कराए जाएं तो फीस से हर प्रैक्टिल के लिए 1 रुपए 50 पैसे प्रति स्टूडेंट्स ही फीस जमा होती है।

प्रैक्टिकल नियम में बदलाव
रसायन विज्ञान प्रैक्टिकल में अनुमापन, मिश्रण विश्लेषण और प्रोजेक्ट मौखिकी तीन मुख्य भाग होते हैं। रसायन विज्ञान में अज्ञात विलयन की सांग्रता को अब सुलभ कर दिया गया है। मिश्रण में मूलकों की संख्या आधी कर दी गई है। पहले चार थे अब दो ही किए गए हैं। प्रोजेक्ट कार्य को काफी आसान कर दिया गया है। दैनिक जीवन से संबंधित पूरे पाठ्यक्रम में से कोई एक प्रयोग छात्रों को करना होगा। इसका विकल्प भी छात्रों पर छोड़ दिया गया है। रसायन में कुल 10 प्रयोग निर्धारित किए हैं। वहीं भौतिक विज्ञान में पहले 15 प्रयोग निर्धारित थे अब इसे बढ़ाकर 20 कर दिए गए हैं। प्रयोगों को खंडों में विभाजित किया गया है। खंड क में प्रकाशिकी और खंड में विद्युतकी से प्रयोग करना होगा। छात्रों को एक-एक प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही वर्तमान कोर्स में धारामापी और जेनर डायोड का प्रायोगिक ज्ञान प्राप्त करके उनका दैनिक जीवन में उपयोग कर सकते हैं। धारामापी को समीटर या वोल्टमीटर में बदल सकते हैं। जेनर डायोड की वोल्टता स्थिरिकारक के उपयोग कर सकते हैं। वहीं जीवन विज्ञान में ज्यादातर प्रयोग बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित कर दिए गए हैं। पर्यावरण की स्वच्छता पर ज्यादा जोर दिया गया है। जड़, तना और पुष्पीय पौधों के कुलों को सम्मिलित न करके पराक अंकुरण और डीएनए जैसे महत्वपूर्ण फॉरेंसिक शाखा से संबंधित प्रयोग प्रमुखता से पूछे जाएंगे। अनुकुलन, कामाजनन और अनुवांशिकी पर आधारित प्रयोग नवीन कोर्स के तहत एग्जाम में पूछे जाएंगे।

हर स्टूडेंट्स पांच रुपए फीस के नाम पर हर महीने ली जाती है। इस फीस से स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल के लिए समान मंगवाए जांए या फिर लैब को मैनटेंन किया जाए।

- डॉ। आरपी मिश्रा, पूर्व प्रिंसिपल

जो भी फीस प्रैक्टिकल के नाम पर स्कूल में जमा होता है। वह बोर्ड एग्जाम के प्रैक्टिकल कराने में ही खर्च हो जाता हैं। शेष प्रैक्टिकल के लिए हमे स्कूल के बजट से इंतजाम करना पड़ता हैं।

- साहेब सिंह वर्मा, अमीनाबाद इंटर कॉलेज

आज औसतन प्रैक्टिकल एग्जाम में एक स्टूडेंट्स पर 50 रुपए खर्च होता है। फीस से जितना पैसा भी जमा होता है वह सिर्फ एग्जाम पर ही खर्च हो जाता हैं।

- डॉ। महेंद्र नाथ राय, प्रिंसिपल कालीचरण इंटर कॉलेज