आयोग की तरफ़ से जमा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़ उन 675 महिलाओं में लगभग दो-तिहाई महिलाएं शादी शुदा थीं जिन्हें कथित तौर पर ग़ैर मर्दों के साथ शारीरिक संबंध रखने के कारण मार डाला गया।

आयोग के एक प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया कि 675 का आंकड़ा भी एक अंदाज़ा है और बहुत संभव है कि सच्चाई में इज़्ज़त के नाम पर मारे जाने वाली महिलाओं की संख्या इससे भी अधिक हो।

प्रवक्ता के अनुसार पूरे पाकिस्तान में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध लगातार बढ़ रहें हैं और इस बारे में मानवाधिकार आयोग एक मुक्कमल रिपोर्ट अगले साल यानी 2012 के फ़रवरी में सार्वजनिक करेगा।

बेटों और पिता ने भी मारा

प्रवक्ता ने इसकी गंभीरता को बयान करते हुए कहा कि मारे जाने वाली महिलाओं में से 71 की उम्र 18 वर्ष से कम थी। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के ही ज़रिए तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2010 में पाकिस्तान में इज़्ज़त के नाम पर 791 औरतों की हत्या कर दी गई थी।

उनमें से 400 महिलाओं को कथित तौर पर मर्दों से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में मार डाला गया था जबकि 100 महिलाओं को सिर्फ़ इसलिए मार डाला गया था क्योंकि उन्होंने अपने घरवालों की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर किसी और से शादी की थी।

वर्ष 2010 के बारे में और जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि उस साल इज़्ज़त के नाम पर मारे जाने वाली महिलाओं में से 19 को उनके अपने बेटों ने, 49 को उनके पिता ने और 169 को उनके पतियों ने क़त्ल किया था।

मानवाधिकार के लिए काम करने वाली संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक अली दायान हसन ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि ये सरकार और क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्था की असफलता है जिसके कारण क़बायली नेता और दूसरे लोग क़ानून को अपने हाथों में ले रहें हैं।

अली हसन का कहना था कि इज़्ज़त के नाम पर किए जाने वाले क़त्ल को रोकने के लिए ज़रूरी है कि मौजूदा क़ानून और प्रशासन के तौर-तरीक़ों में बदलाव के अलावा आम लोगों को भी इसके बारे में जानकारी दी जाए।

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