RANCHI: कांके के अरसंडे में 29 जुलाई की रात दीपक झा व उसके भाई रूपेश झा पांच परिजनों की हत्या कर फांसी के फंदे पर लटक गए थे। मामले में जांच के लिए शुक्रवार को कांके पुलिस रानी चिल्ड्रन अस्पताल पहुंची। अस्पताल में पुलिस को जो जानकारी मिली। उसे सुनकर पुलिस अधिकारी दंग रह गए। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि दीपक के बेटे जंगू का इलाज 29 दिनों तक अस्पताल में चला। इस दौरान कुल तीन लाख रुपए खर्च हुए थे।

अस्पताल में रूम का बिल 55 हजार

बताया गया कि ऑपरेशन के बाद जंगू को आईसीयू वार्ड में रखा गया था। ऐसे में दीपक झा और उनकी पत्‍‌नी सोनी झा प्रतिदिन अरसंडे से आना-जाना कर सकते थे। लेकिन, पति-पत्‍‌नी अस्पताल के कमरे में ही रहने लगे और वहां का बिल 55 हजार रुपए चुकाया। अस्पताल के कमरे में दीपक झा प्रतिदिन शराब भी पीता था।

सुसाइड नोट में लिखी बातें झूठ

रांची पुलिस को जो 17 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है। उसमें दीपक ने कहा है कि जंगू के इलाज में 25 लाख रुपए खर्च हो गए थे। जबकि जांच में पता चला कि तीन लाख 55 हजार रुपए ही कुल खर्च हुए थे। बाकी राशि उसने कहां खर्च की थी, पुलिस इसका भी पता लगा रही है।

कंपनी से 50 हजार मिले थे

दीपक झा जिस कंपनी में काम करता था। उसके ओनर हर्षव‌र्द्धन जैन से पुलिस ने पूछताछ की। उसने बताया कि बच्चे की बीमारी के बारे में उनलोगों को जानकारी थी। उनलोगों ने एडवांस के तौर पर 30 हजार रुपए और बिना लिखा-पढ़ी के 20 हजार रुपए दिए थे। हर्षव‌र्द्धन ने कहा कि उसके यहां तीन ही कर्मचारी थे। जिनमें से कांतेश कुमार मिश्रा उर्फ क्रिसलय मिश्रा, दीपक झा और एक अन्य कर्मचारी अजीत सिंह शामिल थे। क्रिसलय जेल चला गया। दीपक झा की मौत हो गई और अजीत सिंह 15 जुलाई को ही हार्निया का ऑपरेशन कराने गया, सो अब तक नहीं लौटा है।