राजनीति से भागते थे

राजीव गांधी के बारे में कहा जाता है कि उनकी राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। वह इसमें कभी अपना करियर नहीं बनाना चाहते थे। उनका सपना हवाई उड़ान में था। यह उनका जुनून था और वह इसी में अपना करियर बनाना चाहते थे। शायद तभी इंग्लैंड से पढ़ाई पूरी कर जब वह भारत लौटे तो दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए। यह परीक्षा राजीव गांधी पास कर गए और वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त प्राप्त कर लिया। इसके बाद वह एक पायलट के रूप में उभरे।

इंदिरा गांधी ने प्रेशर बनाया

कम उम्र में ही राजीव गांधी को अपने प्रिय भाई संजय गांधी की मौत का दुख सहना पड़ा था। 1980 में एक विमान दुर्घटना में उनके भाई संजय गांधी की मौत हो गई। इसके बाद से ही उनकी मां इंदिरा गांधी ने उनपर राजनीति में प्रवेश करने का दबाव बनाया। जिसमें उन्हें उत्तर प्रदेश के अमेठी संसद क्षेत्र में संजय की खाली सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की थी।

अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री  

राजीव गांधी की लाइफ में भी एक आम इंसान की लाइफ की तरह ही कई सारे टर्निंग प्वाइंट आए। लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले राजीव गांधी को राजनीति में आना ही पड़ा। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी मां इंदिरा गांधी की हत्या से वह काफी दुखी हुए। इसके बाद उन पर कांग्रेस का नेतृत्व करने का दबाव बना। जिसके बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बनाए गए।

क्वाटोराची से जुड़ा किकबैक

राजीव गांधी को खेल संगीत और फोटोग्राफी के क्षेत्रों में भी काफी रुचि थी। वह पश्चिमी और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय एवं आधुनिक संगीत पसंद करते थे। हालांकि अपने राजीव गांधी कई मामलों के लेकर चर्चा में भी रहे। राजीव गांधी के शासन काल में भारतीय सेना द्वारा बोफ़ोर्स तोप की खरीदारी की गई। इतना ही नहीं उनके शासन में ही इनकी पत्नी सोनिया गांधी के इटली मित्र ओटावियो क्वाटोराची से जुड़ा किकबैक (कमीशन - घूस)का मामला काफी चर्चा में रहा था।

सैम पित्रोदा के साथ शुरूआत

राजीव गांधी ने इस्कीसवी को उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे। वह देश को पूरी तरह से हाईटेक प्रणाली से जोड़ने की कोशिश में लगे थे। इसके लिए उन्होंने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर शुरूआत भी कर दी थी। इसके लिए नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर का निमार्ण किया गया था। सबसे खास बात तो यह है कि देश में आज कम्प्यूटर राजीव गांधी की ही देन है। शुरूअती दौर में इसकी काफी आलोचना हुई लेकिन आज पूरे देश की जरूरत बन गया।

तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में ब्लास्ट

श्रीलंका में तमिलों की समस्या एक बड़ी समस्या के रूप में थी। इस समस्या के हल के लिए राजीव गांधी ने अथक प्रयास किए। इसके लिए श्रीलंका में तमिलों और सेना के बीच कई सालों तक चलने वालें संघर्ष में शांति फैलाने की पहल की। उनकी इस पहल से खफा तमिल संगठन लिट्टे को बड़ा झटका पहुंचा। उसने राजीव गांधी के कदम पर नाराज होकर  21 मई 1991 को आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में ब्लास्ट करा दिया था। जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी।

इटली निवासी सोनिया से शादी

राजीव गांधी की ने इटली निवासी सोनिया गांधी से शादी की थी। कैम्ब्रिज में मुलाकात के बाद उनकी गहरी दोस्ती हो गई थी। इसके बाद  1968 में राजीव गांधी ने सोनिया गांधी से शादी कर ली। इसके बाद सोनिया गांधी भी राननीति के क्षेत्र में आ गईं। आज उनके बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी राजनीति मतें सक्रिय हो चुके हैं।

Interesting News inextlive from Interesting News Desk