रांची: झारखंड के पावर सेक्टर में निवेश के लिए टोटल 26 एमओयू पर साइन किये गए थे, लेकिन अफसरों की लापरवाही का नतीजा है कि इनमें निवेश होने वाले 75000 करोड़ के डेवलपमेंट प्लान फाइलों में ही दफन होकर रह गए. अगर ये एमओयू धरातल पर उतरते तो 26,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता. लेकिन इन पावर कंपनियों में से अधिकतर को न तो जमीन मिली और न ही कोयला खदान. दिलचस्प बात यह है कि इन 26 एमओयू के जरिये सिर्फ आठ कंपनियों को ही कोयले का खदान मिल पाया, जिसमें बिजली बोर्ड को तीन खदान (लातेहार में बनहर्दी, संताल में उरमा पहाड़ी कोल ब्लॉक और हजारीबाग में मौर्या कोल ब्लॉक) मिले. इसके अलावा टाटा पावर, रिलायंस, जिंदल, आधुनिक, एस्सार और अभिजीत को कोयला खदान मिला. लेकिन किसी भी खदान से कोयले का खनन शुरू नहीं हो पाया. वहीं पंजाब और हरियाणा को बादलपारा और कल्याणपुर कोल ब्लॉक आवंटित किये गए.
प्लांटों के निर्माण में फंसा पेंच
राज्य में तीन अल्ट्रामेगावाट पावर प्लांट के निर्माण में अब तक पेंच फंसा हुआ है. दो साल से गाड़ी एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है. रिलायंस के पीछे हटने के बाद तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट की हालत भी जस की तस है. टीवीएनएल के विस्तारीकरण को कैबिनेट से स्वीकृति डेढ़ साल पहले मिली. लेकिन काम जरा भी आगे नहीं बढ़ा. देवघर अल्ट्रा मेगावाट पावर प्लांट के लिये जमीन अधिग्रहण ही नहीं हुआ. इन तीनों पावर प्लांट में 56 हजार करोड़ रुपये निवेश किया जाना है. लेकिन अब तक एक कौड़ी भी निवेश नहीं हो पायी है. फिलहाल पतरातू प्लांट का शिलान्यास किया गया है. इसे भी बनने में 36 से 42 माह का समय लगेगा.
--------------
तीनों पावर प्लांट का ये है हाल
तिलैया पावर प्लांट रिलायंस के पीछे हटने के बाद राज्य सरकार ने ऊर्जा मंत्रालय को प्रपोजल भेजा. पहले विकल्प के रूप में कहा गया कि इसके लिए फिर से टेंडर कराया जाये. दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि प्लग एंड प्ले मोड की वर्तमान प्रक्रिया को बंद कर, नई प्रक्रिया के तहत तिलैया पावर प्लांट को किसी अन्य पावर कंपनी को दिया जाये. इसके बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ.
तेनुघाट पावर प्लांट
इस प्लांट के विस्तारीकरण को डेढ़ साल पहले कैबिनेट से स्वीकृति मिली. अब तक काम आगे नहीं बढ़ा. विस्तारीकरण के लिए 660-660 मेगावाट की दो यूनिटें लगाई जानी थीं. इस प्लांट के लिये राजबार कोल ब्लॉक आवंटित भी किया गया. इसका माइनिंग प्लान भी कोयला मंत्रालय को भेजा गया. लेकिन डेढ़ साल से इसकी भी स्थिति जस की तस है.
देवघर अल्ट्रा मेगावाट पावर प्लांट
इसके लिये गोसाई पहाड़ी कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया. 2432 एकड़ जमीन चिन्हित की गई. इसमें 1732 एकड़ निजी, 300 एकड़ सरकारी और 400 एकड़ वन भूमि थी. प्लांट के शेयर होल्डिंग की जिम्मेवारी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन को दी गई थी. यह 4000 मेगावाट का पावर प्लांट होगा. स्थिति जस की तस बनी हुई है.
-----------------------
सोलर पावर प्लांट भी अटका
प्रदेश में सोलर पावर प्लांट के लिये भी एमओयू किये गये. कई कंपनियों ने प्रस्ताव भी दिया. लेकिन ये सभी भी धरातल पर नहीं उतर पाए. इसमें मोजरबियर ने 100 मेगावाट, क्रॉस ने 100 मेगावाट, सुरभी ने 25 मेगावाट, एस्मीटेलीपावर ने 30 मेगावाट, आरएसबी एनर्जी ने 20 मेगावाट, भगवती इंटरनेशनल ने 20 मेगावाट, रिन्यू विंड ने 10 मेगावाट, मिलेनियम ने 10 मेगावाट और प्रिमियम सोलर ने 25 मेगावाट का प्रस्ताव दिया था.
किस कंपनी के साथ कितने करोड़ का हुआ था एमओयू
कंपनी मेगावाट एमओयू (करोड़ में)
जिंदल 2000 10,000
टाटा पावर 3000 12,000
रूंगटा माइंस 500 500
मैथिली एनर्जी 4000 4,000
जीएमआर एनर्जी 4000 4,000
जीवीके 1200 5,000
आदित्य बिड़ला 1200 4,200
परागदिश पावर 2640 1,000
एसकेएस इस्पात 1000 4,200
इलेक्ट्रो स्टील 1000 4,021
सूर्या विनायक 1000 4,300
गंगा स्पांज 1000 4,500
केवीके नीलांचल 1000 4,000
वीजा पावर 2500 1,429
जायसवाल नीको 1500 2,000
अभिजीत 1000 4,000
एनटीपीसी 1200 4,800
रिलायंस एनर्जी 1000 4,000
इमामी पेपर 1000 4,000
मां चांदी 1000 4,000
आधुनिक 1000 4,000
कोर स्टील 1000 4,050
गुप्ता एनर्जी 1000 4,000
सीएससी 1000 4,000
मधुकॉन 1000 4,500
कॉरपोरेट एलॉयज 1215 4,000
नोट-वर्तमान में ये प्रोजेक्ट भी लटके
किस पावर प्लांट में कितना होता निवेश
तिलैया अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट -4000 मेगावाट-24 हजार करोड़ रुपये.
देवघर अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट-4000 मेगावाट-24 हजार करोड़ रुपये.
टीवीएनएल-1320 मेगावाट-7920 करोड़