बढ़ता जा रहा यह उत्पीड़न

यूनिसेफ की रिपोर्ट हिडेन इन साइट में का कहना है कि बच्चों के खिलाफ हिंसा का प्रचलन इतना अधिक है और यह समाज में इतनी गहराई तक समाई हुई है कि इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है. इसके साथ ही इसे एक सामान्य बात मानकर स्वीकार कर लिया जाता है. हालांकि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस उम्र समूह की आधी से ज्यादा लड़कियों ने अपने माता-पिता के हाथों शारीरिक प्रताड़ना को भी झेला है.

जबरदस्ती का शिकार

रिपोर्ट में कहा गया कि 15 साल से 19 साल तक की उम्र वाली 77 परसेंट लड़कियां कम से कम एक बार अपने पति या साथी के द्वारा यौन संबंध बनाने या अन्य किसी यौन क्रिया में जबरदस्ती का शिकार हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार साउथ एशिया में साथी द्वारा की जाने वाली हिंसा भी व्यापक तौर पर फैली है. वहीं शादीशुदा या किसी के साथ संबंध में चल रही पांच में से कम से कम एक लड़की अपने साथी द्वारा सेक्सुअल हेरेसमेंट की शिकार हुई है.

क्या कहते हैं आंकड़े

साल 2012 के कम उम्र के मानव हत्या मामलों की संख्या के आधार पर इंडिया तीसरे स्थान पर है. साल 2012 में 0 से 19 साल के उम्रसमूह के लगभग 9400 बच्चे और किशोर मारे गये. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 15 साल से 19 साल के उम्रसमूह की लगीाग 41 से 60 परसेंट लड़कियां मानती हैं कि यदि पति या साथी कुछ स्थितियों में अपनी पत्नी या साथी को मारता-पीटता है, तो यह सही है. इसके अलावा 190 देशों में जुटाये गये आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया भर के लगभग दो तिहाई बच्चे या 2 साल से 14 साल के उम्रसमूह के लगभग 1 अरब बच्चे उनकी देखभाल करने वाले लोगों के हाथों नियमित रूप से शारीरिक दंड पाते रहे हैं. 

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