--ओरमांझी ब्लॉक से आठ किमी दूर स्थित कुटे गांव की है घटना

--बकरीद के मौके पर लगा था मेला, 11 बच्चे लाए गए रिम्स

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RANCHI (6 Oct): ओरमांझी ब्लॉक से आठ किमी दूर स्थित कुटे गांव में सोमवार को मेला में अंडा और फुचका खाने से 78 बच्चे बीमार हो गए। फूड प्वॉयजनिंग के शिकार इन बच्चों में से क्क् को रिम्स लाया गया, जबकि वहां लगाए गए कैंप में बाकी लोगों का इलाज किया गया। शाम सात बजे तक हेल्थ कैंप में क्0-क्ख् लोगों का इलाज चल रहा था। डॉक्टर्स ने कहा कि रात तक बाकी पेशेंट्स को भी कैंप से रिलीज कर दिया जाएगा।

कुटे में रहते हैं भ्00 परिवार

कुटे गांव में करीब भ्00 परिवार रहते हैं। इस गांव की आबादी करीब ख्0 हजार के आसपास है। यह गांव मुस्लिम बहुल है, जबकि कुछ हिंदुओं का भी घर है। सोमवार को बकरीद के मौके पर बाजारटांड़ स्थित ईदगाह में नमाज अदा की जा रही थी। ईदगाह के पास ही मेला लगा हुआ था, जहां गांव की महिलाएं, बूढ़े और बच्चे घूम रहे थे। दोपहर लगभग एक बजे मेला में लगे ठेलों पर अंडा और फुचका बिक रहा था और बच्चे इसका लुत्फ उठा रहे थे।

और होने लगी उल्टी

अंडा खाने के बाद लगभग दो बजे क्0 साल के मोहताब अंसारी को उल्टी होने लगी और पेट दर्द की शिकायत कहकर वह वहीं गिर गया। मेला में उपस्थित लोगों को जब तक कुछ समझ में आता, कई बच्चे एक साथ उल्टी करने लगे। एक साथ फ्0 से फ्भ् बच्चे मेला में ही दर्द के मारे रोने लगे और उनको लगातर उल्टियां होने लगी। इसके बाद मेला से घर गए लोग भी दर्द और उल्टी से परेशान होने लगे और देखते देखते पूरे गांव के लगभग 78 बच्चे बीमार हो गए। उनके माता-पिता परेश्ान हो गए।

फ्0 बच्चे पहुंचे डॉक्टर्स के पास

दोपहर दो बजे के बाद गांव के करीब फ्0 बच्चे एक साथ ओरमांझी स्वास्थ केंद्र स्थित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आरबी सिंह के घर पर पहुंचे। जिस समय बच्चे डॉक्टर के पास पहुंचे उस समय क्क् बच्चों की स्थिति बहुत खराब थी। तुरंत उन्हें एंबुलेंस से रिम्स भेजा गया और बाकी लोगों का ओरमांझी में ही इलाज शुरू किया गया। बाद मे गांव के ही पंचायत मुख्यालय में कैंप लगाया गया और सभी बच्चों का कैंप में ही इलाज शुरू किया गया। देर रात तक बच्चों का कैंप में इलाज किया जा रहा था। इधर रिम्स लाए गए बच्चों की स्थिति भी खतरे से बाहर है। कई बच्चों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया।

दो-तीन दिन पहले ब्वॉयल किया था अंडा

मेला में उपस्थित मो इरसाद ने बताया कि मेला में बच्चे जो अंडा खा रहे थे वह काला हो गया था। वह अंडा देखने से ही खराब लग रहा था। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे कैसे बीमार पडे़ यह तो जांच का विषय है, लेकिन शुरुआती जांच से पता चला है कि बच्चों को फूड प्वायजनिंग हुई थी। ऐसा हो सकता है कि जो अंडा बच्चों ने खाया है वह दो- तीन दिन पहले ही ब्वॉयल किया गया हो, जिसे खाने के बाद बच्चे बीमार हो गए।

एक साल का आफताब भी बीमार

मेला में फूड प्वॉयजनिंग से जितने भी बच्चे बीमार हुए उनमें एक साल से लेकर क्क् साल तक के बच्चे शामिल हैं। इनमें एक साल का आफताब भी शामिल है। उसके पिताजी ने बताया कि मेरी बेटी ने एक अंडा खरीदा और उसी में से छोटे भाई ने एक साल के आफताब को थोड़ा सा खिलाया। उसे भी लगातार उल्टी हो रही थी। बाद में बच्चे को भी गांव के कैंप में इलाज किया गया। जो बच्चे बीमार हैं, उनमें अधिकतर लड़कियां श्ामिल हैं।

व्यवस्था की खुली पोल

कुटे गांव में जल्दबाजी में प्रशासन के द्वारा गांव के पंचायत सचिवालय में ही कैंप लगाया गया था। लेकिन कैंप में व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी बीमार लोगों को जमीन पर लिटाया गया था और इलाज किया जा रहा था। शाम होते-होते कुटे पंचायत सचिवालय में अंधेरा छा गया। कुछ देर तक सभी लोग अंधेरे में रहे और फिर इसके बाद आनन-फानन में प्रशासन के द्वारा जेनरेटर चलाया गया, जिसके बाद इलाज शुरू हुआ।

वर्जन

सोमवार को कुटे गांव में मेला में कुछ खाने की वजह से करीब 78 बच्चों को फूड प्वाइजनिंग हुई थी। अधिकतर बच्चों को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी। इसमें से क्क् बच्चों को रिम्स रेफर किया गया और गांव में ही कैंप लगाकर बच्चों का इलाज किया जा रहा है। सभी बच्चों की स्थिति अब खतरे से बाहर है।

डॉ आरबी सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, ओरमांझी