- 44 करोड़ के नरौरा सीवरेज प्रोजेक्ट पर खर्च कर दिये थे 90 करोड़ रुपये

- ठेकेदारों से गठजोड़ में नमामि गंगे की रकम भी कागजों में निपटाई

LUCKNOW : जल निगम में घोटालों की फेहरिस्त खत्म होने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला सामने आया नरौरा सीवरेज परियोजना में जहां 44 करोड़ रुपये की परियोजना पर निगम के अधिकारियों ने करीब 90 करोड़ रुपये खर्च कर दिये। इतना ही नहीं, नमामि गंगे प्रोजेक्ट की रकम भी सीवरेज के नाम पर खपा दी गई। जल निगम ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए प्रोजेक्ट के जीएम रहे सुपरीटेंडिंग इंजीनियर के साथ एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, दो असिस्टेंड इंजीनियर और चार जूनियर इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है।

यह था मामला

जल निगम के कर्मचारी बताते हैं कि करीब तीन साल पुराना यह घोटाला डेढ़ साल पहले निगम मैनेजमेंट की जानकारी में आया था, लेकिन तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर ने चार्जशीट जारी नहीं की। हालांकि, इस बार मामला उछलने पर मैनेजमेंट को कार्रवाई करनी पड़ी। दरअसल, गाजियाबाद जल निगम की यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई (प्रथम) के प्रोजेक्ट मैनेजर ऑफिस ने केंद्र सरकार के नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) कार्यक्रम के तहत स्वीकृत नरौरा सीवरेज परियोजना के लिए ठेकेदारों से 44 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट किया था। कर्मचारियों के मुताबिक, ठेकेदारों से मिलीभगत में परियोजना के अधिकारी लागत को लगातार बढ़ाते चले गए। यहां तक कि नमामि गंगे परियोजना के लिए तय रकम भी अधिकारियों ने नरौरा सीवरेज परियोजना पर खर्च कर दी। नरौरा पर निगम के कागजों में कुल 90 करोड़ रुपये तक खर्च होने के साथ ही ठेकेदार का 30 करोड़ रुपये बकाया भी है। अनुबंध से अधिक रकम खर्च होने के कारण यह भुगतान भी रुका है।

निलंबन के साथ विभागीय कार्रवाई के भी निर्देश

जल निगम के प्रबंध निदेशक राजेश मित्तल ने यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई (प्रथम) के महाप्रबंधक रहे सुपरीटेंडिंग इंजीनियर केशव गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर रहे एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मो। ताहिर, प्रोजेक्ट इंजीनियर रहे दो असिस्टेंट इंजीनियर अमीरुल हसन व फराहीम अहमद, असिस्टेंट प्रोजेक्ट इंजीनियर रहे चार जूनियर इंजीनियर रवि शुक्ला, कौशल किशोर, अकबर हसन व नौशाद अली और अकाउंटेंट सुभाष सिंह को सस्पेंड करते हुए विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं। चीफ इंजीनियर लेवल 1 मो। जुबैर अहमद को जांच अधिकारी नामित किया गया है।

कुछ और अधिकारी-कर्मचारी फंसेंगे

नरौरा घोटाले में निगम कर्मचारियों को कुछ और नाम सामने आने की उम्मीद है। इसमें एक वह अधिकारी भी शामिल हैं जो अब रिटायर हो चुके हैं और जिन्हें चीफ इंजीनियर लेवल 1 का पद न होते हुए भी वहां बनाए रखा गया। कर्मचारियों में चर्चा है कि इन्हीं अधिकारी को बचाने के लिए निगम प्रबंधन ने डेढ़ साल पहले मामला जानकारी में आने के बाद भी चार्जशीट जारी नहीं की थी। इसी तरह कुछ और लोगों के नाम इस मामले में सामने आने की उम्मीद की जा रही है।