सिविल लाइंस थाने में 2015 में दर्ज हुआ था धोखाधड़ी का मामला

वादी की गुहार पर एसएसपी ने कैंट पुलिस को दिया जांच का आदेश

ALLAHABAD: बरसों से सिविल लाइंस थाने में धूल फांक रही नब्बे लाख की धोखाधड़ी की फाइल फिर खुल गई। ऐसा हुआ है वादी की गुहार पर एसएसपी की ओर से मामले की जांच का आदेश देने के कारण। बता दें कि नैनी थाने के धनुवा गांव निवासी महेन्द्र ने एचडीएफसी बैंक के अंजना यादव, लकी यादव, यशार्थ शुक्ला, रंजना अग्रवाल समेत कई अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। मामला दर्ज होने के बाद सभी आरोपी फरार हो गए। पुलिस ने भी जांच में रूचि नहीं ली मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सीओ सिविल लाइंस श्रीश्चन्द्र के आदेश पर इसकी जांच कैंट पुलिस को दी गई है।

धोखे से ले लिए कागजात

नैनी थाना क्षेत्र के धनुवा गांव निवासी महेन्द्र, विरेन्द्र, अशर्फी व दिनेश सगे भाई हैं। आरोप है कि नैनी के याशार्थ शुक्ला व लकी यादव ने चारों भाईयों से सम्पर्क किया और एक एंग्रीमेंट के तहत इनकी जमीन को खरीदने की बात कही। याशार्थ ने इनकी जमीन को नब्बे लाख रुपए में लेने की बात कही। बात फाइनल होने पर दोनों ने बैंक में खाते खुलवाने के बहाने जमीन के कागजात, फोटो, आईडी ले ली और फर्जी तरीके से एचडीएफसी बैंक में सभी के नाम अलग-अलग खाता खुलवा दिया।

बैंक अधिकारी की मिलीभगत

मामले की कोर्ट में पैरवी कर रहे हाईकोर्ट अधिवक्ता रघुनंनद सिंह ने बताया कि चारों भाई लिखे पढ़े नहीं हैं। आरोपियों ने बैंक अधिकारी अंजना यादव की मिलीभगत से बैंक में खाता खुलवाया और फर्जी चेक देकर गुमराह कर दिया। जब चारों भाईयों ने बैंक में चेक लगाया तो वह बाउंस हो गया। इसकी जानकारी होने पर महेन्द्र ने सिविल लाइंस थाने में बैंक अधिकारी अंजना यादव, लकी यादव, यशार्थ, डा रंजना अग्रवाल समेत कई अन्य लोगो के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई। अधिवक्ता के मुताबिक डॉ। रंजना ने आरटीजीएस के माध्यम से पूरा पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर किया था।

बैंक अधिकारी समेत कई अन्य लोगों ने मिलकर नब्बे लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। मामले की जांच फिर से की जा रही है। जल्द ही सभी आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा।

श्रीश्चन्द्र, सीओ, सिविल लाइंस