रोज मारा-पीटा जाता था, गर्म सलाखों से दागा जाता था, आखिर कब तक सहता

- चार साल से बर्दाश्त कर रहा था 12 साल का अनिल

- एजी कॉलोनी में बिल्डर अनिल सिंह के घर करता था काम

-पूरन सिंह नामक व्यक्तिने पहुंचाया जेडीयू स्टेट प्रेसिडेंट के घर

PATNA: 12 साल के मासूम अनिल पर चार साल से जुल्म ढाया जा रहा था। उसे मारा-पीटा जाता, गर्म सलाखों से दागा जाता। छोटी गलती होने पर उसे कई दिनों तक भूखा रखा जाता। सिर्फ एक वक्तका खाना खाकर अब वह जीने को तैयार नहीं था। आखिरकार उसने हिम्मत जुटाई और किसी तरह भाग निकला। उसके शरीर पर जख्मों के निशान ढाये गये बेइंतहा जुल्म की सच्चाई बयान कर रहे हैं। चेहरे से लेकर शरीर के हर अंग पर दाग ही दाग है। काम करने से उसके हाथों में भी निशान पड़ गये हैं। वह कौटिल्य विहार नगर, एजी कॉलोनी में बिल्डर अनिल सिंह के यहां काम करता था। चार साल से वह उनके घर में नौकर था, यानी आठ साल की उम्र से ही उससे बाल मजदूरी करवाई जा रही थी। गुरुवार को उसे लेबर डिपार्टमेंट ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया, इसके बाद से अपना घर में रखा गया है। राजवंशी नगर अस्पताल में उसका मेडिकल चेकअप हुआ। अनिल शीतलपट्टी, चिरैयां थाना मोतिहारी का रहने वाला है। उसके पिता महावीर महतो मजदूरी करते हैं। लेबर डिपार्टमेंट के ऑफिसर ने बताया कि पिता ने ही उसे अनिल सिंह के घर पहुंचाया था।

टीम पहुंची अनिल सिंह के घर

अनिल जब एजी कॉलोनी से भागा, तो उसे पूरन सिंह नाम के व्यक्तिने जेडीयू के स्टेट प्रेसिडेंट वशिष्ठ नारायण सिंह के घर पहुंचाया। उन्होंने इसकी इंफॉरमेशन लेबर मिनिस्टर को दी, तब डिपार्टमेंट की कार्रवाई शुरू हो गई। लेबर सुपरिंटेंडेंट रणवीर रंजन ने बताया कि बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है, डिपार्टमेंट की टीम अनिल सिंह के घर पहुंची जहां उनको नोटिस दिया गया। डिपार्टमेंट की ओर से बच्चे के पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 20 हजार रुपए और मिनिमम वेजेज फाइन के तौर पर 20950 रुपए के फाइन का नोटिस दिया गया। उनके घर पर न अनिल सिंह थे और न ही उनकी पत्नी। ऐसे में उनके घर पर नोटिस चिपका दिया गया है। बच्चे को मात्र 1500 रुपए हर माह दिया जाता था।

हर घर में अनिल जैसे!

बाल मजदूरी पर रोक के बाद भी यह बीमारी बढ़ती जा रही है। मजदूरी करवाने वाले जुल्म भी ढा रहे। घर के अंदर इतना जुल्म तो बाहर जाकर मजदूरी करने वालों को कौन रोक सकेगा। राजधानी के ऐसे कई घर मिल जाएंगे, जहां नाबालिग बच्चों से काम ही नहीं करवाए जा रहे, बल्कि उसकी पिटाई भी की जाती रही है। दुनिया में इन विषयों पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले भी घर में इस नियम-कानून को भूल जाते हैं। बड़े-बड़े अफसरों के घर में भी नाबालिगों को नौकर बनाकर रखा जाता है।

हत्या तक कर दी गई सुमित्रा की

सुमित्रा रहने वाली तो शेखपुरा की थी मगर बुद्धा कॉलोनी के नीलांबर अपार्टमेंट में गीता रानी के घर मेड का काम करती थी। इतनी पिटाई की गई कि उसकी मौत हो गई। उसे भी मारा-पीटा जाता था और गर्म सलाखों से दागा गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसकी मौत का कारण मारपीट ही आया। घटना के दो महीने से अधिक होने के बाद भी बुद्धा कॉलोनी की पुलिस अबतक गीता को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

अनिल को वर्षो घर में काम करने से मुक्त कराया गया है, उसे सरकार की योजना से जोड़ा जाएगा।

-चंद्रेश्वर चंद्रवंशी, अध्यक्ष, बालश्रम आयोग