RANCHI : रिम्स में मानवता फिर शर्मसार हुई है। राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल के न्यूरो वार्ड में एक बुजुर्ग का शव लावारिस हालत में करीब 22 घंटे तक बेड पर पड़ा रहा, लेकिन इसकी सुध किसी ने नहीं ली। शव को वार्ड से हटाना तो दूर उसे देखने की भी जहमत किसी ने नहीं उठाई। नर्से जहां आंखें मूंदी रहीं, वहीं जानकारी मिलने के बाद भी शव को ले जाने के लिए ट्रॉली मैन नहीं पहुंचा। ऐसे शव की बदबू से अगल-बगल के बेड पर इलाजरत मरीजों व उनके अटेंडेंट को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने जब आवाज बुलंद की तो शव को उठाकर माच्र्युरी में ले जाने की इजाजत मिली।

सोमवार को ही हुई थी मौत

न्यूरो सर्जरी के डॉक्टर सीबी सहाय के यूनिट में एक अज्ञात बुजुर्ग का इलाज चल रहा था। उसे धुर्वा के एचईसी से 14 जुलाई को रिम्स में एडमिट किया गया था। सिर पर गंभीर चोट होने के कारण उसे इमरजेंसी से सीधे न्यूरो सर्जरी वार्ड में भेज दिया गया। इस बीच इलाज के दौरान सोमवार की शाम शाम चार बजे बुजुर्ग मरीज की मौत हो गई।

प्रक्रिया पूरी होने में लग गए 22 घंटे

लावारिस मरीज की मौत के बाद डॉ सीबी सहाय के यूनिट से सुपरिंटेडेंट के नाम एक लेटर भेजा गया। जिसमें लावारिस के शव का हटाकर माच्र्युअरी में शिफ्ट कराने की बात कहीं गई थी। लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी करने के चक्कर में उसकी बॉडी का उठाव वार्ड से नहीं हो पाया। इस बीच 22 घंटे तक उसका शव दर्जनों मरीजों के बीच बेड पर ही पड़ा रह गया।

सूचना देने के बाद नहीं पहुंचा ट्रॉली मैन

न्यूरो सर्जरी में इलाज करा रहे मरीजों के पजिनों के अनुसार, बुजुर्ग मरीज की मौत की जानकारी ट्रालीमैन को तुरंत दे दी गई थी। लेकिन, ड्यूटी में तैनात ट्राली मैन ने इसे अनसुना कर दिया और चलता बना। नर्सो ने भी इस बाबत रिम्स प्रबंधन को शव उठाने को लेकर सूचना देने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में मरीजों के बीच बेड पर ही एक बुजुर्ग का शव 22 घंटे तक यूं ही पड़ा रहा।

किस काम का आई यू हेल्प ?

रिम्स में मरीजों को बेहतर सुविधा व सहूलियत देने के लिए आई यू हेल्प की शुरूआत की गई है। इसके जरिए जरूरत पड़ने पर मरीज अथवा डेड बॉडी को ले जाने के लिए ट्रॉली उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन यह सेवा किसी काम का साबित नहीं हो रहा है। जरूरतमंदों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है।