3330 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट का फाउंडेशन अक्टूबर मंथ में दशहरा के दौरान रखा जाएगा। दो सालों में इसे पूरा करने का टारगेट है। गंगा पाथ का पूरा होना स्टेट के लिए  इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेक्टर में बड़ी उपलब्धि होगी। बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन के सूत्रों का कहना है कि इस टेंडर के लिए सात में से चार कंपनियों ने क्वालिफाई किया था, जिनमें फाइनली नवयुग को इंजीनियरिंग प्रिक्योरमेंट कांट्रेक्ट (ईपीसी) मोड पर टेंडर अवार्ड किया गया। गंगा पाथ में 50 परसेंट रोड और 50 परसेंट एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे। कंपनी को कॉरपोरेशन की ओर से लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस भी इश्यू कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन कॉस्ट करीब 2000 करोड़ रुपए है। दूसरे एक्सपेंस जैसे लैंड एक्वीजिशन आदि को लेकर टोटल 3330 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है।

कम टाइम में लांग डिस्टेंस तय

यूपी व झारखंड की ओर से नार्थ बिहार जाने वाले लोगों को दानापुर से गांधी सेतु तक के 25-30 किमी का एक्स्ट्रा सफर तय करना पड़ता था। गंगा के किनारे बनने वाले इस फोर लेन से उन्हें यह एक्स्ट्रा डिस्टेंस तय नहीं करना पड़ेगा। इस डिस्टेंस को गंगा पाथ से तय करने में मात्र 20 मिनट का टाइम लगेगा। गंगा पाथ की कनेक्टिविटी सिटी में पांच जगहों से जुड़ेगी। दीघा और दीदारगंज के अलावा यह राजापुर पुल, पीएमसीएच और पटना सिटी से भी जुड़ेगा।

ग्रीन सिग्नल के बाद भी थे हर्डल

उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट के लिए एन्वायरमेंटल क्लीयरेंस लिया जा चुका था। स्टेट लेवल एक्सपर्ट अप्राइजल कमेटी, टेक्निकल कमेटी ऑफ स्टेट लेवल एन्वायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने इसे गो अहेड सिग्नल दे दिया था। बिहार स्टेट गंगा रिवर कंजर्वेशन मैनेजमेंट सोसायटी ने भी नो ऑब्जेक्शन जारी किया था। उन्होंने रिपोर्ट में क्लीयर किया है कि इस प्रोजेक्ट से ना तो गंगा के नैचुरल कोर्स और ना ही इसके फ्लोरा और फॉउना पर कोई बुरा असर पड़ेगा। सोसायटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जिस लैंड पर यह रोड प्रपोज्ड है, वह ऑलरेडी बेकार पड़ी है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से भी इस प्रोजेक्ट को पहले ही ग्रीन सिग्नल मिल चुका था, पर तीन बार पीपीपी मोड पर टेंडर के बाद भी इस प्रोजेक्ट के लिए एक भी बीडर नहीं आया। बाद में रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने ईपीसी मोड पर टेंडर करने का डिसीजन लिया।

Highlights

गंगा पाथ के नाम की भी इंटररेस्टिंग स्टोरी है। 2005 में जब इस प्रोजेक्ट का सपना बुना गया था, तो इसे गंगा एक्सप्रेस वे का नाम दिया गया। फिर बाद में इसे गंगा ड्राइव वे कहा गया। कुछ दिनों के लिए इसे सिग्नेचर रोड कहा गया, फिर फाइनली गंगा पाथ के नाम पर मुहर लग गई। ईपीसी मोड के तहत प्रोजेक्ट कॉस्ट का 60 परसेंट कंपनी और 40 परसेंट गवर्नमेंट देती है।

क्या होगा फायदा

पटना वेस्ट से होकर नार्थ बिहार जाने में पहले जहां 2 घंटे का एक्स्ट्रा सफर तय करना पड़ता था, इस ड्र्राइव वे के बनने के बाद यह डिस्टेंंस सिर्फ 20 मिनट में ही तय किया जा सकेगा।  

Nano info

-  टोटल 3330 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट

- कंस्ट्रक्शन वर्क 2000 करोड रुपए का

- गंगा के किनारे 21.5 किमी लंबी सड़क

- पटना वेस्ट को नार्थ पार्ट से जोड़ेगी यह सड़क

- 50 परसेंट रोड और 50 परसेंट एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे

गंगा पाथ सिटी ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के लोगों का सपना था। आज इस राह में हमने पहला कदम बढ़ाया है। डेफिनेटली यह स्टेट के लिए बड़ा अचीवमेंट है। मुझे नहीं लगता कि ईपीसी मोड पर इतना बड़ा प्रोजेक्ट किसी नेबरिंग स्टेट में भी है।

प्रत्यय अमृत

एमडी, बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड