हाई टेक सेलफोन हों, टेलीविजन पर आने वाले प्रोग्राम्स हों या इंटरनेट हो, बड़ी बात ये है कि बच्चों को इनसे दूर नहीं रखा जा सकता। इसका मतलब ये नहीं कि इसे यूं ही छोड़ दें। हां, इससे निपटने का तरीका बच्चे को डांटना-डपटना नहीं है। इसके लिए आपको कुछ चीजें वैसे ही बिहेवियर में शामिल करनी होंगी जैसे आप उसके सही न्यूट्रिशन के लिए एफट्र्स करते हैं.Laptop
Be aware of how they connect to technology
ये सबसे बड़ी जरूरत है। अगर आपको ही टेक्नोलॉजी का यूज पता नहीं है तो एक तो आप उसकी जरूरत नहीं समझ पाएंगे। दूसरे पूरे चांसेज हैं कि बच्चे आपसे कुछ छिपा ले जाएं। अगर आप कम्प्यूटर घर ला रहे हैं तो उसकी टेक्निकैलिटीज ना सही मगर नेट का यूज जैसी आसान चीजें सीख सकते हैं। उसमें क्या स्टोर हो रहा है ये देख सकते हैं। फोन, गेम्स और वे सारी चीजें जो बच्चे ज्यादा यूज करते हैं, के बारे में जानें.
Talk to other parents
जरूरी नहीं कि किसी एक को लगभग हर चीज के बारे में पता हो। ऐसे में दूसरे पैरेंट्स से टच में रहना थोड़ा बेहतर हो सकता है क्योंकि इससे आपको उनकी सोच के बारे में भी पता चलता है। हो सकता है आपको ये पता चले कि कोई एक चीज जिसे आप इतना छोटा मान रहे थे वास्तव में कितनी जरूरी है। इससे आपको बच्चों की जरूरतों के बारे में बेहतर जानकारी होगी.
Keep computers in open areas
ओपेन एरिया में पीसी रखने से आप उनकी एक्टिविटीज को मॉनिटर कर सकेंगे। इसी तरह बच्चों के मन में भी डर बना रहेगा और वह किसी भी गलत काम में इंडल्ज होने से बचेंगे.Teen Laptop
Know the rules
आपके बच्चे नेट पर क्या सर्फ कर रहे हैं, या किस गेम की डिमांड कर रहे हैं, उसे ओके करने से पहले उसके बारे में ये पता कर लें कि वो उनकी एज के लिए है कि नहीं। ऐसी कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जो सिर्फ 13 या उससे ऊपर की एज के बच्चों के लिए
हैं। ऑनलाइन और टेक वर्ल्ड बराबर बदलती रहती हैं। अलग-अलग तरह के फीचर्स वाली डिफरेंट सर्विसेज आती रहती हैं। उनके बारे में जानकारी करें और ये पता करें कि यंग जनरेशन उन्हें कैसे यूज कर रही है। ये आपको अपने बच्चों और डिजिटल वर्ल्ड का कनेक्शन समझने में हेल्प करेगी और आपके बच्चों के लिए भी हेल्पफुल साबित हो सकती है.
Better safe than sorry
एक फैक्ट ये है कि आप अपने बच्चों को टेक्नोलॉजी से दूर नहीं रख सकते। हां, उन्हें इसके साइड इफेक्ट्स से बचाया जरूर जा सकता है। अगर आपकी कंसर्न सेल फोन है तो ‘सेल फोन मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर’ इंस्टॉल कराना सेफ होगा। इसके कई फायदे हैं.Mobile E-mail& message monitoring इसके जरिए पैरेंट्स वो सारे ईमेल-मैसेजेस, टेक्स्ट मैसेजेस, मल्टीमीडिया
मैसेजेस को देख सकेंगे जो उस मोबाइल फोन से ट्रांसमिट किए गए हैं। Keyword alert: इसकी मदद से कुछ अलार्मिंग कीवर्डस आइडेंटिफाई किए जा सकते हैं। उन कीवर्डस का टेक्स्ट मैसेज या
ईमेल में यूज करने पर पैरेंट्स को इसकी इंफॉर्मेशन मिल जाएगी।
Mobile calls view इससे आप बच्चे के इनबाउंड और आउटबाउंड कॉल्स देख सकेंगे। बच्चों की सारी वॉइस कम्यूनिकेशंस को मॉनिटर कर सकते हैं। यहां तक कि कॉल्स का टाइम, ड्यूरेशन और डेट भी पता लगा सकते हैं। Mobile contacts view इसके जरिएआप अपने बच्चे के मोबाइल फोन में स्टोर्ड पूरी एड्रेस बुक देख सकते हैं। GPS: इससे आप अपनी चाइल्ड के आउटडोर हैंगआउटस का आराम से पता लगा सकते हैं।
ट्रैक डिवाइस यूसेज की मदद से आप अपने बच्चे के मोबाइल में इंस्टॉल्ड सारे थर्ड पार्टी एप्लिकेशंस जैसे गेम, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और फोन में की जाने वाली एक्टिविटीज को ट्रैक कर सकते हैं। आप मोबाइल से इनफॉर्मेशन को अपने अकॉर्डिंग लॉक और वाइप कर सकते हैं। इसके अलावा आप किसी भी कंटेंट का बैकअप देख सकते हैं और उसे रिस्टोर भी कर सकते हैं.