दून के नारी निकेतन में मासूम को देखकर बरबस पंजाब के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह की यह पंक्तियों याद आ जाती हैं। आरजू (बदला हुआ नाम) के सपने भी मर चुके हैं। कभी सीमा पार पिता की पहाड़ जैसी जिम्मेदारियों का भार दूर करने पराए देश चली आरजू को उसके अपनों ने ही दिल्ली में बेच दिया। ये उसकी बर्बाद होती जिंदगी की शुरुआत थी। इसके बाद वह बिकती रही और उसके सपने मरते गए। पहले उसका जिस्म बिका, फिर सपने और फिर अब बारी उसकी आशाओं की है।

नारी निकेतन में है

आरजू के पास घर जाने का जो एकमात्र साधन फोन नंबर की डायरी थी, वह कोर्ट प्रॉपर्टी बन चुकी है। हालांकि आरजू एसटीएफ के सहयोग से सेफ हैंड्स में है और इस समय नारी निकेतन में अपनी जैसी अन्य लड़कियों के साथ एक नया सपना बुन रही है, लेकिन यह कहानी महज आरजू की ही नहीं है। ये कहानी तो हैदराबाद की सलोनी, वेस्ट बंगाल की राखी और राधा (बदले गए नाम) की भी है। यह सब नारी निकेतन में अपने परिवार का इंतजार कर रही हैं। कुछ सरकारी कार्रवाई निपटने का बाट जोह रही हैं। हालांकि कठोर हो चुकी आरजू को यह भी पता है कि उसके जीवन का एक दूसरा पहलू भी है। उसके जीवन में दुबारा रंग घोलने की कोशिश जो की जा रही है। यह कोशिश एसटीएफ और नारी निकेतन मिलकर कर रहे हैं। उसके सुनहरे रंगों पर गौर करने से पहले जरूरी है कि उसके जीवन के स्याह पहलुओं की कहानी भी सुन ली जाए।

छापे में हुई बरामद

 एसटीएफ ने नौ नवंबर को रायपुर में सेक्स रैकट होने की सूचना मिलने के आधार पर एक बंद कोठी पर छापा मारा था। छापे में एसटीएफ टीम ने जिस्मफरोशी के धंधे में लिप्त दो नाबालिक लडक़ी, रैकेट की सरगना और दो गाजियाबाद के प्रॉपर्टी डिलर्स  को अरेस्ट किया। पुलिस ने पहली बार एतिहासिक कदम उठाते हुए नाबालिक लड़कियों पर अपराध का केस न चलाते हुए उन्हें पीडि़त माना। पीडि़त लड़कियों में से एक आरजू को पुलिस ने नारी निकेतन में दाखिल कराया। वहां एसटीएफ से इस मामले की पड़ताल कर रहे एसआई संतोष कुमार को अपनी आपबीती सुनाई तो सभी हैरान रह गए।

मौसी ने बेचा

आरजू ने बताया कि उसके परिवार की जंग गुरबत से जरूर थी, लेकिन समाज में उनका एक रुतबा था। उसके मैकेनिक पिता ने सात बहनों को अदब के संस्कार और तालीम दी। सात बहनों में सबसे बड़ी आरजू जब बड़ी हुई तो उसे लगा कि पिता की जिम्मेदारियों को कम करने का अब वक्त आ गया है। इसी दौरान उसकी दिल्ली में रहने वाली मौसी बंगलादेश उनके घर आई। मौसी ने उसके पिता को कहा कि दिल्ली में उसका अच्छा खासा बिजनेस हैं। आरजू की बेहतरीन तालीम के मद्देनजर वह चाहती है कि वह दिल्ली में उसके बिजनेस को रफ्तार दे। उसने कहा कि वह आरजू की आगे की पढ़ाई का भी इंतजाम दिल्ली में करेगी, ताकि उसके सपनों को पंख लग सके। सुनहरे भविष्य को पगडंडी मिलते देख आरजू और उसके पिता तैयार हो गए।

दलालों ने पहुंचाया दिल्ली

मौसी के पास पासपोर्ट था, लेकिन तय समय तक आरजू का पासपोर्ट जारी न हो सका। इसलिए बंगलादेश से वह अवैध रूप से सीमा पार कराने वाले दलालों के माध्यम से दिल्ली पहुंची। दिल्ली में वह अपनी मौसी का अलिशान घर देखकर आश्चर्य में थी। लेकिन, उस मासूम को क्या पता था कि वक्त का बोझिल पहिया रफ्तार पकडऩे वाला है। उस सफर ने उसे गरम गोश्त के सौदागरों के दंडकारण्य में भूखे भेडिय़ों के आगे छोड़ दिया। आरजू का सौदा नब्बे हजार रुपए में मेरठ के दलाल से उसकी अपनी मौसी कर चुकी थी.  मासूम आरजू को बताया गया कि यह एक बिजनेस डील के लिए मेरठ जा रही है, लेकिन वहां पहुंचते ही उसे गरम गोश्त के काले धंधे में धकेल दिया गया। एक हफ्ते बाद उसे रुडक़ी के किसी सलीम बाबा को सत्तर हजार रुपए में बेचा गया। यहां भी उसे एक हफ्ते रखा गया। उसके बाद दून में हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चलाने वाली एक महिला को उसे एक हफ्ते के लिए फिर बेच दिया गया। इस बार एसटीएफ और रायपुर पुलिस ने छापा मारकर आरजू को सुरक्षित हाथों में पहुंचा दिया। महज 17 साल की उम्र में उसने देह व्यापार के नरक से सारे दरवाजे देख डाले। अब वह नारी निकेतन में भाग्य की अगली करवट के इंतजार में बैठी है। पीड़ा और वेदना के भंवरों में फंसी वह अपने घर पहुंचना चाहती है। समस्या के पहाड़ अभी और भी थे। पुलिस जांच के दौरान आरजू के पास एक डायरी मिली थी जिसमें उसके बंगलादेश स्थित घर का पता और फोन नंबर दर्ज था। अब वह कोर्ट प्रॉपर्टी है। जब तक अपराधियों को मुकम्मल सजा नहीं मिल जाती तब तक आरजू को नारी निकेतन में रहने पड़ेगा।

 

एनएचटीएस से किया जा रहा संपर्क

आरजू घर पहुंच जाए इसके लिए उत्तराखंंड एसटीएफ ने बंगलादेश और पश्चिम बंगाल की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल और एनजीओ से संपर्क किया है। वह अपने स्तर से वहां पर उसके घर का पता लगा रहे हैं। एसएसपी एसटीएफ एस अग्रवाल बताती हैं कि हमने बंगाल की पुलिस और एसटीएफ के साथ ही एनएचटीएस से संपर्क किया है। जितनी जरूरी थी उतनी जानकारी उन्हें मुहैया करा दी है।

क्या है अड़चन

असल में, जब भ्ी पुलिस किसी सेक्स रैकेट को पकड़ती है तो गैंग के पास से बरामद सभी दस्तावेज कोर्ट प्रॉपर्टी हो जाते हैं। उसे तब तक प्रयोग में नहीं लाया जा सकता जब तक पूरी कार्रवाई न हो जाए या फिर कोर्ट का निर्णय न हो जाए