- नवादा से भाग कर दसवीं की स्टूडेंट पहुंच गई थी पटना

- लड़की ने कहा-मम्मी को पता था पापा का रवैया

PATNA : मैं अपने पापा से गुस्सा थी। वो मुझ पर शक करते थे। अक्सर मुझे मारते-पीटते भी थे, इसलिए किसी को कुछ बताए बगैर मैं घर से भाग आई। ये बातें नेहा (बदला हुआ नाम) की है। जो बुधवार को पटना के महिला थाने में थी। चार बहनों में नेहा सबसे बड़ी है। इस बात को लेकर वो सदमे में थी कि उसके पापा-मम्मी उससे प्यार नहीं करते हैं, जो उसे काफी खलता था। उसे इस बात का मलाल था कि न जानें क्यों उसके पापा उस पर शक करते हैं। पापा के रवैये से मम्मी अच्छे से वाकिफ थी, बावजूद इसके उन्होंने कभी भी पापा को समझाने की कोशिश नहीं की। दरअसल, नाबालिग नेहा अपने पैरेंट्स के रवैये से काफी खफा थी। इस लिए वो अचानक उसने घर छोड़ने का फैसला ले लिया।

स्कूल ड्रेस में ही निकली घर से

नवादा के एक प्राइवेट स्कूल में नेहा दसवीं की स्टूडेंट है। उसके पापा पंचायत रोजगार सेवक हैं, जबकि मां आंगनबाड़ी सेविका हैं। नेहा के अनुसार मंगलवार को वह स्कूल से क्लास कर वापस घर लौटी थी। पैरेंट्स के रवैये को लेकर उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसने स्कूल ड्रेस चेंज तो नहीं किया, लेकिन शू और शॉक्स को उतारकर सिंपल हवाई चप्पल पहना। इसके बाद घर से बगैर किसी को कुछ बोले वह निकल गई।

कारगिल चौक पर लगी पुलिस के हाथ

घर से निकलने के बाद उसे कुछ समझ में नहीं आया। पास में कुछ रुपए थे। वो बस स्टैंड गई और सीधे नवादा से पटना आने वाली बीएसआरटीसी की बस में बैठ गई। इसके पटना पहुंचने तक पैरेंट्स को इस बात की भनक लग गई थी। पैरेंट्स उसकी खोज में जुट गए थे। दूसरी ओर नेहा बस से पटना पहुंच चुकी थी। बस से उतरने के बाद नेहा कारगील से गुजर रही थी। इसी बीच, पुलिस की नजर उस पर पड़ी। पुलिस ने उससे पूछताछ की। मामला समझ में आने के बाद पुलिस टीम ने उसे महिला थाने की पुलिस के हवाले कर दिया।

शाम में ले गए पैरेंट्स

नेहा से पूछताछ के बाद महिला थाने की पुलिस ने उसके पैरेंट्स को कॉल कर पटना बुलाया। शाम में उसके पापा थाने पहुंचे। बेटी के आरोपों पर उन्होंने हामी भी भरी। थाने की प्रभारी चंद्रावती के अनुसार नेहा के साथ मारपीट नहीं करने की सख्त हिदायत दी गई है। उसे पैरेंट्स का पूरा प्यार मिलेगा, इस बारे में रिटेन में लिखवाया भी गया है। इसके बाद शाम में ही पैरेंट्स अपनी लाडली को लेकर वापस नवादा लेकर चले गए।

फैमिली काउंसलिंग की है जरूरत

साइकियाट्रिस्ट डा। सकील सिंह की नजर में नेहा का केस काफी सेंसेटीव है। पैरेंट्स का अपनी ही बेटी पर बेवजह शक करना सही नहीं है। ऐसे मामलों में फैमिली कांउसलिंग की जरूरत होती है। खासकर उसके पापा की बेहद जरूरी है। काउंसलिंग में ही शक का मेन प्रॉब्लम सामने आएगा। समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो उसका असर पूरी फैमिली पर पड़ेगा।