मैक्स अस्पताल ने दिया दर्द तो एक बेटी खड़ी हुई अस्पताल के खिलाफ

एक समय था कि लोग डॉक्टरों को भगवान मानते थे, लेकिन आजकल डॉक्टर्स और हॉस्पिटल मरीजों को शायद अपना ग्राहक समझते हुए उन्हें लूटने की कोशिश करने लगे हैं। इसके ऊपर डॉक्टरों और हॉस्पिटल स्टाफ की मनमानी कोढ़ में खाज बन गई है। ऐसे में मरीज बेचारा क्या करे। जब दिल्ली के रहने वाल कमलेश चंद्र और उनके परिवार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ तो उन्होंने शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल पर केस कर दिया है। इसके बाद भी उनका दर्द कम नहीं हुआ है और अब वो दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर अस्पताल की अपराधिक लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाले हैं।

 

अस्पताल ने बिना जानकारी और परमीशन के बॉडी में स्टेंट डाल दिए

जानकारी के मुताबिक दिल्ली के रहने 58 साल के कमलेश चंद्र को दिल की बीमारी को लेकर 25 दिसंबर को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कमलेश चंद्र की बेटी सारिका के मुताबिक जब परिवार वाले पिताजी को अस्पताल लेकर पहुंचे तो उन्हें काफी पसीना आ रहा था, लेकिन वो अपने पैरों पर चलकर गए थे। मैक्स का स्टाफ उन्हें इमरजेंसी यूनिट में ले गया। उजब उनका ECG कराया गया तो डॉक्टरों ने बताया कि उनकी नसों में रुकावट आ रही है और उनके दिल की बाइपास सर्जरी (Angiography) करनी पड़ेगी। जब हम लोग ऑपरेशन कराने या न कराने को लेकर चर्चा कर ही रहे थे। तभी अचानक एक डॉक्टर बाहर आया और उसने बताया कि हमने आपके पिता के शरीर में स्टेंट डाल दिए हैं, ताकि उनका दिल आराम से काम कर सके।

 

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छुट्टी पर गए डॉक्टर को दिया केस

कमलेश चंद्र की बेटी सारिका ने पुलिस को दी अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि मैक्स प्रशासन ने उनके पिता को ऐसे डॉक्टर की देखरेख में रखा, जो छुट्टी पर था। नतीजा यह हुआ कि जूनियर डॉक्टर्स उनके पिता का इलाज करते रहे। सारिका का कहना है है कि अस्पताल की इस लापरवाही के चलते उनके पिता चल बसे और इतने कम पीरियड के इलाज के लिए अस्पताल ने उन्हें 3 लाख का बिल थमा दिया है।

 

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अस्पताल का सभी आरोपों ये इंकार

एक बार फिर लापरवाही के आरोपों से घिरे मैक्स अस्पताल का कहना है। इस मामले में उनके द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गई है। जब पेशेंट अस्पताल में लाया गया तो उसकी कंडीशन काफी क्रिटिकल थी। उनका जो भी इलाज किया गया, उसकी पूरी जानकारी मरीज के परिवार को दी गई थी। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले जिंदा नवजात को मरा बताकर परिवार को लौटाने वाले मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिल्ली सरकार ने दिया था, लेकिन बाद में दिल्ली के फाइनेंस कमीश्नर कोर्ट ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने के सरकारी आदेश को कैंसिल कर दिया था।

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