- तीन सौ एक्वायर मीटर के घर बनाने के लिए नक्शा पास नहीं करवाना होगा, लेकिन दस तरह के नॉ‌र्म्स को पूरा करने में सालों गुजर जाएगा

- न्यू बिल्डिंग बायलॉज के मुताबिक अपना घर बनाने का रास्ता और भी मुश्किल भरा

- एक-एक डिपार्टमेंट से लेना होगा एनओसी, उस रिपोर्ट के आधार पर तैयार करना होगा कंस्ट्रक्शन फिर बना सकेंगे आशियाना

PATNA : न्यू बिल्डिंग बायलॉज आ गया। इसके मुताबिक तीन सौ एक्वायर मीटर यानि की दो कट्ठे के आसपास की जमीन पर रेसिडेंसियल कंस्ट्रक्शन के लिए प्लानिंग रिपोर्ट और नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं है। यह खबर जितना खुशी पहुंचाती है, उससे अधिक तकलीफदेह भी यह है। क्योंकि एक आम आदमी अपनी छोटी सी जमीन पर छोटा सा आशियाना बनाने के लिए जैसे ही कदम आगे बढ़ाएगा कि उसेगिट्टी, सीमेंट, छड़ लाने से पहले शहर के कई दफ्तरों के चक्कर काटना पड़ेगा। यह चक्कर नक्शा पास कराने के लिए नहीं होगा, बल्कि नक्शा न पास कराने को लेकर होगा। जी हां, दो कट्ठे के आसपास की जमीन पर कंस्ट्रक्शन कराने का रास्ता आसान नहीं है। इसके लिए दस तरह की तरकीब दी गयी है। इसे फुलफिल कराने में आपको सालों गुजर जाएगा।

जब तक फाइल मोटी न होगी तब तक शुरू नहीं होगा कंस्ट्रक्शन

निगम से नक्शा पास न कराने का खामियाजा आपको दस तरीके से भुगतना पड़ेगा। दस नियम को पूरा करते-करते आपके सालों गुजर जाएंगे साथ ही आपकी फाइल ऑफिस-ऑफिस दौड़ती हुई काफी मोटी भी हो जाएगी। इस दौरान नगर विकास विभाग और नगर निगम सहित कई ऑफिस से आपको एनओसी लेना होगा। निगम के ऑफिसर्स की मानें तो दस प्वाइंट को अलग-अलग ऑफिस से पूरा कराने में काफी समय लग जाएगा। नतीजा भी कुछ नहीं निकल पाएगा। इससे अच्छा होगा कि लोग निगम में आकर अपना नक्शा पास करवा ले। साथ ही दस प्वाइंट को पूरा करके पटना नगर निगम एरिया में तो घर संभव नहीं है। कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री से जुड़े राजीव कुमार ने बताया कि रेसिडेंसियल और कमर्शियल कंस्ट्रक्शन करना काफी मुश्किल है। बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन की जरूरत है।

कुछ इस तरह से कंस्ट्रक्शन के लिए मिलती है परमिशन

नगर निगम से नक्शा पास करवाने के लिए आपको अधिक परेशानी से नहीं गुजरना पड़ता है। बल्कि उसके पैनल के आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाना होगा। इसके बाद नगर निगम कमिश्नर उसे अप्रूव करेंगे फिर उसी नक्शे के हिसाब से कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हे जाएगा।

दस जगहों से लाए परमिशन फिर बना सकते है अपना आशियाना

फ‌र्स्ट प्वाइंट : आप अपने घर का नक्शा सर्टिफाइड इंजीनियर से बनवाएं, डिजाइन में यह भी शो करें कि वो भूकंप निरोधी और आपदा से निपटने के लिए तैयार है। यानि की बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपको एनओसी लेना होगा।

परेशानी : इंजीनियर की तलाश, फिर नक्शा बनवाना, एनओसी लेना और तब निगम को सौंपना फिर जाकर कंस्ट्रक्शन शुरू होगा।

सेकेंड प्वाइंट : आपके घर के सामने की सड़क कितनी भी चौड़ी क्यूं न हो, आप दस मीटर से अधिक ऊंची इमारत नहीं बना सकते हैं। इसकी रिपोर्ट भी निगम को देनी होगी।

परेशानी : आपकी फैमिली बड़ी हो या छोटी। दस मीटर से अधिक ऊंची इमारत का निर्माण आप नहीं कर सकते हैं।

थर्ड प्वाइंट : इसमें फ्लोर की संख्या दो से अधिक नहीं होनी चाहिए, साथ ही आगे पीछे ग्रीनरी भी दिखाना है।

परेशानी : अगर आपके सामने चालीस फीट की सड़क है। फिर भी कंस्ट्रक्शन जी प्लस टू से अधिक नहीं कर सकते हैं।

फोर्थ प्वाइंट : बेसमेंट पर किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं कर सकते हैं। यानि किसी भी तरह का शॉप नहीं खोल सकते हैं।

परेशानी : अगर आप शॉप बनाना या कोई अन्य काम करना चाहते हैं तो वो नहीं कर सकते हैं। कमर्शियल यूज नहीं कर सकते हैं।

फिफ्थ प्वाइंट : आपको कंस्ट्रक्शन से पहले रोड, ड्रेनेज, सीवरेज सहित आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में बताना होगा कि वो डेवलप है। तभी आप अपना कंस्ट्रक्शन पूरा कर सकते हैं।

परेशानी : इसके लिए आपको रोड डिपार्टमेंट, निगम और वाटर बोर्ड से एनओसी लाना होगा।

सिक्स्थ प्वाइंट : कंस्ट्रक्शन से रिलेटेड किसी भी तरह के सवाल का जवाब आपको म्0 दिनों के अंदर देना होगा। सवाल पूरे आपके कंस्ट्रक्शन एरिया के एनओसी को लेकर किया जाएगा।

परेशानी : इस दौरान आप साठ दिनों के अंदर उनके मन मुताबिक जवाब नहीं दिए तो फिर आपको परेशानी आ सकती है।

सेवेंथ प्वाइंट : सारे कंडीशन बिल्डिंग बायलॉज के हिसाब से ही पूरा होना चाहिए।

परेशानी : कंस्ट्रक्शन के दौरान बिल्डिंग बायलॉज के सारे नॉ‌र्म्स को फॉलो करना पड़ेगा।

एर्थ प्वाइंट : कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद ओनर एक सर्टिफिकेट देगा जिसमें कंस्ट्रक्शन का काम पूरा हो चुका है और क्या स्टेटस है।

परेशानी : कंस्ट्रक्शन होने के बाद लोग घर में रहने लगते हैं, लेकिन इसमें पहले सर्टिफिकेट देना होगा फिर उसकी जांच तब घर के अंदर प्रवेश होगा।

नाइंथ प्वाइंट : ओनर और बिल्डर किसी भी तरह के वायलेसन के लिए रिस्पांसिबल होंगे जो बिल्डिंग बायलॉज के हिसाब से सही व गलत माना जाएगा।

परेशानी : निगम की टीम अगर जांच के दौरान गड़बड़ी पाती है तो आपके कंस्ट्रक्शन को तोड़ भी सकती है।

टेंथ प्वाइंट : इससे रिलेटेड आपको समय-समय पर ऑथोरिटी की ओर से गाइड लाइन दिया जाएगा। इसे आपको फॉलो करना होगा।

परेशानी : कब, कितना और किस तरह का सवाल किया जाएगा। उसका जवाब देते रहना होगा।