स्टक्सनेट एक बहुत ही जटिल किस्म का कंप्यूटर वायरस था जिससे पिछले वर्ष ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े कंप्यूटरों पर हमला किया गया था।

नए वायरस का नाम डुकु है और उसे ख़ुफ़िया जानकारियाँ जुटाने के लिए बनाया गया है। इसका नाम डुकु इसलिए रखा गया है क्योंकि ये ऐसी फ़ाइलें बनाता है जिनके शुरू में डी क्यू लगा होता है।

इसका कोड लगभग स्टक्सनेट की ही तरह का है जिससे ऐसा लगता है कि दोनों वायरसों को बनानेवाले एक ही हैं। स्टक्सनेट का कोड बनानेवालों की पहचान नहीं हो सकी है लेकिन संदेह इसराइल और अमरीका की सरकारों पर जाता है।

स्टक्सनेट वायरस ने सारी दुनिया में साइबर युद्ध को लेकर एक नया दौर शुरू कर दिया था और इसके बाद तमाम सरकारें अपने ज़रूरी सिस्टमों की सुरक्षा बढ़ाने के उपाय करने लगीं। इस घटना से सरकारों के एक-दूसरे के यहाँ जासूसी करने और साइबर आतंकवाद जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में आ गए।

ख़तरा

डुकु वायरस यूरोप के कई संगठनों और व्यवसायों के कंप्यूटरों पर मिला है। इसका पता कंप्यूटरों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली कंपनी – सिमैन्टेक – ने किया जिसे उसके एक ग्राहक ने आगाह किया था।

ये वायरस स्वयं को संक्रमित कंप्यूटर सिस्टमों से 36 दिनों में अलग कर लेता है। इससे ऐसा लगता है कि वो ख़ुफ़िया जानकारियाँ एकत्र करता होगा जिनकी सहायता से भविष्य में दूसरे साइबर हमले किए जा सकते हैं।

सिमैन्टेक ने अपने बयान में लिखा है,"स्टक्सनेट से अलग, डुकु में औद्योगिक नियंत्रण सिस्टमों से जुड़े कोड नहीं होते, ना ही वो अपने-आप बढ़ता जाता है। "निशाना कुछ सीमित संगठनों के ख़ास हिस्सों को बनाने की कोशिश की गई."

सिमैन्टेक के मुख्य तकनीकी अधिकारी ग्रेग डे ने बीबीसी को बताया कि कि डुकु के कोड बहुत ही अधिक उम्दा थे। उन्होंने कहा,"ये किसी शौकिया व्यक्ति का काम नहीं, ये किसी बहुत ही तेज़दिमाग़ तकनीक का काम है और उसका मतलब आम तौर पर ये होता है कि इसे किसी ने किसी ख़ास उद्देश्य को लेकर बनाया है." मगर अभी ये स्पष्ट नहीं है कि ये वायरस कोई सरकार-प्रायोजित वायरस है या इसके पीछे कोई राजनीतिक निहित है।

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