फ्रीडम फाइट के टाइम से और आफ्टर इंडिपेंडस भी कभी किसी ने यह नहीं सोचा था कि गांधी नेहरू फेमिली को चैलेंज करने वाली किसी फेमिली के बारे में कभी सोचा भी जाएगा। लेकिन यह मिथ अब टूटने की कगार पर है। इसकी शुरुआत हुई 10 मार्च को हो गई जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को यूपी का चीफ मिनिस्टर अनाउंस किया. Mulayam,Akhiles

मोतीलाल नेहरू से स्टार्ट हुए पालिटिकल इनवालवमेंट के ट्रेडिशन को जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी उनके बेटों संजय और राजीव गांधी से लेकर उनके भी किडृस तक सबने फॉलो किया। राजीव, संजय की डेथ के बाद पॉलिटिक्स में आने के लिए राजी हुए और उनके बाद राजीव गांधी की वाइफ सोनिया ने पार्टी की बागडोर संभाली और अपने अगेंस्ट पार्टी के बाहर और अंदर होने वाले हर अटैक को झेलते हुए बखूबी अपना काम जारी रखा।

सोनिया गांधी अपनी फेमिली की ट्रेजिक हिस्ट्री से काफी टाइम तक डरी रहीं और अपने बच्चों को पालिटिक्स से दूर रखने की कोशिश करती रहीं लेकिन फाइनली उनके दोनो बच्चों ने उन्हें सर्पोट करने का डिसीजन लिया और अपनी रिस्पांसिबिलिटी संभाली। अब तक यह फेमिली अपने पॉलिटिकल ट्रेडीसन को कैरी करने वाली अकेली फेमिली बनी हुई थी। हांलाकि इसी वजह से इस फेमिली पर मोनोपली के एलिगेशन भी लगते रहे और राहुल गांधी को सटायरिकल अंदाज में युवराज कहा जाता रहा है।

अब मुलायम सिंह यादव ने नया ट्रेडिशन शुरू करते हुए अपनी फेमिली में भी एक युवराज को आगे करते हुए उसका राज्याभिषेक भी कर दिया है। राज नरायण सिंह और राम मनोहर लोहिया के फॉलोअर रहे मुलायम सिंह यादव जनता दल सोशलिस्ट से लंबे अर्से तक जुड़े रहे और 4 अक्टूबर 1992 को उन्होंने लोहिया के थॉटृस पर बेस करने वाली पालिटिकल पार्टी को फार्म किया जिसका नाम रखा समाजवादी पार्टी।

कुल तीन बार यूपी के चीफ मिनिस्टर रह चुके मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के फार्म होने बाद एक बार पॉवर में रहे 2003 से 2007 तक लेकिन 2007 के इलेक्शन में वे मायावती ने उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
Gandhi family tree

इस समय समाजवादी पार्टी बेशक रीजनल पार्टी का स्टेटस रखती हो पर उसने नेशन वाइड आइडेंटिटी की तरु काफी पहले कदम बढ़ा दिए थे जब कर्नाटक में चीफ मिनिस्टर बंगरप्पा ने बीजेपी से रिजाइन करके एस पी को ज्वाइन किया था। इसके अलावा 2003 में मध्य प्रदेश असेंबली इलेक्शन में इस पार्टी को 7 सीटें मिली जो 2007 के बाई इलेक्शन के बाद बढ़ कर 8 हो गयी। इस समय लोक सभा में सपा की 22 सीटें और राज्य सभा में 5 सीटें हैं और वह स्टैंडिंग विनिंग ग्रुप यूपीए की सपोर्टिंग पार्टीज में से एक है।

अखिलेश यादव को पार्टी के प्रोग्रेसिव और यंग फेस के रूप में कैश कराने के साथ ही उन्हें उत्तर प्रदेश का चीफ मिनिस्टर डिक्लेयर करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने सेंट्रल की पॉलिटिक्स में अपने पैर मजबूत करने की ओर स्ट्रांग मूव ले लिया है। कहा तो यह जा रहा है कि उनका नेक्सट टारगेट प्राइम मिनिस्टर की सीट ही है। इस काम में उनके पास फेमिली सर्पोट हांसिल है। उनके भाई पार्लियामेंट में उनके साथ बैठेंगे और बेटा प्रदेश से उनका सर्पोट करेगा।

गांधी फेमिली का सबसे स्ट्रांग प्वांइट उनका फेमिली ट्रेडिशन ही है और मुलायम भी इसी पैर्टन पर आगे बढ़ रहे हैं। छोटे मोटे डिस्प्यूट गांधी फेमिली को भी झेलने पड़े और थोड़ी बहुत नरमी गरमी यादव परिवार में भी दिख रही है। संजय गांधी की डेथ के बाद उनकी वाइफ मेनका से फार्मर प्राइम मिनिस्टर इंदिरा गांधी के डिस्प्यूट इतने बढ़ गए कि उन्होंने संबंध ही तोड़ लिए। अब मेनका और उनका बेटा भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं। ऐसी ही नाराजगी कभी कभी मुलायम के भाइयों में भी दिखती रही पर फिलहाल मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव सिचुएशन को बखूबी कंट्रोल किए हुए है।
Gandhi vs Yadav

बिना शक यह कहा जा सकता है कि यह सक्सेज का टम्परेरी फेज ना हो जो टाइम के साथ खत्म हो जाएगा। जबकि गांधी फेमिली के पास एक सक्सेजफुल और ग्लोरियस पास्ट है जो और ज्यादा अट्रेक्टिव होता जा रहा है। जवाब यह है कि हां ऐसा हो सकता है, इमीडियेट सक्सेज को देख कर कोई डिसीजन लेना ठीक नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि यह अब तक का सबसे डिफरेंट और नया वाकया है और अगर अखिलेश की अप्रोच और मुलायम की स्ट्रेटजी सही बैठीं तो कोई ताज्जुब नहीं कि इंडियन पॉलिटिक्स में नए और स्ट्रांग पालिटिक्ल ट्रेंड की शुरूआत हो जाए और गांधी फेमिली की मोनोपली ब्रेक करके यादव फेमिली एक नयी और देशी पालिटिक्स की नीव रखे।

                                                                                                   Molly Seth for inextlive.com

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