शम्मी जी की 80वीं वर्षगांठ पर उन्हें याद करते हुए उनके भतीजे ऋषि कपूर कहते हैं कि, ''शम्मी जी अपनी फ़िल्मों में बड़ी दिलचस्पी लिया करते थे खासतौर पर अपने गानों में वो मोहम्मद रफ़ी से कहते थे गाने की इस लाइन पर मैं ऐसे भाव दूंगा, गाने के इस शब्द पर मैं ऐसे हसूंगा। इतना ही नहीं वो तो कैमरामैन को ये भी कहते थे कि मैं नाचते नाचते पता नहीं कहां गिरने वाला हूं तुम कैमरे का फोकस मुझ पर से हटाना नहीं.''

ऋषि कपूर बताते हैं, ''जब शम्मी जी ने फ़िल्मों में अपनी शुरुआत की तो सब लोग उनकी तुलना उनके बड़े भाई और मेरे पिता राज कपूर से करते थे, लोग कहते थे कि शम्मी राज कपूर की नक़ल उतारने की कोशिश करते हैं, लेकिन धीरे धीरे उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई अपना एक अलग स्टाइल क़ायम किया। आगे चल के कई उभरते हुए कलकारों ने शम्मी जी से प्रेरणा ली.''

शम्मी कपूर की तारीफ़ करते हुए ऋषि कहते हैं कि शम्मी जी एक बड़िया अभिनेता होने के साथ साथ एक बहुत ही अच्छे इंसान भी थे। ऋषि कपूर कहते हैं, ''अपने आख़िरी दिनों में वो हफ्ते के तीन दिन हस्पताल में बिताया करते थे, लेकिन बाकि के चार दीन वो बड़े ही हसीन तरीक़े से बिताते थे। वो एक बड़े दिल वाले इन्सान थे.''

शम्मी कपूर 14 अगस्त 2011 को इस दुनिया से चले गए, लेकिन जाने से पहले उनकी आख़िरी फ़िल्म थी इम्तिआज़ अली निर्देशित 'रॉकस्टार'।

इम्तिआज़ कहते हैं, '' जब इन्सान उम्रदार हो जाता है, चल फिर नहीं पता तब या तो उसमे कड़वाहट आ जाती है या फिर वो बहुत सुलझ जाता है और ऐसे ही सुलझे हुए थे शम्मी कपूर। वो तक़लीफ़ में थे लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। उनका ये जज़्बा देख उनके साथ काम करना बहुत आसान हो गया था। मुझे लगता है वो दर्द और पीड़ा जैसी बातों से बहुत ऊपर उठ चुके थे.''

'रॉकस्टार' में शम्मी जी के साथ काम करने का मौका मिला उनके पोते रणबीर कपूर को भी। रणबीर कहते हैं, ''जिस स्तर का काम शम्मी जी ने किया है उसे कोई भी दोहरा नहीं सकता। बहुत लोग कहते थे कि शम्मी कपूर भारत के एल्विस प्रेस्ली हैं, लेकिन मैं कहता हूं कि एल्विस प्रेस्ली अमेरिका के शम्मी कपूर थे.''

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