अपने बनाए फरमान मानते हैं यहां के लोग
अब बड़ी बात तो ये है कि इस गांव के लोग न तो किसी का फरमान मानते हैं न ही किसी की सुनते हैं. करते वो हैं जो इनके मन में आता है. ऐसे में इस गांव के बनाए हुए खुद के नियम अपने आप में काफी रोचक हैं. ऐसे ही कुछ नियमों में से एक है कि अगर लड़की के दरवाजे पर ठीक तय समय पर लड़के वाले बारात लेकर न पहुंचे तो उसके बाद 100 रुपये प्रति मिनट देरी के हिसाब से वर पक्ष को चुकाने होंगे.

कुछ खास राज है पाबंदियों के पीछे
इसके साथ ही शादी को लेकर यहां का एक और नियम ऐसा है जो काफी बेहतरीन है. वह यह कि अगर वर और वधु दोनों एक ही गांव के हों तो ये दोनों के वैवाहिक जीवन के लिए काफी शुभ माना जाता है. इस बारे में गांव के मौलवी अरशद कहते हैं कि अगर किन्हीं कारणों से लड़की की बारात किसी दूसरे गांव से भी आ जाती है तो इसे काफी अशुभ माना जाता है. उनका कहना है कि इस प्रथा का एक और कारण यह भी है कि ऐसा मानने से किसी अंजान गांव से आने वाले वर के अनभिज्ञ इरादों और स्वभाव के चपेट में आने से लड़कियां बच जाती हैं. मौलवी कहते हैं कि यही कारण है कि वे सब अपने पूर्वजों के बनाए हुए नियमों का इमानदारी के साथ पालन करते हैं.

और क्या हैं दिलचस्प शर्तें
इसके अलावा कुछ और भी अच्छी बातें हैं यहां के पूर्वजों के बनाए रिवाजों में. इनमें से अगली है कि शादी के दौरान लोग गलियों या सड़कों पर नाच-गा नहीं सकते. कुल मिलाकर वैवाहिक समारोह को भी काफी सम्मान के साथ मनाए जाने का रिवाज है. किसी भी तरह का शोर-शराबा नहीं चाहिए इस दौरान. इसके अलावा अगली महत्वपूर्ण शर्त है कि समारोह के दौरान खाने की बर्बादी बिल्कुल न हो. इस बात का हर परिवार उचित ख्याल रखे. साथ ही शादी की सभी रस्में तय समय पर ही पूरी हों, बिना किसी देर के. आपको बताते चलें कि इस गांव की आबादी बहुत ज्यादा नहीं लगभग 10,000 है.

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