- आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसियों की मनमानी से परेशान है पब्लिक

- लगातार मिल रही हैं पैसे लेने की शिकायतें

- सीधे शासन से हो रहा है संचालन, प्रशासनिक अमला भी बेबस

<- आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसियों की मनमानी से परेशान है पब्लिक

- लगातार मिल रही हैं पैसे लेने की शिकायतें

- सीधे शासन से हो रहा है संचालन, प्रशासनिक अमला भी बेबस

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: हर जगह आधार कार्ड की अनिवार्यता बढ़ गई है। बिना इसके सरकारी सुविधाओं का लाभ लेना मुश्किल होता जा रहा है। शायद पब्लिक की इसी मजबूरी का फायदा आधार बनाने वाली एजेंसियां उठा रही हैं। उनकी मनमानी से प्रशासनिक अमला तो छोडि़ए पब्लिक भी परेशान हो चुकी है। लाखों की संख्या में इनरोलमेंट होने के बावजूद बड़ी संख्या में लोगों को आधार प्राप्त नहीं हो सका है।

शेड्यूल बना है लेकिन पालन नहीं हो रहा

आधार कार्ड बनाने के लिए जिले में एरिया वाइज शेड्यूल प्रशासन की ओर से बनाया जाता है लेकिन इसका पालन नहीं होता। कार्ड बनाने वाली एजेंसियां अपने हिसाब से कैंप लगाती हैं। उनका अगला कैंप कहां लगेगा इसकी जानकारी शायद ही किसी को रहती हो। एजेंसियों की ओर से पूर्व में कैंप लगाने की सूचना नहीं दिए जाने से पब्लिक को दर-दर भटकना पड़ता है।

कब आएगा आधार कार्ड?

आंकड़ों पर जाए तो पिछले एक साल में शहर में लगभग पांच लाख लोगों का आधार इनरोलमेंट किया जा चुका है। इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं जिनका आवेदन होने के बाद भी कार्ड नहीं मिला है। एजेंसियां भी इस बारे में ठीक से नहीं बता रही हैं। लोगों ने इस बारे में प्रशासन से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

पब्लिक से खुलेआम मांगे जा रहे पैसे

डीएम भवनाथ सिंह द्वारा बार-बार आधार कार्ड बनाने की एवज में पैसे मांगने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। फिर भी एजेंसियों के कर्मचारियों पर असर नहीं हो रहा है। उनकी ओर से पब्लिक से लगातार पचास से सौ रुपए मांगे जा रहे हैं। नगर निगम में चल रहे कैंप में आधार बनवाने गए लोगों ने गुरुवार को हंगामे के दौरान मीडिया से इसकी शिकायत भी की थी।

यहां है आधार कार्ड की जरूरत

वर्तमान में एक साथ कई योजनाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता जारी कर दी गई है। इनमें खाद्य सुरक्षा बिल, जन-धन योजना, डीबीटीएल आदि शामिल हैं। सभी जगह पब्लिक को सरकारी सुविधा प्राप्त करने के लिए अपना आधार नंबर देना ही होगा। प्राइवेट एजेंसियां पब्लिक की इसी मजबूरी का फायदा उठाने में लगी हैं।