इंस्पायर अवार्ड में मिला था राष्ट्रीय पुरस्कार, जापान भेज रही है सरकार

देश से चु¨नदा छात्र दो समूह में जाएंगे जापान, बढ़ानी है वैज्ञानिक सोच

फीरोजाबाद : इंस्पायर अवार्ड स्कीम के तहत 5-5 हजार तो दर्जनों छात्रों को मिले, लेकिन इन रुपयों से तकदीर बदली आकाश ने। अपनी सोच को इलैक्ट्रॉनिक्स लैटर बॉक्स का आकार दिया तो प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक तालियों की गड़गड़ाहाट एवं शाबाशी बटोरी। आकाश ने भी नहीं सोचा था उसकी सोच से निकला इलैक्ट्रॉनिक लैटर बॉक्स उसे आसमानी उड़ान का भी मौका देगा। भारत सरकार द्वारा जापान टूर के लिए चुने गए देश के चु¨नदा छात्रों में फीरोजाबाद के आकाश का भी नाम है। इन दिनों आकाश मथुरा के जीएलए विवि से बीटेक कर रहा है। आकाश के सरकारी खर्च पर जापान जाने की खबर पिता को मिली तो उनकी भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मानो उनका ट्रेक्टर हवा में उड़ रहा हो।

फीरोजाबाद में इंस्पायर अवार्ड के तहत प्रोजेक्ट बनाने के लिए सरकारी मदद तो कई छात्रों को मिली, लेकिन इस मदद का सदुपयोग नहीं दिखा। प्रोजेक्ट के नाम पर दस-दस रुपये के चार्ज नजर आते। शहर के कॉलेजों के भी छात्र प्रतिभाग के नाम पर औपचारिकता करते, लेकिन इस 5000 रुपये से आकाश ने एक बड़ा सफर 2012 में शुरु किया जो आज तक जारी है। इंस्पायर अवार्ड के तहत सन 2012 में राष्ट्रीय स्तर तक का स्त्रफर तय करने वाले आकाश के साथ इस सफर पर जिले से 22 छात्र निकले थे, लेकिन प्रदेश स्तर पर आकाश, कल्याणी एवं मोनिका को छोड सभी पिछड़ गए। इसके बाद में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता हुई तो प्रदेश से मात्र पांच छात्रों का चयन हो सका। इसमें आकाश का इलैक्ट्रॉनिक लैटर बॉक्स दूसरे स्थान पर था। वैज्ञानिक सोच को विकसित करने की तैयारी में जुटी सरकार ने अब देश के चु¨नदा छात्रों को जापान के टूर पर भेजने का मन बनाया है। सात-सात दिन के इस टूर पर दो बैच जा रहे हैं तथा फीरोजाबाद के आकाश का पहले बैच में स्थान है। यह बैच 16 मई को सरकारी खर्च पर जापान जाएगा।

पिता हाईस्कूल एवं मां इंटर :

सिरसागंज के निकट भदेसरा में रहने वाले सुधाकर पचौरी खुद हाईस्कूल तक पढ़े हैं। उनकी पत्नी एवं आकाश की मां चंचल इंटर पास हैं तथा आशा का कार्य करती हैं। आकाश के बाबा राजेंद्र प्रसाद पचौरी खुद एक प्राइवेट शिक्षक रहे हैं। उन्होने ही आकाश की प्रारंभिक शिक्षा में सहयोग किया। किसान इंटर कॉलेज सिरसागंज से हाईस्कूल एवं इंटर करने वाले आकाश के हाईस्कूल में 68 एवं इंटर में 76 फीसद माक्स़ आए। घर पर रह कर पढ़ाई करने वाले आकाश को जब इंस्पायर अवार्ड के तहत मिलने वाले 5000 रुपये के संबंध में पता चला तो उसने काफी सोचा। शिक्षकों से सलाह-मशविरा किया। इसके बाद में उसके मन में यह विचार आया, क्यों न इस रुपये से कोई ऐसा प्रोजेक्ट बनाया जाए, जो जरूरी हो।

पिता जोड़ रहे थे पंचर, बेटा था राष्ट्रपति भवन में

आकाश के पिता सुधाकर ने भी उसकी पढ़ाई के लिए काफी संघर्ष किया। तीन भाइयों के बीच में मात्र साढ़े 4 बीघा जमनी थी। ऐसे में उन्होने ट्रेक्टर एवं अन्य वाहनों के पंचर जोड़ने के साथ में अन्य कार्य की दुकान भी की। राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि के लिए जब आकाश को 2013 में मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रपति ने सम्मानित किया, तो आकाश के साथ उसकी मां गई थी। सुधाकर के छोटे भाई की हादसे में मौत के बाद उन्होने दुकान बंद कर दी है। आकाश को बीटेक कराने के लिए वह गांव में उगाही पर खेती लेकर खेत भी करते हैं तथा ट्रेक्टर भी चलाते हैं। पिता सुधाकर कहते हैं शुक्रवार दोपहर में विभाग से पत्र आया है, अब पता करेंगे। बेटे का वीजा वगैरह भी बनवाना होगा।

यह है इलैक्ट्रानिक लैटर

आकाश द्वारा प्रोजेक्ट के रूप में इलैक्ट्रॉनिक लैटर बॉक्स बनाया गया। इस लैटर बॉक्स को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसमें कोई पत्र पढ़ने के बाद में एक घंटी बजती है। जिससे पत्र डालने वाले को भी पता चल जाता है कि पत्र अंदर पहुंच गया है तथा घर के मालिक को भी। वहीं जब तक इस लैटर बॉक्स में पत्र रहेगा, तब तक इसमें एक लाइट जलती रहेगी, जो देखने वाले को बताएगी कि इसमें कोई पत्र है। इस लैटर बॉक्स को डाकघर में लगाया जा सकता है, ताकि डाकिया जब चिट्ठी निकाले तो कोई चिट्ठी गलती से उसमें रह नहीं जाए। कई बार जरूरी पत्र लैटर बॉक्स में ही रह जाते हैं। वहीं इसका प्रयोग घर में भी किया जा सकता है। घर के बाहर लैटर बॉक्स में पत्र पड़े रहते है, कई बार खोलकर नहीं देख पाते। ऐसे में जब घर के अंदर लाइट जलते हुए मिलेगी तो पता चल जाएगा कि लैटर बॉक्स मे पत्र पढ़ा हुआ है। ऐसे में लापरवाही में जरूरी पत्र बाहर ही नहीं रह पाएगा।