- देश भर में लाखों की तादाद में पुस्तकों के प्रकाशन पर सभी ने जताई है सहमति

- इस्लामिया ग्राउंड में पहली बार दरगाह लगाएगी हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी

BAREILLY:

उर्स-ए-रजवी के सौ वर्ष पूरे होने पर इस बार का उर्स-ए-रजवी ऐतिहासिक बनाने की कवायद दरगाह आला हजरत की ओर से शुरू कर दी गई है। संडे को ऑर्गनाइज कॉन्फ्रेंस में लंबी चर्चा के बाद बुद्धिजीवियों ने सौ साला उर्स पर आलाहजरत की लिखित पुस्तकों को लाखों की तादाद में देश और विदेश में प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। कार्यक्रम दरगाह प्रमुख हजरत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन हजरत मौलाना मोहम्मद अहसन रजा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।

हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी

कॉन्फ्रेंस में उर्स को ऐतिहासिक बनाने के लिए मॉरिशस, इंग्लैण्ड, मुम्बई, पटना, आजमगढ़, दिल्ली, पूर्वांचल, उत्तराखंड, लखनऊ, अलीगढ़ समेत अन्य प्रदेश के जिलों से लेखकों ने शिरकत की। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान हजरत अल्लाम इब्राहीम खुश्तर के ऐतिहासिक कारनामों और उनकी जीवनी के संबंध में शोध लेख प्रस्तुत किए। इसी दौरान सबने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी आलाहजरत की सभी पुस्तकों के प्रकाशन, हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाने पर सहमति बनी है।

कॉन्फ्रेंस में यह रहे मौजूद

यहां हजरत सय्यद आसिफ मियां, मंजरे इस्लाम के प्रधानाचार्य मुफ्ती मोहम्मद आकिल, दिल्ली से यासीन अख्तर मिसवाही, हॉलैंड से मुफ्ती अब्दुल वाजिद, इंग्लैंड से साहबजादा मोहम्मद खुश्तर, हसन मोहम्मद खुश्तर, अली खालिद, मॉरिशस से नौशाद अली, फैसल नूरानी, नजीर सुब्हानी, मौलाना कमर, मौलाना रियाज, पटना से डॉ। अमजद रजा, पटना इंकलाब से रहबर मिस्बाही, अशरफिया समेत मुबारकपुर से आए हुए लोग मौजूद रहे।