नर्मदा बचाव आंदोलन का बने हिस्सा (2006)
अप्रैल 2006 में आमिर ने मेधा पाटकर के साथ मिलकर नर्मदा बचाव आंदोलन कमेटी के तहत अपना बड़ा योगदान दिया. उन्होंने इस आंदोलन के तहत होने वाले प्रदर्शनों में भाग लिया. बताते चलें कि उन्होंने यह कदम तब उठाया जब गुजरात सरकार ने नर्मदा नदी पर विशाल बांध के निर्माण की बात कही. इस दौरान उन्होंने उन आदिवासियों के हक में आवाज उठाई जो ऐसा करने से बेघर हो जाते.  

फिल्म 'फना' की रिलीज को लेकर उठाई आवाज (2006)
आमिर की फिल्म 'फना' की रिलीज को लेकर काफी बवाल हुए. ऐसे में आमिर ने इस बवाल के खिलाफ आवाज उठाई. यहां उनकी आवाज का साथ दिया उस समय प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने. इस क्रम में मनमोहन सिंह ने यह कहते हुए उनका साथ दिया कि हर किसी के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. हर इंसान उस बात को जाहिर कर सकता है जो उसके मन में है.

जन लोकपाल बिल (2011)
2011 में अन्ना हजारे ने जन लोकपाल बिल को आंदोलन छेड़ा, अनशन किया. आमिर ने इस बिल का समर्थन करते हुए उनका साथ दिया. इस क्रम में उन्होंने उनका सिर्फ साथ ही नहीं दिया बल्कि उनके साथ मंच पर वक्त भी गुजारा. उनसे विचार भी बांटे और उनके साथ मिलकर बिल के समर्थन में आवाज भी बुलंद की.

एंटरटेनमेंट टैक्स से ज्यादा अहमियत शिक्षा और पोषण को (2012)
2010 में जब बजट जारी हुआ, तो उसमें एंटरटेनमेंट टैक्स में वृद्धि कर दी गई. उस समय आमिर ने यह कहते हुए आवाज उठाई कि इस टैक्स में बढ़ोतरी करने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें फर्क पड़ता है शिक्षा और पोषण के क्षेत्र में महंगाई करने से. उनका कहना था कि मनोरंजन कर में सरकार भले कितनी बढ़ोतरी कर दे, लेकिन सरकार की ओर से शिक्षा और हर तरह के बच्चों के पोषण्ा पर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत है. इस पर जोर दिया जाना चाहिए.

GOI के कॉपीराइट पैनल से खुद को पाया अलग (2010)
आमिर ने फरवरी 2010 में GOI (Government of India ) के कॉपी राइट पैनल का विरोध किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनकी राय अन्य  सभी सरकारी सदस्यों से जरा अलग थी. इस दौरान उन्होंने खुद के विचारों के प्रति अन्य सदस्यों की ओर से काफी असमानताओं का सामना किया.
    
भारत के छोटे कस्बों का किया भ्रमण (2009)
फिल्म '3 इडियट्स' के प्रमोशन के दौरान उन्होंने भारत के कई हिस्सों का सफर किया. इस दौरान वह सबसे ज्यादा भारत के छोटे-छोटे कस्बों में गए. यहां पहुंचकर उन्होंने इस बात का अहसास किया कि मुंबई के फिल्म मेकर्स भारत के छोटे कस्बों को नहीं समझते. वह उनके बारे में कुछ नहीं सोचते.  

शुरू किया TV शो 'सत्यमेव जयते' (2012)
इन छोटे कस्बों में भ्रमण के दौरान उन्हें वहां के लोगों की समस्याओं का भी पता चला. इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने TV शो 'सत्मेव जयते' की शुरुआत की. शो के तहत 16 जुलाई 2012 को आमिर एक सामाजिक समस्या को लेकर प्रधानमंत्री से भी मिले. यहां उन्होंने समस्या उठाई आज भी जिंदा मैला ढोने की प्रथा की. उन्होंने हाथ से मैला ढोने वालों और देश में मैला ढोने की प्रथा का अंत करने की मांग उठाई.
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बने UNICEF के ब्रांड एम्बेसेडर (2011)
30 नवंबर 2011 में आमिर को UNICEF (United Nations Children's Fund) का ब्रांड एम्बेसेडर नियुक्त कर दिया गया. UNICEF की ओर से यह फैसला उनके बच्चों के पोषण के हित में आवाज उठाने को लेकर लिया गया.   

कुपोषण के खिलाफ दिया सरकार का साथ (2005)
कुपोषण के बारे में जागरूकता को लेकर आमिर खान सरकार की ओर से शुरू किए गए IEC कैंपेन का भी हिस्सा बने. इस कैपेंन के तहत आमिर ने हर तरह के बच्चों के लिए पोषण की महत्ता पर आवाज बुलंद की.

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