आमिर खान ने विशेषज्ञों से चर्चा और उदाहरणों के जरिए बताया कि किस तरह संस्थाएँ अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर रही हैं. इससे पहले आमिर खान अपने शो सत्यमेव जयते में कन्या भ्रूण हत्या, बच्चों का यौन शोषण और दहेज का मुद्दा उठा चुके हैं. शो में कई उदाहरण पेश करके दिखाया गया कि स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह की धांधलियाँ हो रही हैं.

इसमें दिखाया गया कि आंध्र प्रदेश के एक गाँव में बड़ी संख्या में महिलाओं की बच्चेदानी यानी गर्भाशय निकाल दिया गया, जबकि इसकी जरुरत नहीं थी. महिलाओं ने बताया कि उन्हें बताया गया था कि अगर उन्होंने ऑपरेशन नहीं करवाया तो उनकी जान चली जाएगी. शो में मौजूद डॉक्टर बेदी ने कहा कि कैंसर के अलावा कोई और मामला नहीं होता जिसमें गर्भाशय को निकालना पड़े.

सत्यमेव जयते में डॉक्टरों के व्यवसाय से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक सभी पर निगरानी रखने वाली संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एमसीआई) की गड़बड़ियों पर भी चर्चा की गई. शो में एमसीआई के पूर्व प्रमुख डॉ केतन देसाई के भ्रष्टाचार का मामला भी उठाया गया, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.

डॉ केतन देसाई के बाद मेजर जनरल झिंगन ने कार्यभार संभाला लेकिन एक साल के बाद उन्होंने परेशान होकर इस्तीफ़ा दे दिया. अब केके तलवार, एमसीए के प्रमुख हैं. उन्होंने कहा कि ज़्यादातर डॉक्टर मेडिकल प्रैक्टिस ईमानदारी से करते हैं लेकिन साथ में स्वीकार किया कि गड़बड़ियाँ हैं.

आमिर खान ने आरटीआई के हवाले से बताया कि वर्ष 2008 से अब तक किसी भी डॉक्टर के लाइसेंस स्थाई रुप से रद्द नहीं किए गए हैं. डॉ तलवार ने शो में वादा किया कि वे आंध्र प्रदेश में बच्चेदानी निकालने वाले मामले में वे कार्रवाई करेंगे.

इस शो में इस बार निजी मेडिकल कॉलेजों में डोनेशन का मामला भी उठाया गया. शो में मौजूद छात्रों ने बताया कि इन कॉलेजों में 60-60 लाख तक नक़द डोनेशन लिया जाता है. शो में विशेष रुप से आमंत्रित डॉक्टर गुलाटी ने कहा कि सरकार की नीति है कि सरकारी को छोटा करो और निजी को बड़ा करो.

आमिर खान ने आँकड़े देते हुए बताया कि आजादी के पहले और अब के आंकड़े देखें तो निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है. डॉ गुलाटी ने कहा, "आज जीडीपी का 1.4 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च होता है, ये जब तक छह प्रतिशत तक नहीं पहुँचेगा, हम सबको स्वास्थ्य उपलब्ध नहीं करवा पाएँगे."

वहीं नारायण हृदयालय के डॉ देवी शेट्टी ने बताया कि किस तरह से गरीब लोगों से नाममात्र का पैसा लेकर लोगों को दिल का महंगा ऑपरेशन की सुविधा दी जा रही है. राजस्थान के आईएएस डॉ शमित शर्मा ने बताया कि लोग कई बार दवाओं की वास्तविक क़ीमत पचास गुना तक ज्यादा वसूली जाती है. डॉ शमित ने राजस्थान में आम लोगों के लिए जेनेरिक दवाओं की दुकानें शुरु की हैं.

उन्होंने ब्रांडेड दवाओं और जेनेरिक दवाओं की कीमतों के अंतर के बारे में भी बात की और कहा, "भारत से हर वर्ष 45 हज़ार करोड़ की जेनेरिक दवाएँ निर्यात करते हैं लेकिन वो भारत में उपलब्ध नहीं होते. ऐसे में हमें किसी ईस्ट इंडिया कंपनी की जरुरत नहीं है." आमिर खान ने कहा कि जरुरत है कि राज्य की सरकारें जेनेरिक मेडिसिन की दवाओं की दुकानें खोले.

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