मिडिल क्लास सबसे आगे

आप ने जबसे मेंबर्स बनाने के लिए सिटी में अभियान चलाया है तभी से एक लहर चल पड़ी है। हर तबके का आदमी पार्टी मेंबर बनने के लिए एक्साइटेड है। चाहे वह टीचर हो, डॉक्टर हो, बिजसनेस पर्सन हो, स्टूडेंट्स हो, बेरोजगार यूथ या फिर समाजसेवी। ऐसा नहीं है कि ये सभी सक्रिय पॉलीटिक्स में आकर इलेक्शन लडऩा चाहते हैं। उन्हें आप की आम आदमी की विचारधारा ने प्रभावित किया है। वे एक ऐसी पार्टी को ज्वाइन करने में इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं जो आम आदमी की बातें करती हो। उसकी सोच और उनकी तरह ही हो। यही वजह है कि अब तक जितने भी मेंबर्स बने हैं उसमें सबसे ज्यादा मिडिल क्लास के लोग हैं।

हर कोई सिस्टम से परेशान

मेंबर बनने वाले कहीं न कहीं सिस्टम की करप्ट चेन में फंस चुके हैं। यही टीस उन्हें पार्टी का मेंबर बनने के लिए खींच लाई। उन्हें लगता है कि यही वह मंच है जिसने करप्शन के इश्यू को प्रमुखता से उठाया। करप्शन को खत्म करने के लिए जनलोकपाल व स्वराज जैसी किसी व्यवस्था को लागू करने पर आवाज उठाई। गरिमा भारतिया वेल एजूकेटेड हैं। एमबीए, नेट और बीएड क्वालीफाई हैं। कॉलेज में पढ़ाती भी थीं। मदर की डेथ के बाद  तहसील से लेकर नगर निगम तक जो औपचारिकताएं निभानी पड़ी उसमें करप्शन ने खूब चक्कर कटवाए। डॉ। राजेश खुशवाहा पेशे से फिजियोथेरेपस्टि हैं। एनआरएचएम में जॉब के लिए अप्लाई किया। इस दौरान उन्हें करप्शन के मकडज़ाल से रूबरू होना पड़ा। कई आरटीआई भी दाखिल की, लेकिन करप्ट सिस्टम में उसका भी जवाब नहीं दिया। हां समय-समय पर घुड़की जरूर मिलती रही। ऐसे ही करप्शन का शिकार हो चुके हैं अंशुल खन्ना। वे एमबीए के स्टूडेंट हैं। एजूकेशन सिस्टम के करप्शन से इतना परेशान हुए कि उन्होंने इसे बदलने की ठानी और पार्टी ज्वॉइन की।