सात दिन बाद प्रथम आजाद

सात दिनों तक किडनैपर्स की कैद में रहने के बाद आखिरकार आयुष उर्फ प्रथम मंडे को आजाद हो गया। बदायूं से आयुष की सकुशल वापसी से परिवार के साथ पुलिस और प्रशासन ने भी बड़ी राहत की सांस ली। हालांकि, जिस नाटकीय ढंग से प्रथम की वापसी हुई, उससे पुलिसिया थ्यौरी पर भी कई सवाल खड़े होते हैं। खैर, डीएम और एसएसपी ने पुलिस और परिवार के सहयोग को पूरा श्रेय दिया है। एसएसपी का दावा है कि आयुष की किडनैपिंग प्रोफेशनल गैंग ने की थी। यह गैंग मुरादाबाद के चंदौसी का है। उनका दावा है कि किडनैपर्स जल्द सलाखों के पीछे होंगे। बता दें कि 18 फरवरी को सुबह करीब आठ बजे स्कूल जा रहे आयुष का बदमाशों ने अपहरण कर लिया था। बिशप कोनरॉड में आयुष क्लास तीन का स्टूडेंट है।

'पूरी बरेली टेंशन में थी'

कलेक्ट्रेट में प्रेस कांफ्रेंस में डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आयुष हमारे बीच सकुशल वापस लौट आया। आयुष की वजह से पूरी बरेली टेंशन में थी। मैं खुद डेली पूजा करता था कि आयुष सही सलामत आ जाए। आयुष की वापसी का श्रेय पुलिस, आयुष की फैमिली व मीडिया को जाता है। डीएम ने ट्यूजडे तक आयुष की मां को शस्त्र लाइसेंस जारी करने की बात कही है।

प्रोफेशनल गैंग की करतूत

एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि पुलिस के दबाव के चलते किडनैपर्स बदायूं के अलापुर थाना के म्याऊं चौकी के पास मंडे मॉर्निंग करीब तीन बजे आयुष को छोड़ गए। बदमाशों ने आयुष से कहा कि उसे पुलिस ले जाएगी और वह सही सलामत घर पहुंच जाएगा। एसएसपी ने किडनैपर्स को फिरौती देने की बात से इंकार किया है।

आयुष को देख खिले चेहरे

जैसे ही कलेक्ट्रेट में आयुष पहुंचा, सभी के चेहरे खिल गए। पुलिस ने आयुष के परिवार को पहले ही कलेक्ट्रेट में बुला लिया था। एसओ सुभाषनगर रंजीत यादव ने जीप से उतारने के बाद आयुष को गोद में उठा लिया। आयुष ने सभी को हाथ हिलाकर धन्यवाद दिया। यहां से आयुष को कलेक्ट्रेट सभागार में ले जाया गया। सभागार में मौजूद परिवार में सबसे पहले नानी मुन्नी देवी ने आयुष को अपनी गोद में लिया। उसके बाद आयुष की मां कमलेश ने उसे सीने से लगा लिया। इसके साथ ही मां की आंखों से खुशियों का सागर छलक पड़ा।

झोपड़-पट्टïी में बीते कैद के चार दिन

मंडे को किडनैपर्स की कैद से छूटे आयुष ने पूरी कहानी खुद बयां की। आयुष ने बताया कि जब वह बीते मंडे को रिक्शे से स्कूल जा रहा था, रास्ते में एक बदमाश आया और उसने रिक्शे वाले भईया पर गन तान दी। बदमाश उसे खींचने लगा तो उसने बहन को पकड़ लिया। लेकिन उसे कार में डाल लिया। आयुष के अनुसार, कार में कुल चार बदमाश थे। बदमाश उसे मुरादाबाद ले जाने की बात कर रहे थे। आयुष ने बताया कि करीब दो बजे उसे फरीदपुर लेकर गए।

रास्ते में कार हुई खराब

वहां पर बदमाशों की कार खराब हो गई। कार खराब होने पर बदमाशों ने अपने एक दोस्त के यहां छोड़ा। फरीदपुर में दो अन्य बदमाश बाइक से आए। यहां पर उसे चार दिन तक रखा गया। चौथे दिन उसे दूसरी जगह ले जाया गया। वहां पर बदमाश ने अपने दूसरे दोस्त के यहां पर रखा। उसे एक झोपड़ी में रखा गया। जिस झोपड़ी में उसे रखा गया उसके आसपास भी और झोपड़ी थी। उसके बाद उसे किसी दूसरी जगह ले जाया गया। पीलीभीत में भी रखा गया था।

पापा से नाराजगी का बदला

आयुष ने बताया कि एक बदमाश उससे कह रहा था कि जब एक बार वह ट्रेन से जा रहा था तो उसके पास टिकट नहीं था। आयुष के पिता ने उससे टिकट मांगा। उसके पिता ने चालान काटकर उसे जेल भेज दिया था। इसलिए बदला लेने के लिए उसने आयुष को किडनैप किया है। जब आयुष से पूछा गया कि उसे बदमाशों ने किस तरह से रखा तो उसने बताया कि बदमाश उसे अच्छी तरह से रखते थे। उसे खाने-पीने की हर चीज देते थे। बदमाश उसके साथ मारपीट भी नहीं करते थे।

20 लाख की फिरौती की बात

आयुष का कहना है कि बदमाश उसके पिता से 20 लाख रुपये की फिरौती मांगने की बात कर रहे थे। उसकी घर वालों से भी बात नहीं कराई जाती थी। उसने बताया कि रात में एक बदमाश उसे बाइक पर बैठाकर लेकर गया। बदमाश ने उसे पेट्रोल पंप के पास छोड़ दिया। बदमाश ने उससे कहा कि पास में चौकी है। वह चौकी पर चला जाएगा तो पुलिस अंकल उसे अपने साथ ले जाएंगे। बाद में पुलिस आई।

कटरी के जंगलों में छिपाया गया था आयुष

आयुष को कटरी में ही रखा गया था। आयुष और पुलिस भी इसकी पुष्टि कर रही है। लेकिन अब सवाल खड़ा होता है कि कटरी में कौन सा नया गैंग बन गया है। गैंग का लीडर कौन है। एसएसपी आकाश कुलहरि की मानें तो गैंग चंदौसी का है। गैंग चंदौसी का है तो उसे कौन ऑपरेट कर रहा है।

चौकी से 25 किमी दूर कटरी

आयुष के अपहरण के तुरंत बाद ही पुलिस ने कटरी के गैंग की ओर इशारा किया था। कटरी का गैंग अपहरण के कई दिन बाद फिरौती मांगता था। आयुष के मामले में भी कई दिनों तक फिरौती नहीं मांगी गई थी। पुलिस

की कई टीमें भी कटरी में लगी हुई थीं। आयुष ने बताया कि उसे चार दिन तक जिस जगह रखा गया था वहां पर सिर्फ झोपडिय़ां पड़ी थीं। आसपास जंगल जैसा ही था। कटरी का इलाका भी कुछ इसी तरह का होता है। एसओ सुभाषनगर रंजीत यादव ने भी बताया कि आयुष को कटरी में ही रखा गया था। जिस जगह आयुष को रखा गया था वहां से म्याऊंपुर चौकी मात्र 25-30 किमी की दूरी पर ही है। बदमाशों ने पुलिस के प्रेशर से ही आयुष को चौकी के पास छोड़ दिया।

'बहन! लल्ला मिल गया'

सुबह 6:45 बजे का टाइम, फोन की घंटी बजी तो कांपते हाथों से मां ने कॉल रिसीव की। दूसरी ओर से आवाज आई, हैलो, बहन अब खाओ पियो, अपना लल्ला मिल गया। ऐसा लगा जैसे चंद सेकंड की इस बातचीत ने सारे जहां की खुशियां मां के कदमों में बिछा दी। खुशी से आंखें छलक पड़ीं। पलक झपकते ही घर की चहारदीवारी से ये खुशखबरी निकलकर पूरे मोहल्ले में फैल गई। बधाई देने वालों की भीड़ जुट गई।

खुशी से नहीं फूट रहे बोल

आयुष की बहन आकांक्षा के खुशी से बोल नहीं फूट रहे थे। बस इतना बोली कि भाई आएगा, तो गले लगा लूंगी। दूसरी बहन वंशिका बस हर पल बाहर की ओर निहार रही थी, उसके कान ये सुनने के लिए बेसब्र हो रहे थे कि दीदी मैं आ गया। भाई के लिए चिप्स और चाकलेट का गिफ्ट तैयार कर चुकी वंशिका ने बताया कि अब कुछ दिन स्कूल नहीं जाने दूंगी, साथ ही रखूंगी। बता दें कि एक दिन बाद से वंशिका का एग्जाम हैं.   

माथा टेकेंगे नाना, नानी

आठ दिन से बेटी के ससुराल में रह रही आयुष की नानी मुन्नी देवी के लिए तो मन्नतों के पूरे होने का दिन आया है। रिटायर्ड इंस्पेक्टर रह चुके नाना कलेक्टर सिंह ज्वाला देवी  दरबार में माथा टेकने की ख्वाहिश जाहिर कर रहे थे।

सूनी रसोई गुलजार

अपहरण के बाद घर की रसोई सूनी हो गई थी। भूख क्या होती है, कोई नहीं जानता था। मंडे सुबह आयुष के वापस आने की खबर ने सूनी पड़ी रसोई में भी हलचल बढ़ा दी। आयुष की मां के कदम किचन में टिक नहीं पा रहे थे। शायद एक्साइटमेंट में ये डिसाइड नहीं कर पा रही थी कि आयुष के लिए क्या पकाना है। पूछने पर बताया कि आयुष की वापसी पर उसकी पंसद का दाल भात खिलाऊंगी।

पापा का भी खिल गया चेहरा

आठ दिन से न सोने का होश न खाने का। मुस्कुराना क्या होता है उन्हें पता भी नहीं। आयुष के पिता ज्ञानेन्द्र अपने बेटे की याद में बस गुम-सुम हो गए थे। प्रथम की खबर ने उनका चेहरा खिला दिया। सारे टाइम मोबाइल पर बस अपनों की शुभकामनाएं बटोरते नहीं थक रहे थे। शाम के ठीक 4 बजे थे। बदायूं रोड पर गंगापुर कॉलोनी में हर घर की अटारी से झांकते रेजिडेंट्स जानना चाहते थे कि उनका सबका चहेता आयुष क्या वापस आ गया है। कुछ देर में गाडिय़ों का काफिला आकर आयुष के घर रुका।

दहशत नहीं हुई कम

आयुष की वापसी के बावजूद अभी दहशत कम नहीं हुई है। वंशिका और आकांक्षा आयुष की किडनैपिंग के बाद से स्कूल नहीं गई। पेरेंट्स की आंखों में डर इस कदर दिखा कि उन्होंने साफ कह दिया कि कुछ दिन तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।

मां को नहीं हुआ था यकीन

सुबह आयुष की मां के मोबाइल पर पहली बार लगभग 6:45 बजे कॉल आई। फोन उनके भाई बंटी का था। बंटी ने आयुष के  मिलने की खुशखबरी सुनाई, मगर कमलेश को यकीन नहीं आया। आयुष से फोन पर बात करते हुए उन्होंने आयुष से रिलेटेड कुछ गोपनीय बातें पूछी, जिसके बाद उन्हें यकीन आया।

कहीं फिरौती देकर तो नहीं छूटा प्रथम!

सही सलामत वापसी पर भले ही पुलिस व परिवार फिरौती की बात से साफ इंकार कर रहा हो लेकिन सूत्र इसी ओर ही इशारा कर रहे हैं। आयुष ने भी फिरौती मांगने की बात कही है। चौकी पर नाटकीय वापसी भी यही संकेत दे रही है। मामा द्वारा कई जिलों में 60 लोगों की टीमें द्वारा सर्च अभियान भी इसी का संकेत देते हैं।

आयुष भी बोला फिरौती की बात

आयुष की मानें तो अपहरणकर्ता उसके पिता से 20 लाख की फिरौती की मांग कर रहे थे। बदमाशों ने भी आयुष को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। उसे सही सलामत रखा गया और बाद में सही सलामत उसे छोड़ भी दिया गया। सूत्रों की मानें तो आयुष की सकुशल वापसी के लिए लाखों की फिरौती दी गई है। फिरौती के लिए रैंसम काल भी तीन-चार दिन पहले ही आ गई थी। काल किसके मोबाइल पर आयी थी ये तो पुलिस व परिवार के ही लोग जान सकते हैं। तीन दिन पहले आयुष के परिवार के हाव-भाव भी इसी ओर इशारा कर रहे थे कि आयुष के सही सलामत होने की उन्हें जानकारी मिल गई है।

कुछ दिन पहले ही छोड़ा गया?

सूत्र बतातें हैं कि आयुष को बदमाशों ने दो-तीन पहले ही छोड़ दिया था। परिवार को भी इसकी सूचना दे दी गई थी। इसी के चलते आयुष के परिवार का हाव भाव बदल गये थे। पुलिस ने परिवार को मीडिया या किसी और को कुछ भी सूचना देने से भी मना कर दिया था। आयुष के हाव भाव, उसके द्वारा अपहरण की कहानी एक ही सांस में बताना और उसकी डे्रस भी फिरौती की तरह ही संदेह खड़ा करते हैं। एसएसपी ने बताया कि आयुष को एक अच्छे घर में रखा गया था। उसके साथ तीन बच्चे भी थे। जिनके साथ आयुष खेलता भी था लेकिन आयुष का कहना है कि उसे झोपड़ी में रखा गया था। आयुष ने बताया कि उसे चार दिन बाद झोपड़ी से ले जाया गया था। अब सवाल खड़ा होता है कि क्या आयुष को अपहरणकर्ताओं ने चार दिन बाद ही छोड़ दिया था। बाद में उसे किसी घर में रखा गया था। आयुष को किस घर में रखा गया था।

मामा का ऑपरेशन काम आया

एसएसपी ने आयुष की सकुशल बरामदगी का श्रेय आयुष की नानी मुन्नी देवी व मामा अरविंद उर्फ बंटी को दिया है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या फिरौती की डीलिंग नानी व मामा के द्वारा की गई होगी.  मामा अरविंद ने भी बताया कि एसओजी के सर्वेश यादव, रामेंद्र सिंह, व एसआई रामवीर यादव समेत 60 लोग तलाश में लगाए गए थे। दस गाडिय़ों ने डेली कई जिलों में कांबिंग की। बरेली, पीलीभीत, मुरादाबाद, एटा, बदायूं, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, सहित कई जिलों में पूछताछ की गई। जिस गांव में आशंका लगी उस गांव में लोग लगा दिए गए थे। अरविंद इस अभियान भी कहीं न कहीं फिरौती देकर ही आयुष के वापस आने की ओर इशारा कर रही हैं।

जानकार ने ही कराया अपहरण !

आयुष अपने घर तो सही सलामत पहुंच गया है लेकिन एक सवाल अभी भी बाकी है कि आयुष को किडनैप किसने और क्यों किया था? पुलिस सूत्रों की मानें तो आयुष का अपहरण घर के किसी जानकार ने ही कराया है। वह पल पल की खबर बदमाशों तक पहुंचा रहा था। पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। जल्द ही अपहरण का मास्टर माइंड भी पुलिस की गिरफ्त मे होगा।

पल-पल की खबर दे रहा था

पुलिस सूत्रों के दावों पर यकीन करें तो पुलिस टीम कटरी में बदमाशों के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई थी। लेकिन बदमाशों को इसकी भनक लग गई.  इसीलिए उन्होंने आयुष को चौकी के पास छोड़ दिया। सर्विलांस में भी पल-पल की सूचना देने की बातें रिकॉर्ड हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, अपहरण की साजिश किसी जानकार ने ही रची थी।