वैट ने छीना चैन, उड़ी नींद
मोतिहारी के ब्रजेश बिहारी अपनी भतीजी की शादी के लिए खरीदारी करने अगले महीने पटना आने वाले थे। मार्च में होने वाली शादी के लिए उन्हें कई साडिय़ां, ब्रांडेड कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन लेने थे। लेकिन अब उनका प्रोग्र्राम बदल गया है। वे इसी संडे को पटना आ रहे हैं खरीदारी करने। वजह है बिहार कैबिनेट का वो डिसीजन जिसने आम लोगों की नींद उड़ा दी है। गौरतलब है कि कैबिनेट ने सौंदर्य प्रसाधन पर 13.5 फीसदी जबकि 500 रुपए प्रति मीटर से ज्यादा के ब्रांडेड कपड़े और 2000 रुपए से ज्यादा की साडिय़ों पर 5 प्रतिशत का वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) लगा दिया है। यह सब सुनते ही ब्रजेश बिहारी ने अपना प्लान बदल दिया। ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। कैबिनेट के फैसले पर महिलाओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि सरकार के फैसले की जद में सबसे ज्यादा उनसे ही जुड़ी वस्तुएं आई हैं.

आधी आबादी मुश्किल में
महिलाओं का कहना है कि सरकार ने शराबबंदी की वो तो ठीक है, लेकिन इसके बदले मिठाई, कपड़े और आटा-मैदे से बनी चीजों को महंगा करके हमारे लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। एक निजी स्कूल की टीचर शशिबाला ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले इन चीजों में बढ़ोतरी करके इशारा कर दिया है कि और भी कई चीजों के दाम बढ़ेंगे। एक और गृहिणी ज्योतिश्री का कहना था कि सरकार ने तो नमकीन, मिठाई के साथ केश तेल और मॉस्क्यूटो रिपेलेंट के दाम भी बढ़ा दिए हैं। सरकार को एक बार में ही इतना बोझ नहीं देना चाहिए था.

टैक्स चोरी और करप्शन बढ़ेगा
इधर, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स और बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने भी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई है। उनका साफ कहना है कि इस फैसले से सरकार को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होगा, क्योंकि वैट की दर सीमावर्ती राज्यों के समकक्ष नहीं होने पर टैक्स की चोरी बढ़ेगी, दुकानदारों के साथ-साथ उपभोक्ता भी बिना बिल के सामान खरीदेंगे ताकि उन्हें वैट नहीं चुकाना पड़े. 

कैबिनेट के इस फैसले से उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार को आम लोगों की हितों का ध्यान रखते हुए फैसला लेना चाहिए था। खासकर वैट की दर अन्य सीमावर्ती राज्यों के समकक्ष रखनी चाहिए ताकि टैक्स की चोरी नहीं हो.
- रामलाल खेतान, प्रेसिडेंट, बीआईए

2005 में ही बिहार में वैट लागू होने के समय ये तय हुआ था कि यहां वेस्ट बंगाल के समकक्ष वैट की दरें होंगी। सरकार फॉर्मूले से हट रही है।  500 रुपए से ज्यादा के कपड़ों और 2000 रुपए से ज्यादा की साड़ी पर वैट लगाने एक ओर जहां डिस्प्यूट बढ़ेगा वहीं करप्शन भी बढ़ेगा.
- पी के अग्र्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स  

सजने संवरने की चीजों पर टैक्स लगाना तो सही है लेकिन  सरकार को खाने की चीजों पर इतना टैक्स नहीं लगाना चाहिए था। जबकि सरकार अपने को आम आदमी की सरकार बताती है, क्या यही है सरकार.
- राहुल, व्यवसायी

मुझे अपने खर्चो में कटौती करनी पड़ रही है। कोशिश कर रहा हूं कि वैट लगने से पहले ही शादी की खरीदारी पूरी हो जाए। खासकर साडिय़ां, कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन की चीजों की खरीदारी तो पूरी कर ही लूंगा.
- बी बी वर्मा, निजी कंपनी में अधिकारी

बजट के पहले सरकार ने सबसे ज्यादा टैक्स महिलाओं से जुड़ी वस्तुओं पर ही बढ़ा दिया है। पहले ही महंगाई से आम जनता कराह रही है। और कितना कराहेगी। अब लगता है बजट में भी सरकार कई चीजों के दाम बढ़ाकर कमर तोड़ डालेगी.
- शशिबाला, शिक्षिका 

वैट ने छीना चैन, उड़ी नींद

मोतिहारी के ब्रजेश बिहारी अपनी भतीजी की शादी के लिए खरीदारी करने अगले महीने पटना आने वाले थे। मार्च में होने वाली शादी के लिए उन्हें कई साडिय़ां, ब्रांडेड कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन लेने थे। लेकिन अब उनका प्रोग्र्राम बदल गया है। वे इसी संडे को पटना आ रहे हैं खरीदारी करने। वजह है बिहार कैबिनेट का वो डिसीजन जिसने आम लोगों की नींद उड़ा दी है। गौरतलब है कि कैबिनेट ने सौंदर्य प्रसाधन पर 13.5 फीसदी जबकि 500 रुपए प्रति मीटर से ज्यादा के ब्रांडेड कपड़े और 2000 रुपए से ज्यादा की साडिय़ों पर 5 प्रतिशत का वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) लगा दिया है। यह सब सुनते ही ब्रजेश बिहारी ने अपना प्लान बदल दिया। ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। कैबिनेट के फैसले पर महिलाओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि सरकार के फैसले की जद में सबसे ज्यादा उनसे ही जुड़ी वस्तुएं आई हैं।

 

आधी आबादी मुश्किल में

महिलाओं का कहना है कि सरकार ने शराबबंदी की वो तो ठीक है, लेकिन इसके बदले मिठाई, कपड़े और आटा-मैदे से बनी चीजों को महंगा करके हमारे लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। एक निजी स्कूल की टीचर शशिबाला ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले इन चीजों में बढ़ोतरी करके इशारा कर दिया है कि और भी कई चीजों के दाम बढ़ेंगे। एक और गृहिणी ज्योतिश्री का कहना था कि सरकार ने तो नमकीन, मिठाई के साथ केश तेल और मॉस्क्यूटो रिपेलेंट के दाम भी बढ़ा दिए हैं। सरकार को एक बार में ही इतना बोझ नहीं देना चाहिए था।

 

टैक्स चोरी और करप्शन बढ़ेगा

इधर, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स और बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने भी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई है। उनका साफ कहना है कि इस फैसले से सरकार को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होगा, क्योंकि वैट की दर सीमावर्ती राज्यों के समकक्ष नहीं होने पर टैक्स की चोरी बढ़ेगी, दुकानदारों के साथ-साथ उपभोक्ता भी बिना बिल के सामान खरीदेंगे ताकि उन्हें वैट नहीं चुकाना पड़े. 

 

कैबिनेट के इस फैसले से उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार को आम लोगों की हितों का ध्यान रखते हुए फैसला लेना चाहिए था। खासकर वैट की दर अन्य सीमावर्ती राज्यों के समकक्ष रखनी चाहिए ताकि टैक्स की चोरी नहीं हो।

- रामलाल खेतान, प्रेसिडेंट, बीआईए

 

2005 में ही बिहार में वैट लागू होने के समय ये तय हुआ था कि यहां वेस्ट बंगाल के समकक्ष वैट की दरें होंगी। सरकार फॉर्मूले से हट रही है।  500 रुपए से ज्यादा के कपड़ों और 2000 रुपए से ज्यादा की साड़ी पर वैट लगाने एक ओर जहां डिस्प्यूट बढ़ेगा वहीं करप्शन भी बढ़ेगा।

- पी के अग्र्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स  

 

सजने संवरने की चीजों पर टैक्स लगाना तो सही है लेकिन  सरकार को खाने की चीजों पर इतना टैक्स नहीं लगाना चाहिए था। जबकि सरकार अपने को आम आदमी की सरकार बताती है, क्या यही है सरकार।

- राहुल, व्यवसायी

 

मुझे अपने खर्चो में कटौती करनी पड़ रही है। कोशिश कर रहा हूं कि वैट लगने से पहले ही शादी की खरीदारी पूरी हो जाए। खासकर साडिय़ां, कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन की चीजों की खरीदारी तो पूरी कर ही लूंगा।

- बी बी वर्मा, निजी कंपनी में अधिकारी

 

बजट के पहले सरकार ने सबसे ज्यादा टैक्स महिलाओं से जुड़ी वस्तुओं पर ही बढ़ा दिया है। पहले ही महंगाई से आम जनता कराह रही है। और कितना कराहेगी। अब लगता है बजट में भी सरकार कई चीजों के दाम बढ़ाकर कमर तोड़ डालेगी।

- शशिबाला, शिक्षिका