इन विश्वविद्यालयों के 455 प्रोफ़ेसरों और अन्य शिक्षाविदों ने एक बयान में जेएनयू में पुलिस कार्रवाई को ग़ैरक़ानूनी बताया है। इनमें से कई जेएनयू के पूर्व छात्र हैं।

ग़ौरतलब है कि जेएनयू में 9 फ़रवरी को हुए एक कार्यक्रम से विवाद शुरु हुआ है। भारतीय संसद पर हमलों के दोष में फांसी पर चढ़ाए गए अफ़ज़ल गुरू की याद में मनाए गए इस समारोह में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगे थे।

विदेशी यूनिवर्सिटीज़ के 455 शिक्षक जेएनयू के पक्ष में

इसके बाद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के छात्रों पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज कर छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ़्तार कर लिया, जो अब न्यायिक हिरासत में हैं।

विदेशी यूनिवर्सिटीज़ के शिक्षकों के बयान में कहा गया है कि जेएनयू को घेर लिया गया है, वर्तमान 'एस्टेबलिष्मेंट' लोकतांत्रिक विरोध, स्वतंत्र विचारों और अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं वाली जेएनयू की इन विशेषताओं को नष्ट करना चाहती है।

बयान में आरोप लगाया गया है कि जेएनयू परिसर में छात्रों को उनकी राजनीतिक विचारधारा के चलते निशाना बनाया जा रहा है।

इसमें देशद्रोह के नाम पर छात्रावास की तलाशी और जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ़्तारी को एक सत्तावादी शासन की घुसपैठ बताया गया है।

विदेशी यूनिवर्सिटीज़ के 455 शिक्षक जेएनयू के पक्ष में

भारत के भी चालीस से ज़्यादा विश्वविद्यालयों ने जेएनयू को समर्थन दिया है और देशभर में कई जगह विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं।

भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक विवादित बयान में कहा था कि जेएनयू में हुए विवाद के पीछे पाकिस्तानी चरमपंथी हाफ़िज़ सईद है।

हाफ़िज़ सईद ने एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।

Interesting News inextlive from Interesting News Desk