- मृतकों में 10 बच्चे, 16 महिलाएं और 22 पुरुष शामिल

- 28 सीटर बस में ठूंस-ठूंस कर भरे गए थे 61 यात्री

- पौड़ी जिले के बमणसैंण-धुमाकोट मार्ग पर हुआ हादसा

- 13 अन्य यात्रियों को चोटें आई, इनमें तीन की हालत नाजुक

- रेस्क्यू के लिए खाली हाथ पहुंची प्रशासनिक टीम

- मौके पर पहुंचे सीएम को करना पड़ा ग्रामीणों के विरोध का सामना

- नौ घंटे बाद मौके पर पहुंचे डीएम को लोगों ने खरी-खरी सुनाई

DHUMAKOT: 10 बच्चों और 16 महिलाओं समेत 48 लोगों के लिए रविवार की सुबह काल बनकर आई। इन सभी की पौड़ी जिले के बमणसैंण-धुमाकोट संपर्क मार्ग पर बस हादसे में मौत हो गई। मृतकों में शामिल 11 लोग एक ही गांव के थे। बस मालिक और चालक भी हादसे में मारे गए। बस सवार 13 अन्य यात्रियों को भी चोटें आई हैं। इनमें तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है। 28 सीटर इस बस में 61 यात्री ठूंस-ठूंस कर भरे गए थे। जहां पर दुर्घटना हुई, वहां सड़क भी खस्ताहाल थी। अनियंत्रित बस करीब ढाई सौ फीट गहरी खाई में जा समाई और उसके परखच्चे उड़ गए।

हादसे में घायल 12 यात्रियों को हल्द्वानी, रामनगर, ऋषिकेश और जौलीग्रांट स्थित अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जबकि एक घायल को रामनगर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। हादसे ने आपदा प्रबंधन के इंतजामों की पोल भी खोली। प्रशासनिक टीम खाली हाथ मौके पर पहुंची। अपराह्न मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। इधर, जिला मुख्यालय पौड़ी से चले डीएम करीब नौ घंटे बाद घटनास्थल पहुंचे, ग्रामीणों ने उन्हें भी खरी-खरी सुनाई।

हादसा सुबह करीब सवा आठ बजे हुआ गढवाल मोटर्स यूजर्स कोऑपरेटिव सोसायटी की बस संख्या यूके12पीए/0159करीब सवा सात बजे बमणसैण (भौन) से रामनगर के लिए चली। इसमें चालक-परिचालक समेत 61 यात्री सवार थे। धुमाकोट से करीब आठ किलोमीटर पहले ग्वीन पुल के पास चालक गाड़ी पर नियंत्रण खो बैठा और बस गहरी खाई में जा गिरी। जहां पर हादसा हुआ, वहां सड़क के बीचोंबीच एक गड्ढा था, जिसमें पानी भरा हुआ था। बताया जा रहा है कि चालक ने गड्ढे से बचने के लिए बस को बाहर की तरफ मोड़ा तभी वह झोंक खाती हुई खाई में लुढ़क गई। दुर्घटना इतनी भयावह थी कि बस के कई टुकड़े हो गए। हादसे में 45 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि तीन की उपचार के दौरान मौत हो गई। मृतकों में 22 पुरुष, 16 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। ये सभी नैनीडांडा ब्लाक के मैरा, भौन, परखंडई, पौखाल और अपोला गांव के थे। इनमें से ज्यादातर को धुमाकोट से अपने गंतव्यों के लिए दूसरी बसों में सवार होना था। इनमें एक दंपती देहरादून का भी था। करीब 25 किलोमीटर के सफर में ये लोग 17 किलोमीटर तय चुके थे।

हादसे की तीन वजह

प्रारंभिक जांच में हादसे के तीन कारण सामने आ रहे हैं। एक-बस को ओवरलोड होना, दूसरा-सड़क पर बने गड्ढे को बचाने के लिए गाड़ी बाहर की तरफ काटना, तीसरा- सामने से आ रहे एक अन्य वाहन को पास देना। असल वजह का पता लगाने के लिए जांच टीम गठित कर दी गई है। एसडीएम लैंसडोन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।

ग्रामीण रेस्क्यू में जुटे

प्रशासन की टीम के पहुंचने से पहले ही ग्वीन के लोग बचाव एवं राहत कार्याें में जुट गए थे। खाई में जहां-तहां बिखरे शवों को उन्होंने एक स्थान पर पहुंचाया। घायलों को खाई से बाहर निकालकर सड़क तक पहुंचाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। प्रशासनिक टीम खाली हाथ रेस्क्यू के लिए पहुंची, जबकि स्थानीय पुलिस के पास केवल दो स्टेचर ही थे।

मृतक आश्रितों को दो-दो लाख

राज्य सरकार ने हादसे में मारे गए यात्रियों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। स्वास्थ्य विभाग को घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए गए हैं।

मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दोपहर बाद हेलीकॉप्टर से घटनास्थल पहुंचे। उन्होंने हालात का जायजा लिया, साथ ही घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और राज्यमंत्री धन सिंह रावत भी उनके साथ थे।