यह था एक्सीडेंट

मुजफ्फरनगर हरदीपुर का रहने वाला शीशपाल ट्रक में अलीगढ़ से आलू भरकर ला रहा था। जो मवाना जाने थे। ट्रक में सेकंड ड्राइवर हरिओम सो रहा था। रोनी हरदीपुर मुजफ्फरनगर का रहने वाला क्लीनर ईशन सिंह ड्राईवर शीशपाल के साथ बैठा हुआ था। रात में करीब ढाई बजे तेजगढ़ी चौराहे पर पहुंचे तो गढ़ की ओर तीन टैंकर जा रहे थे। जहां दो टैंकर निकल गए थे और एक काफी पीछे था। ड्राइवर शीशपाल ने सोचा कि वह निकल जाएगा। स्पीड तेज की लेकिन तब तक टैंकर भी पहुंच गया।

क्लीनर की मौत

टैंकर से आलू का ट्रक तेजी के साथ टकराया। टैंकर आगे निकल गया और ट्रक चौराहे में जाकर भिड़ गया। भिड़ंत इतनी भयंकर थी कि ट्रक के परखच्चे उड़ गए। इस बीच शीशपाल ट्रक से कूद गया, लेकिन ट्रक में सो रहा सेकंड ड्राइवर हरिओम और क्लीनर ईशन सिंह कूद नहीं पाए। क्लीनर की मौके पर ही मौत हो गई और हरिओम गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया और मृतक को निकालकर मोर्चरी भेज दिया गया। इस भयानक एक्सीडेंट में टैंकर को कुछ नहीं हुआ। उसका ड्राइवर घटना के साथ ही कूदकर फरार हो गया।

एक और एक्सीडेंट

इस चौराहे पर एक और भयानक एक्सीडेंट ने लोगों के रौंगटे खड़े कर दिए। गुरुवार की शाम भगवानपुर मुंडाली का रहने वाला लखमी सिंह काम करके साइकिल से घर लौट रहा था। वह तेजगढ़ी चौराहे से होता घर जा रहा था। तभी एक ट्रक आया और उसने लखमी सिंह को कुचल डाला। जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। ट्रक का पुलिस ने पकड़ लिया।

जीजा साले की मौत

दो अगस्त 2013 को बाइक पर जा रहे जीजा साले को ट्रक ने इसी चौराहे पर रौंद डाला था। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मरने वालों में बिजौली का रहने वाला संजय (30) पुत्र मूलचंद और उसका साला पदमपुरा लिसाड़ी गेट का प्रमोद (30) पुत्र लख्मीचंद था।

ये भी खतरनाक एक्सीडेंट हुए

6 अगस्त 2012 को इसी चौराहे पर तेज रफ्तार से आ रहे एक ट्रैक्टर ट्रॉली ने बाइक सवार फाइनेंस मैनेजर को कुचल डाला था। जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। ऐसे कई और एक्सीडेंट भी हुए। कुछ साल पहले तेजगढ़ी चौकी में जौ के बरुदे से भरा एक ट्रक घुस गया था। जिसमें सिपाही बाल-बाल बचे थे। इसी चौराहे पर एक कंटेनर तो टाटा 407 को लेकर दुकानों में घुस गया था। जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी।

टोटके भी नहीं रोक पाए हादसे

आसपास रहने वाले लोगों का मानना है कि इस चौराहे पर आत्मा का वास है। यहां जब भी होता है भयंकर एक्सीडेंट होता है। कई लोगों को इस चौराहे पर बड़े वाहनों ने कुचल डाला। इसके चलते तेजगढ़ी चौराहे पर चौकी के सामने पीपल का पेड़ लगाया गया है। ताकि यहां कोई आत्मा नुकसान ना पहुंचाए। कुछ लोगों का कहना है कि तेजगढ़ी चौराहे से आगे डिग्गी तिराहे पर कभी भयंकर एक्सीडेंट होते थे। कई लोगों की मौत हुई। इसके बाद वहां एक तरफ शनिदेव मंदिर बनाया गया और दूसरी तरफ हनुमान जी का शिलापट बनाया गया। तब से एक्सीडेंट कम होते हैं।

ये है सबसे बड़ा कारण

- इस चौराहे पर स्पीड ब्रेकर नहीं हैं।

- कोई भी आता है तो तेजी से निकलता है।

- रात होते ही यहां पुलिस वाले गायब हो जाते हैं।

- वाहनों की स्पीड इस चौराहे पर और तेज हो जाती है।

- हर कोई पहले निकलना चाहता है। इसलिए टकराता है।

- चौराहे पर साइडों से आने वाले वाहनों की गति नहीं भांप पाते।

"चौराहे पर दिन में पुलिस तैनात रहती है। इसके बावजूद लोग लापरवाही के साथ वाहन चलाते हैं। रात में चौराहा खाली होता है और फुल स्पीड में दौड़ रहे वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं."

-रवेंद्र यादव, एसओ मेडिकल