आईटीवीपी व मोहनगंज के पास हुए हादसे में तीन लोगों की मौत

परिजनों ने एसआरएन हॉस्पिटल में किया हंगामा, पुलिस ने कराया सभी को शांत

PRAYAGRAJ: होली के रंग में सराबोर राजेंद्र (30) व टिंकू (32) की शुक्रवार को हुए हादसे में मौत हो गई. जबकि एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती तीन की हालत गंभीर है. करीब दर्जन भर युवक बाइक से होली खेलने शहर की तरफ आ रहे थे. झलवा स्थित आईटीवीपी के पास सामने से आ रही मैजिक से एक के बाद एक दो बाइक सवार जा भिड़े. इनमें एक बाइक पर तीन, दूसरी पर दो युवक सवार थे. हादसे के बार मैजिक सहित चालक फरार हो गया. साथ चल रहे युवक पांचों घायलों को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे. उपचार के दौरान दो युवकों ने दम तोड़ दिया. दोनों की मौत के बाद परिजनों व युवकों ने जमकर हंगामा किया. इसी तरह सरायइनायत के मोहनगंज में हुए हादसे में तीसरे युवक सूरज कुमार (25) की भी मौत हो गई.

चार की हालत है गंभीर

धूमनगंज क्षेत्र स्थित पीपल गांव निवासी जय सिंह (28), नीरज उर्फ नन्हा (30) पुत्र सत्यानन्द, व कोटवा के राजेंद्र (30) पुत्र शिवपाल निवासी व टिंकू (32) पुत्र राधेश्याम और सूरज (30) पुत्र चंदर निवासी पीपी गांव बाइक से दोस्तों संग होली के रंग में सराबोर शहर की तरफ आ रहे थे. सभी रंग में पूरी तरह सने हुए थे. बताते हैं कि आईटीवीपी के पास सामने आ रही मैजिक में राजेंद्र और टिंकू बाइक लेकर भिड़ गए. टक्कर इतनी जोरदार थी कि पांचों गंभीर रूप से जख्मी हो गए. साथी युवक उन्हें घायलावस्था में लेकर एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचे. यहां इलाज के दौरान राजेंद्र और टिंकू की मौत हो गई. मौत की खबर सुनते ही साथी युवक व परिजन आक्रोशित हो गए. आक्रोशित लोगों ने जमकर हंगामा किया. खबर सुन पहुंची एसआरएन हॉस्पिटल चौकी पुलिस ने सभी को समझा-बुझाकर शांत कराया. इसके बाद परिजन शव लेकर घर चले गए. उधर झूंसी चकिया निवासी मौसी के घर से होली खेल कर पत्नी अंकिता के साथ बाइक से घर लौट रहे भदरी गांव सरायममरेज निवासी सूरज कुशवाहा पुत्र लालचंद की भी मोहनगंज के पास हुए हादसे में मौत हो गई. इस हादसे में उसकी पत्‍‌नी अंकिता को मामूली चोटें आई हैं. बाइक में टक्कर मारने वाला चालक वाहन सहित फरार हो गया.

अस्पताल कर्मियों पर लगाए आरोप

एसआरएन हॉस्पिटल में हंगामे पर उतरे लोगों का आरोप था कि इलाज में देरी की गई. करीब घंटे भर घायलों को गाड़ी से उतार कर वार्ड में नहीं ले जाया गया. यदि समय से उनका इलाज किया गया होता तो दोनों बच सकते थे. जब वे खुद उन्हें वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर खोजने लगे तो स्ट्रेचर ही नहीं मिला. पुलिस की पूछताछ में डॉक्टरों ने बताया कि घायलों के साथ रहे लोगों ने समय से उन्हें जानकारी नहीं दी. वे आकर बाहर ही खड़े रहे. जैसे ही पता चला टीम घायलों का ट्रीटमेंट करने में जुट गई.